डॉलर को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके, अमरीकी उसी शाख़ को काट रहे हैं, जिस पर बैठे हैं, पुतिन
न्यू डेवलपमेंट बैंक के प्रमुख डिल्मा रूसेफ़ के साथ एक मुलाक़ात में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने नए मौद्रिक क्रम में ब्रिक्स बैंक के महत्व पर बल देते हुए कहाः ऐसे समय में जब अमरीका डॉलर को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, वैकल्पिक वित्तीय संस्थानों की स्थापना कठिन ज़रूर है, लेकिन ज़रूरी है।
पुतिन का कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में दुनिया में घटने वाली घटनाओं और राजनीतिक संघर्ष में डॉलर को हथियार के रूप में इस्तेमाल के मद्देनज़र, डॉलर के बजाय राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करना ज़रूरी है।
इससे पहले भी रूसी राष्ट्रपति डॉलर के दुरुपयोग को लेकर, वाशिंगटन को चेतावनी दे चुके हैं। उनका मानना है कि अमरीका, डॉलर का दुरुपयोग करके अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुक़सान पहुंचा रहा है और ख़ुद को सीमित कर रहा है।
पुतिन का कहना है कि अमरीकी, जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं। उन्होंने बाइडन प्रशासन के इस आरोप को भी ख़ारिज कर दिया कि रूस डॉलर पर आक्रमण कर रहा है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि रूस, ब्राज़ील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीक़ा का आर्थिक समूह ब्रिक्दक्षिण अफ्रीकािज कर दिया कि रूस नैठे हैं, उसी को काट रहे हैं। तावनी दे चु म हुए थे। म के िया, जिसमें 37 बच्चे और 11 महिलास किसी के खिलाफ़ नहीं है, लेकिन इसके सदस्य वित्तीय मामलों सहित पारस्परिक लाभ के लिए मिलकर काम करते हैं। पुतिन का कहना थाः ब्रिक्स सदस्य तेज़ी से राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान की ओर बढ़ रहे हैं।
पिछले अक्टूबर में पुतिन ने तर्क दिया था कि डॉलर को हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के कारण, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की विश्वसनीयता घटती जा रही है और राष्ट्रों का इससे भरोसा उठ रहा है। उसके बाद ही अमरीकी ट्रेज़री मंत्रालय ने स्वीकार किया था कि प्रतिबंधों के कारण, कुछ देश डॉलर छोड़ने की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
ग़ौरतलब है कि विश्व का अधिकांश व्यापार, आज भी डॉलर में हो रहा है, लेकिन वाशिंगटन इसे अपने प्रतिद्वंद्वी और दुश्मन देशों पर हमला करने के लिए और उन पर दबाव डालने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। अधिकांश देशों के पास आज भी विदेशी मुद्रा के रूप में डॉलर मौजूद है, लेकिन अमरीका द्वारा इसे वित्तीय हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने से कई देशों ने वैकल्पिक मुद्राओं में निवेश करने और भुगतान में विविधता लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
इन देशों में सबसे आगे चीन और रूस हैं। अब भारत, ब्राज़ील, मलेशिया, तुर्किए, वेनेज़ुएला और ईरान जैसे देशों ने भी ऐसी ही प्रक्रिया अपनानी शुरू कर दी है। यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के सदस्य देश भी अपने सभी वित्तीय और वाणिज्यिक आदान-प्रदान से अमरीकी डॉलर को बाहर करने पर सहमत हुए हैं।
ख़ासकर यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस के ख़िलाफ़ अमरीका और यूरोप के प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करने के कारण, कुछ देशों की डॉलर पर निर्भरता कम करने की मुहिम तेज़ हो गई है। चीन, भारत और तुर्किए जैसे देशों ने रूस के साथ लेनदेन में राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करना शुरू कर दिया है।