गिलगित-बल्तिस्तान, अगर चिलास की सड़क सुरक्षित नहीं है तो कारगिल रोड को हमारे लिए खोल दिया जाए
पाकिस्तान के पर्वतीय सीमावर्ती इलाक़े गिलगित-बल्तिस्तान के विभिन्न शहरों में धार्मिक समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है।
शिया मुस्लिम बहुल इस इलाक़े में किए कुछ धार्मिक नेताओं पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के आरोपों के बाद, दो साम्प्रदाय के लोग एक दूसरे के मुक़ाबले में प्रदर्शन कर रहे हैं।
यहां स्कर्दू शहर के एक धार्मिक नेता के ख़िलाफ़ दियामीर के शहर चिलास में पहले मुक़दमा दर्ज करने की मांग को लेकर और फिर गिरफ़्तारी के लिए प्रदर्शन हुआ और राष्ट्रीय राजमार्ग को भी बंद कर दिया गया था।
वहीं, पर्यटन के लिए मशहूर स्कर्दू में प्रदर्शनकारियों ने मांग की अगर चिलास की सड़क स्कर्दू के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है, तो कारगिल रोड को हमारे लिए खोल दिया जाना चाहिए।
गिलगित-बल्तिस्तान सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरे प्रांत में धारा 144 लागू कर दी है।
स्थानीय प्रशासन की तरफ़ से कहा गया है कि इमाम हुसैन (अ) के चेहलुम के अवसर पर, क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी सेना और सशस्त्र बलों को तैनात किया गया है।
गिलगित में मौलाना काजी निसार अहमद और स्कर्दू में अल्लामा आग़ा बाक़िर अल-हुसैनी के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि गिलगित बल्तिस्तान में एक शिया धर्मगुरू के बयान को लेकर तनाव उत्पन्न हुआ है। सुन्नी संगठनों का दावा है कि यह बयान इस्लाम विरोधी है।
बेमिसाल प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ़ से ढके पहाड़ों, ख़ूबसूरत घाटियों और फलों के बगीचों वाले गिलगित-बल्तिस्तान की सुंदरता अद्वितीय है, मगर इसकी भौगोलिक स्थिति इसे भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए और ज़्यादा महत्वपूर्ण बना देती है।
इसकी सीमाएं चार देशों भारत, पाकिस्तान, चीन और तजाकिस्तान से मिलती हैं. इनमें से तीन देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं। इतना ही नहीं, गिलगित बल्तिस्तान चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडॉर का प्रवेश मार्ग भी है। msm