जर्मनी में जलवायु समझौते पर बातचीत जारी, अमरीका की ओर से ख़तरे के बादल बरक़रार
ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने की कार्यकारी संदर्शिका का मसौदा तय्यार करने के लिए जर्मनी के बोन शहर में जलवायु परिवर्तन के वार्ताकार इकट्ठा हुए हैं। पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को जलवायु परिवर्तन को क़ाबू करने के लिए अच्छा फ़्रेमवर्क समझा जाता है।
वर्षों की बातचीत के बाद 2015 में जलवायु समझौते पर 196 देशों ने दस्तख़त किए।
सोमवार को बोन में शुरु हुयी बैठक 19 मई तक जारी रहेगी। इस बैठक का उद्देश्य पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए सदस्य देशों के लिए कार्यकारी संदर्शिका तय्यार करना है। इस समझौते का लक्ष्य जीवाश्म आधारित ईंधन से होने वाले उत्सर्जन में कमी लाकर दुनिया भर में धरती के बढ़ते तापमान को कम करना है।
पेरिस समझौता 4 नवंबर 2016 को लागू हुआ और अब तक 109 देशों ने इसे मंज़ूरी दे दी है। ये 109 देश, पूरी दुनिया में ग्रीन हाउस गैस के कुल उत्सर्जन का 75 फ़ीसद भाग का उत्सर्जन करते हैं।
हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने इस समझौते में अमरीका की सदस्यता को ख़त्म करने की धमकी दी है। इस समझौते का चीन, तेल उत्पादक संगठन ओपेक के सदस्य देशों और अफ़्रीक़ा के अति निर्धन देशों ने भी समर्थन किया है।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हमारा ध्यान इस बात को सुनिश्चित करने पर है कि इस तरह की बैठकों में ऐसे फ़ैसले न लिए जाएं, जिससे हमारी भविष्य की नीतियां, अमरीकी व्यापार की मुक़ाबला करने की क्षमता या अमरीकी आर्थिक विकास व समृद्धता की प्राप्ति का लक्ष्य प्रभावित हो।”
पेरिस समझौते पर अमरीकी प्रशासन में गहरे मतभेद के बीच, वाइट हाउस ने वरिष्ठ सलाहकारों के साथ मंगलवार की प्रस्तावित बैठक स्थगित करते हुए, इस बैठक के फिर से आयोजन का समय बाद में तय करने का एलान किया है।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु मामले में अमरीकी उपविदेश मंत्री डेविड बोल्टन ने कहा, “ताज़ा बात जो हमने सुनी है वह यह कि हमारे राष्ट्रपति ने इस बात का इशारा दिया है कि वह अभी नहीं बल्कि अगले दो हफ़्ते में किसी समय फ़ैसला करेंगे।”
मार्च में वाइट हाउस ने कहा था कि मई के अंत में गुट-7 की बैठक से पहले इस बात का एलान करेगा कि अमरीका पेरिस जलवायु समझौते में शामिल रहेगा या नहीं। (MAQ/N)