यूरोप के मुस्लिम बाहुल्य देश की अपनी सेना बनाने की घोषणा, विरोधियों में बेचैनी
एक दशक पहले स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले मुस्लिम बाहुल्य यूरोपीय देश कोसोवो ने अपनी सेना बनाने की घोषणा कर दी है जिसके कारण सर्बिया में बेचैनी बढ़ गयी है।
ज्ञात रहे कि लंबे समय से जारी गृह युद्ध के बाद सर्बिया के मुस्लिम आबादी पर आधारित क्षेत्र कोसोवो ने 19 फ़रवरी 2008 में अलग होते हुए अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी किन्तु सर्बिया सहित कुछ देशों ने कोसोवो की स्वतंत्रता को स्वीकार नहीं किया था।
रिपोर्ट के अनुसार कोसोवो की संसद ने 14 दिसम्बर को अपने देश के इतिहास का महत्वपूर्ण फ़ैसला लेते हुए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की निगरानी के लिए अपनी सेना बनाने का क़ानून मंज़ूर किया।
ज्ञात रहे कि इस समय कोसोवो में 1989-99 में होने वाले गृह युद्ध के बाद नैटो की शांति सेना तैनात है।
संसद की ओर से पास होने वाले क़ानून के अनुसार छोटे संकटों का जवाब देने वाले कोसोवो सुरक्षा बल (केएसएफ़) को देश के रक्षा बल का दर्जा दे दिया जाएगा जिनकी संख्या इस समय पांच हज़ार है।
संसद सभापति क़दरी वेस्ली ने घोषणा की है कि आज के वोट से देश में नया दौर शुरु होने जा रहा है। कोसोवो के समस्त सांसदों ने इस ऐतिहासिक अवसर पर एक दूसरे को बधाई दी जबकि संसद में मौजूद सर्बिया के नेताओं ने इसका बहिष्कार किया।
हज़ारों की संख्या में कोसोवो के नागरिकों ने नये क़ानून को अपनी स्वतंत्रता में नया स्तंभ क़रार देते हुए सड़कों पर निकलकर जश्न मनाकर अपनी ख़ुशी व्यक्त की। कोसोवो की सेना को एक दक्ष सेना बनने में कई साल का समय लग सकता है किन्तु दूसरी ओर सर्बिया ने इस फ़ैसले को क्षेत्र की स्थिरता के लिए ख़तरा क़रा दिया है।
उधर नैटो और यूरोपीय संघ की ओर से इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए जल्दबाज़ी में उठाया गया क़दम क़रार दिया है किन्तु कोसोवो को सेना बनाने से संबंधित फ़ैसले पर अपने मज़बूत घटक अमरीका का समर्थन प्राप्त रहा।
ज्ञात रहे कि सर्बिया से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले देश कोसोवो की आबादी 19 लाख से अधिक है जबकि यहां 95 प्रतिशत से अधिक मुसलमान आबाद हैं। (AK)