95.6 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले यूरोपीय देश में सेना गठन की घोषणा से यूरोपीय देशों में हड़कंप क्यों?
यूरोप के मुस्लिम बहुल देश कोसोवो ने जब से यह घोषणा की है कि वह एक शक्तिशाली सेना का गठन करने जा रहा है, यूरोपीय देशों और यहां तक कि नाटो के माथे पर परेशानी की लकीरें उभर आई हैं।
शुक्रवार को कोसोवो की राजधानी प्रिस्टिना में संसद ने देश में रक्षा मंत्रालय की स्थापना और मौजूदा सुरक्षा बलों को एक शक्तिशाली सेना में बदलने के क़ानून को सर्वसम्मति से पारित कर दिया था।
कोसोवो के राष्ट्रपति हाशिम थाकी ने संसद के इस फ़ैसले पर यूरोपीय देशों की आपत्तियों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि यह कोई असमान्य बात नहीं है, बल्कि कोसोवो को एक स्वाधीन एवं शक्तिशाली देश बनाने के लिए यह एक प्राकृतिक क़दम है।
उन्होंने कहा, कोसोवो ने अगर कोई ग़लती की है तो वह केवल यह है कि हमने सेना का गठन करने के लिए 5 वर्षों तक इंतेज़ार किया। कोसोवो के सैनिक शांति सैनिक होंगे और कोसोवो की सेना क्षेत्र में शांति व स्थिरता की स्थापना में सहयोग करेगी।
थासी ने कोसोवो के आंतरिक मामलों में हर प्रकार के विदेशी हस्तक्षेप यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप को भी नकार दिया है और राष्ट्र संघ से कहा है कि इसके स्थान पर वह विश्व की वास्तविक समस्याओं पर अपना ध्यान दे।
नाटो ने भी कोसोवो के इस फ़ैसले पर चिंता जताई है। कोसोवो का पड़ोसी देश सर्बिया उसके इस फ़ैसले पर काफ़ी आगबबूला है। इसलिए कि अभी तक वह इसे अपना ही एक भाग समझता है।
1999 में नाटो की यूगोस्लाविया में 78 दिन तक बमबारी के बाद ही कोसोवो सर्बिया से अलग हुआ था। नाटो के महासचिव जेंस स्टॉटेनबर्ग ने कहा है कि नाटो कोसोवो सुरक्षा बलों के साथ अपने सहयोग पर पुनर्विचार करेगा।
कोसोवो यूरोप के बल्कान क्षेत्र के केन्द्र में स्थित एक छोटा सा देश है। 2011 की जनगणना के मुताबिक़ इस देश की कुल जनसंख्या क़रीब 20 लाख का 95.6 प्रतिशत मुसलमान हैं।
प्राकृतिक स्रोतों की दृष्टि से एक बहुत ही समृद्ध देश है। यहां की पहाड़ियों में सोना है, न केवल सोना बल्कि क्रोम, निकल, एल्यूमीनियम, तांबा, लौह धातु, और लीड-जस्ता। कोसोवो में लिग्नाइट का दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा सिद्ध भंडार है। msm