कई नेताओं ने शैख हसीना को बधाई दी
बांग्लादेश के राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ फख्रुद्दीन अहमद ने कहा है कि जिस चुनाव परिणाम की घोषणा की गयी है वह पांच वर्षों तक लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। साथ ही उन्होंने कहा है कि हमें आशा है कि दोबारा शांति देश में लौट आयेगी।
अवामी लीग को अकेले 151 सीटें मिली हैं जबकि इस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले गठबंधन को 191 सीटें मिली हैं। सरकार बनाने के लिए जितनी सीटों की ज़रूरत होती है उतनी सीटें अकेले अवामी लीग के पास हैं।
सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश नेश्नलिस्ट पार्टी को इस चुनाव में भारी पराजय का सामना करना पड़ा है इस प्रकार से कि गठबंधन के नेता कमाल हुसैन ने चुनाव परिणामों को रद्द किये जाने और फिर से चुनाव कराये जाने की मांग की है।
राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि बांग्लादेश में चुनाव के परिणामों की जो घोषणा हुई है वह अपेक्षा से परे नहीं था क्योंकि विपक्षी दल शैख़ हसीना वाजिद पर चुनावों में धांधली का आरोप लगा रहे हैं। ख़ालिदा ज़िया और विपक्षी दलों के दसियों हज़ार कार्यकर्ताओं व नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। गिफ्तार होने वालों पर आर्थिक भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगाये गये हैं।
इस दृष्टिकोण के आधार पर बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने चुनाव के आयोजन में न केवल निष्पक्षता नहीं दिखाई बल्कि उसने अवामी लीग का पक्षपात करके उसके उम्मीदवारों की जीत के लिए परिस्थिति उपलब्ध कर दी।
बांग्लादेश के राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ फख्रुद्दीन अहमद ने कहा है कि जिस चुनाव परिणाम की घोषणा की गयी है वह पांच वर्षों तक लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। साथ ही उन्होंने कहा है कि हमें आशा है कि दोबारा शांति देश में लौट आयेगी।
बांग्लादेश में होने वाले संसदीय चुनावों में घपले हुए हैं या नहीं इस बात की अनदेखी करते हुए मुख्य सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश में होने वाले चुनाव से एक दशक से अधिक समय से जारी राजनीतिक संकट का समाधान हो सकेगा? विपक्षी पार्टियां अवामी लीग पर बड़े पैमाने पर चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाकर उसकी वैधता पर सवाल उठा रही हैं और बल देकर कह रही हैं कि वे शैख हसीना के साथ सहयोग नहीं करेगीं।
इसी प्रकार शैख़ हसीना ने अपनी सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धी ख़ालिया ज़िया को जेल में बंद कराके दिखा दिया है कि वह सत्ता में बाकी रहने के लिए देश की सैनिक और सुरक्षा शक्ति और इसी प्रकार भारत के समर्थन पर निर्भर हैं और वे अपनी सरकार की वैधता पर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रही हैं।
बांग्लादेश में एक राजनीतिक विशेषज्ञ वालीयुर्रहमान का मानना है कि ढ़ाका सरकार पर लाखों बांग्लादेशियों के जीवन को बेहतर बनाने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। बांग्लादेश में लगभग 45 प्रतिशत लोग निर्धन रेखा के नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं और राजनीतिक संकट का समाधान किया जाना चाहिये।
बहरहाल 30 दिसंबर को बांग्लादेश में घोषित चुनाव परिणामों के प्रति बड़े पैमाने पर आपत्ति से न केवल इस देश में जारी राजनीतिक संकट का समाधान नहीं होगा बल्कि वह और विषम रूप धारण कर सकता है। MM