अमरीका और इस्राईल युनेस्को से निकल गए, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बारे में क्या बदल गया है अमरीका का रवैया?
(last modified Tue, 01 Jan 2019 15:15:36 GMT )
Jan ०१, २०१९ २०:४५ Asia/Kolkata
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अमरीका ख़ुद को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का संस्थापक मानता है मगर अब इस्राईल के साथ ही अमरीका ने भी औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ की साइंटेफिक एंड कल्चरल आर्गनाइज़ेशन युनेस्को की सदस्यता छोड़ दी है।

सदस्यता छोड़ने की प्रक्रिया एक साल पहले तब शुरू हुई थी जब इस संस्था ने पूर्वी बैतुल मुक़द्दस पर इस्राईल के क़ब्ज़े की आलोचना की थी।

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अकतूबर 2017 में युनेस्को को छोड़ने का नोटिस दिया था जिसके बाद इस्राईली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने भी यही क़दम उठाया था।

युनेस्को का कहना है कि अमरीका और इस्राईल ने इस संस्था पर पक्षपात का आरोप लगाया है जो पूरी तरह निराधार है। युनेस्को दुनिया भर में एतिहासिक धरोहरों और परम्पराओं की रक्षा के लिए जानी जाती है और अमरीका तथा इस्राईल की समस्या यह है कि उन्हें कोई भी संस्था उसी समय तक उचित नज़र आती है जब वह उनकी इच्छा के विपरीत कोई काम न करे।

अमरीका ने वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र संघ औ सुरक्षा परिषद को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करते हुए इराक़ पर हमला कर दिया था। बाद में सारी हक़ीक़त सामने आ गई कि जिन रासायनिक हथियारों के बहाने अमरीका ने इराक़ पर हमला किया था वह इराक़ में नहीं थे।

अमरीका अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को शुरू से ही अपने स्वार्थों के लिए प्रयोग करता रहा है और जब भी उसे कहीं कोई रुकावट नज़र आई उसने अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को नज़रअंदाज़ करने में देरी नहीं की। अमरीका के इस रवैए पर बहुत से देशों को आपत्ति है और बहुत से देश चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के ढांचे में इस तरह सुधार होना चाहिए कि कोई भी देश उन्हें मनमाने तरीक़े से प्रयोग न कर पाए।

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