आख़िर अवैध इस्राईली शासन में ऐसा क्या है कि हज़ारों बच्चों के हत्यारे नेतन्याहू के साथ खड़ा है अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश?
इस समय दुनिया के ज़्यादातर इंसानों के मन में एक सवाल ऐसा सवाल है कि जिसका जवाब किसी को भी नहीं मिल पा रहा है। सवाल यही है कि आख़िर पश्चिमी एशिया में मौजूद अवैध शासन इस्राईल में ऐसा क्या है कि उसके हर अपराध और विशेषकर उसके द्वारा हज़ारों बच्चों की हत्या किए जाने का बावजूद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कनाडा समेत कई अन्य देश उसका समर्थन करते चले आ रहे हैं। अवैध ज़ायोनी शासन का समर्थन करने के पीछे क्या उनकी मजबूरी है या फिर यह उनकी किसी साज़िशी योजना का हिस्सा है।
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने कहा है कि फ़िलिस्तीनी क्षेत्र ग़ज़्ज़ा में अवैध आतंकी शासन इस्राईल के पाश्विक हमलों के के बीच, अल शिफ़ा अस्पताल में तीन दिन से बिजली आपूर्ति ठप होने की वजह से हालात बहुत ही दयनीय है। इन एजेंसियों के अनुसार, अस्पताल में मौजूद नवजात शिशुओं सहित, और भी अधिक मरीज़ों की लगातार मौतें हो रही हैं। इन एजेंसियों ने युद्धविराम तत्काल लागू किए जाने को अभूतपूर्व रूप से ज़रूरी बताया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी डब्ल्यूएचओ ने रविवार देर रात बताया कि ग़ज़्ज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अल शिफ़ा अस्पताल में समय से पूर्व पैदा हुए 37 बच्चों को, सप्ताहान्त के दौरान, सघन जीवरक्षक सहायता के बिना ही, ऑपरेशन कक्ष में स्थानान्तरित किया गया था, और स्वास्थ्यकर्मी सीमित संसाधनों के साथ कक्ष को गर्म रखने की कोशिश कर रहे थे। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, अल शिफ़ा अस्पताल में अब तक एक दर्जन के ऊपर शिशुओं की मौत हो गई है। WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि "दुनिया ऐसे में मूर्कदर्शक नहीं बनी रह सकती है, जबकि पक्की सुरक्षा के स्थान माने जाने वाले अस्पतालों को, मौत, विनाश और मायूसी के स्थानों में तब्दील किया जा रहा है।"
संयुक्त राष्ट्र ने दोहराया है कि टकराव चाहे कहीं भी हो, मानवीय सहायता कर्मियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, और अस्पतालों व चिकित्सा कर्मियों को, विशेष रूप से, अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत संरक्षण प्राप्त है। लेकिन ग़ज़्ज़ा में जो कुछ इस्राईल द्वारा किया जा रहा है वह पूरी तरह अमानवीय है और अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के ख़िलाफ़ है। संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों की समन्वय एजेंसी ओसीएचए ने बताया है कि अल शिफ़ा अस्पताल में, नवजात शिशुओं की मौत के अलावा, 10 अन्य मरीज़ों की भी मौत हुई है, जबकि तीन नर्सों की मौत, बमबारी और सशस्त्र लड़ाई में हुई है। एजेंसी ने बताया है कि अति महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी नुक़सान पहुँचा है जिसमें ऑक्सीज़न स्टेशन, जल टैंक और एक कुंआ, हृदय चिकित्सा केन्द्र और मातृत्व चिकित्सा कक्ष भी शामिल हैं। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य कई एजेंसियां जो ग़ज़्ज़ा में सक्रिय हैं उन्होंने वहां के हालात को अपने जीवन के सबसे बुरे हालात बताए हैं।
यहां यह सब बताने के पीछे का मक़सद केवल इतना है कि सबसे पहले आप जानें कि ग़ज़्ज़ा में कितनी विषम स्थिति है। संयुक्त राष्ट्र संघ समेत उससे संबंधित एजेंसियों की रिपोर्टें, साथ ही मीडिया संस्थानों और रेड क्रीसेंट की भी रिपोर्टें यह बता रही हैं कि ग़ज़्ज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है। बच्चों के लिए क़ब्रिस्तान बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच जिनके कान पर जूं नहीं रेंग रही है वे हैं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और सबसे महत्वपूर्ण बात तो अरब देश। ज़ोरा सोचें एक देश जो पूरी तरह बर्बाद हो रहा है और उसके स्थान पर एक अवैध शासन अपनी जड़ें मज़बूत कर रहा है, दुनिया में मानवाधिरों और न्याय की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले देश एक अवैध शासन के साथ बेशर्मी के साथ खड़े हुए हैं। आशचर्य की बात तो यह है कि अपनी ग़ैरत के लिए पहचाने जाने वाले अरब भी बेग़ैरती के साथ केवल तमाशाई बने हुए हैं और अपने कार्यों से इस्राईल का समर्थन ही करते हुए दिखाई दे रहे हैं। जहां इस्राईल के समर्थन के पीछे अमेरिका और यूरोपीय एवं पश्चिमी देशों की बात है तो यह माना जाता है कि पश्चिमी एशिया में अशांति ही उनके हितों और लक्ष्यों का हिस्सा है, लेकिन अरब देशों की जहां तक बात है वे तो अपना घर अपने ही हाथों से जला रहे हैं। (RZ)
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