सऊदी अरब से कोई तेल युद्ध नहीं चल रहा, अमरीका पर मौसमी पागलपन सवार हो गया हैः क्रेमलिन हाउस
रूस ने कहा है कि सऊदी अरब से तेल के मुद्दे पर उसका कोई युद्ध नहीं चल रहा है और अमरीका बेवजह बीच में कूदने की कोशिश न करे।
क्रेमलिन हाउस से जारी बयान में कहा गया है कि लगता है कि कोरोना की वजह से अमरीका पर मौसमी पागलपन सवार हो गया है।
वाशिंग्टन ने कहा था कि वह मास्को पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोच रहा है ताकि रूस तेल का उत्पादन कम करे।
तेल की क़ीमतों में भारी गिरवाट की वजह से रूस और सऊदी अरब सहित अनेक तेल उत्पादक देशों का नुक़सान तो हो रहा है लेकिन बहुत बड़ा नुक़सान अमरीका की शेल आयल कंपनियों को हो रहा है क्योंकि शेल आयल का उत्पादन काफ़ी महंगा होता है। स्थिति यह हो गई है कि शेल आयल के क्षेत्र में काम करने वाली कई अमरीकी कंपनियों के दीवालिया हो जाने की आशंका है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने कई देशों के अधिकारियों से तेल संकट के बारे में टेलीफ़ोन पर बात की और कहा कि उचित समय पर वह इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। ट्रम्प ने कहा कि तेल की क़ीमतों में गिरावट आम नागरिकों के लिए तो टैक्स में कटौती की तरह है लेकिन औद्योगिक क्षेत्र के लिए यह विनाशकारी है।
वाल स्ट्रीट जनरल ने रिपोर्ट दी है कि अमरीकी तेल कंपनियों की ओर से अमरीकी सरकार पर दबाव है कि वह तत्काल कुछ करे वरना यह कंपनियां डूब जाएंगी।
इसी बीच तेल व्यापार की कंपनी विटल ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस के चलते और भी यूरोपीय देश लाक डाउन की घोषणा कर सकते हैं जिसके कारण तेल की मांग में दस प्रतिशत से अधिक की कमी आ सकती है। इसका मतलब यह है कि तेल की क़ीमतों में और भी गिरावट होगी। कहा जा रहा है कि तेल 20 डालर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकता है।
कंपनी ने कहा है कि तेल की डिमांड कब तक कम रहेगी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह इस बात पर निर्भर है कि कितने देश कब तक इटली की तरह लाक डाउन करते हैं।