ओपेक प्लस देशों के बीच तेल की पैदावार घटाने पर सहमति, बढ़ने लगे कच्चे तेल के दाम
तेल की पैदावार करने वाले देशों के प्रतिनिधियों के बीच पैदावार घटाने पर सहमति हो जाने की ख़बरें आ रही हैं जिसके बाद विश्व मार्केट में तेल की क़ीमतों में तेज़ी देखने में आई है।
ओपेक प्लस देशों के प्रतिनिधियों के बीच संभावित रूप से यह सहमति हो गई है कि 1 मई से तेल के उत्पादन में प्रतिदिन 10 मिलियन बैरल की कटौती करनी है। रोयटर के अनुसार गुरुवार को कई घंटों की टेलीफ़ोनी कान्फ़्रेन्स के बाद यह सहमति बन सकी है। पहले तो उत्पादन में 10 मिलियिन बैरल की कटौती की जाएगी फिर धीरे धीरे इसे 8 मिलियन बैरल की कटौती के स्तर पर लाकर रोक दिया जाएगा और यह मात्रा वर्ष 2020 के आख़िर तक जारी रहेगी।
अभी ओपेक+ की ओर से इस बारे में कोई एलान नहीं किया गया है बल्कि सूत्रों के हवाले से यह ख़बरें मीडिया में आई हैं।
अमरीका की ओर से सऊदी अरब पर भारी दबाव डाले जाने के बाद गुरुवार की वार्ता हुई है। सऊदी अरब ने रूस के साथ तेल युद्ध शुरू करते हुए बाज़ार में तेल की अतिरिक्त सप्लाई शुरू कर दी थी। रियाज़ सरकार के इस क़दम के बाद ही कोरोना वायरस की महामारी के चलते दुनिया भर में तेल की मांग भी कम हो गई और नतीजा यह निकला कि तेल की क़ीमतें गिरकर 20 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गईं।
तेल की क़ीमतों में गिरावट से सऊदी अरब और रूस दोनों को नुक़सान हुआ क्योंकि दोनों बड़े तेल उत्पादक देश हैं मगर इसका बहुत नुक़सान अमरीका की शेल आयल इंडस्ट्री को पहुंचा।
गुरुवार को वार्ता की ख़बर आते ही तेल की क़ीमतों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। ब्रेंट की क़ीमत बढ़कर 34 डालर प्रति बैरल हो गई और डब्ल्यूटीआई क्रूड की क़ीमत 26.23 डालर प्रति बैरल हो गई मगर जब वार्ता लंबी खिंची तो तेल की क़ीमतों में फिर गिरावट हुई।
अमरीकी तेल उत्पादक कंपनियों के बाज़ार में टिके रहने के लिए ज़रूरी है कि तेल कम से कम 40 डालर प्रति बैरल के रेट से बिके। रूसी राष्ट्रपति पुतीन का कहना है कि यदि तेल की क़ीमत 42 डालर प्रति बैरल तक रहे तो रूस को कोई परेशानी नहीं होगी वहीं सऊदी अरब को भारी बजट घाटे से बचने के लिए ज़रूरी है कि तेल 70 से 80 डालर प्रति बैरल के रेट से बिके।