ज़ारिया शहर में हुए नरसंहार की पांचवी वर्षगांठ, नाइजीरिया के शिया मुसलमान किस स्थिति में हैं?
(last modified Mon, 14 Dec 2020 10:54:15 GMT )
Dec १४, २०२० १६:२४ Asia/Kolkata
  • ज़ारिया शहर में हुए नरसंहार की पांचवी वर्षगांठ, नाइजीरिया के शिया मुसलमान किस स्थिति में हैं?

जब से आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की को जेल में क़ैद किया गया है तब से शेख़ याक़ूब पर नाइजीरिया के शिया मुसलमानों के नेतृत्व ज़िम्मेदारी है। वहीं वहाबियत कि जिसको सऊदी अरब का व्यापक समर्थन प्राप्त है वह नाइजीरिया में लगातार पैर पसार रही है, लेकिन शिया मुसलमानों के मज़बूत इरादों और विश्वास के आगे उसे लगातार पराजय मिल रही है।

नाइजीरिया अफ़्रीक़ी महाद्वीप के सबसे बड़े देशों में से एक है। इस देश की जनसंख्या लगभग 17 करोड़ है। इस देश में 50 प्रतिशत मुसलमान रहते हैं जो अफ़्रीक़ी महाद्वीप के किसी भी देश में सबसे अधिक मुसलमानों की संख्या है। नाइजीरियाई समाज उपनिवेश समाज का एक जीता-जागता उदाहरण है। ब्रिटेन ने 1960 में नाइजीरिया छोड़ते समय स्यवं उसकी अपनी सीमा निर्धारित की और गहरे भाषाई एवं धार्मिक मतभेदों के बीच गृह युद्ध के तौर पर एक बिखरे हुए समाज को पीछे छोड़ गया जो ब्रिटेन की अपनी एक विशेष पहचान है। नाइजीरिया में इस्लाम का उदय 7वीं शताब्दी ईस्वी में लीबिया और सूडान के मुस्लिम व्यापारियों के इस देश में प्रवेश करने के साथ शुरू हुआ। इस्लाम की शिक्षाओं के कारण, यह धर्म जल्द ही उत्तरी नाइजीरिया के क़बीलों के बीच फैल गया। 18वीं शताब्दी में, नाइजीरियाई मुसलमानों ने शेख़ उस्मान डेन फोडियो के नेतृत्व में एक इस्लामी आंदोलन की स्थापना की, जो बाद में इस इस देश में इस्लामिक ख़िलाफ़त के गठन में परिवर्तित हो गया। इस्लामी ख़िलाफ़त नाइजीरिया में लगभग एक शताब्दी तक जारी रही यहां तक की इस ख़िलाफ़त को ब्रिटिश साम्राज्य ने ख़त्म कर दिया।

वहीं नाइजीरिया में शियों का उदय वर्ष 1979  ईस्वी से आरंभ हुआ, जब स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति की जीत हुई। नाइजीरिया में अब तक शियों का उदय तीन अलग-अलग दौरों से गुज़रा है। पहला दौर, वर्ष 1979 से 1994 तक का है, कि जब नाइजीरिया में शिया मुसलमानों की संख्या 500 लोगों तक नहीं पहुंची थी, इसका कारण यह था कि इस देश के लोगों को शिया विचारधारा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। नाइजीरिया में शिया मत का दूसरा ऐतिहासिक काल वर्ष 1994 से शुरू होता है। इस दौर में नाइजीरियाई मुसमानों के बीच मतभेदों उभर कर सामने आने लगे थे। नाइजीरिया इस्लामी आंदोलन और मुस्लिम ब्रदरहुड के बीच टकराव अपने चरम पर पहुंच गया था, जिसकी वजह से इन संगठनों के कई सदस्य शिया विचारधारा की ओर आकर्षित हुए और उन्होंने उसे अपना लिया। इन सदस्यों के शिया मत अपनाने के कारण नाइजीरिया में शिया विचारधारा का प्रसार हुआ और इस देश के आम मुसलमानों को भी इस विचारधारा को जानने का मौक़ा मिला। यह दौर अरब जगत में वर्ष 2011 में आरंभ हुई इस्लामी जागरूकता की लहर की शुरुआत तक जारी रहा। तीसरा दौर नाइजीरिया में शिया मत का वर्ष 2011 ईस्वी से शुरू हुआ जो आजतक जारी है। इस दौर में जो सबसे अहम चीज़ है वह है इस देश के शिया मुसलमानों पर लगातार बढ़ता दबाव और उनका दमन। यह दबाव और दमन दो ओर से है। एक तो नाइजीरिया की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की तरफ़ से और दूसरा शिया विरोधी गुटों की ओर से, कि जिसमें तकफ़ीरी, वहाबी और सलफ़ी विचारधारा के लोग शामिल हैं।

नाइजीरियाई शिया मुसलमान दो नामों से जाने जाते हैं। नाइजीरियाई शिया सीधे रास्ते पर चलने वाले और इमाम ख़ुमैनी (र.ह) के अनुयायी के नाम से प्रसिद्ध हैं। कादूना प्रांत के ज़ारिया शहर को नाइजीरियाई शियों का केंद्र माना जाता है। नाइजीरियाई शिया ज़ारिया शहर के अलावा कानू और लागूस में भी रहते हैं। इस देश के शिया मुसलमान पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का शोक मनाने के अलावा समाचार पत्र, पत्रिकाएं, इंटरनेट साइट्स, ऑडियो और वीडियो कार्यक्रम के ज़रिए अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस देश के शिया मुसलमानों ने स्थानीय भाषा में शिया विचारधारा से संबंधित बहुत बड़ी संख्या में किताबों को भी प्रकाशित किया है। नाइजीरिया में शिया मुसलमानों की सही संख्या का अभी तक सही आंकड़ा नहीं पता है। नाइजीरिया में लगभग 30 लाख से 70 लाख है शिया हैं और कुछ सूत्रों का कहना है कि नाइजीरिया में 1 करोड़ तक शिया मुसलमान हैं। नाइजीरिया में लगातार बढ़ती शिया आबादी ने उसके आस-पास के देशों पर भी असर डाला है। 21वीं शताब्दी के आरंभ से अब तक सेनेगाल की 5 प्रतिशत और माली की एक प्रतिशत आबादी शिया मुसलमान हो गई है। हालांकि कुछ वर्षों पहले तक एक भी शिया मुसलमान इन देशों में नहीं था। इसी तरह गिनी-बिसाऊ नाम का एक अन्य अफ़्रीक़ी देश है जहां पिछले कुछ वर्षों में 7 हज़ार लोग शिया हो गए हैं।

हाल के वर्षों में नाइजीरिया के शिया आंदोलन की ताक़त में आशचर्यचकित रूप से वृद्ध हुई है। नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के सदस्य मोहम्मद मुख़्तार अब्दुल्लाह के अनुसार, इस देश के शिया मुसमलानों की स्थिति भी पिछले पांच वर्षों में बहुत बेहतर हुई है। नाइजीरिया के शिया मुसलमान पहले ही की तरह अपने धार्मिक संस्कारों को अंजाम देते हैं और वे लगातार आगे बढ़ रहे हैं। नाइजीरिया में शिया विचारधारा के फैलाव में आयतुल्लाह शेख इब्राहीम ज़कज़की की अहम भूमिका रही है। इस देश में तेज़ी से होती शिया मत में वृद्धि के कारण नाइजीरिया की सरकार आयतुल्लाह शेख ज़कज़की और इस देश शिया मुसलमानों को अपना शत्रु समझने लगी है। नाइजीरियाई सरकार के इस दृष्टिकोर्ण की शुरुआत वर्ष 2008 से होती है। जब नाइजीरिया के सुन्नी धार्मिक नेता और विश्व मुस्लिम धर्मगुरु संघ के संस्थापक यूसुफ़ अल-क़रज़ावी ने अफ़्रीक़ा में शिया विचारधारा के फैलाव को लेकर चेतावनी दी थी। तभी से नाइजीरियाई सरकार का इस देश के शिया मुसलमानों को लेकर दृष्टिकोर्ण बदल गया था। लेकिन कहा जाता है कि अल-क़रज़ावी की चेतावनी से ज़्यादा यह मामला राजनीतिक भी है।

नाइजीरिया के इस्लामी आंदलोन का सबसे अहम राजनीतिक स्टैंड यह है कि वह इस देश के इस्राईल के साथ किसी भी तरह के संबंध के ख़िलाफ़ है। यह वह विषय है जो तेलअवीव और उसके सहयोगियों के हितों को ख़तरे में डालता है। इसी परिप्रेक्ष्य में जब नाइजीरिया के मुसलमान वर्ष 2014 को विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर मार्च निकाल रहे थे तब नाइजीरियाई सेना ने उस मार्च पर हमला करके दमनात्कम कार्यवाही की थी। इस हमले में आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की तीन बेटों सहित 33 लोग शहीद हुए थे। लेकिन यहीं पर बात ख़त्म नहीं हुई वर्ष 2015 के अंत में जब आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की ने नाइजीरियाई सरकार को एक पत्र लिखकर यह मांग की थी कि वह इस्राईल के साथ अपने संबंधों को समाप्त करे तब इस मांग के जवाब में नाइजीरियाई सरकार ने एक हज़ार लोगों की बड़ी बेरहमी से हत्या करके उन्हें शहीद कर दिया था और साथ ही ज़ारिया शहर में स्थित बक़ीयतुल्लाह नामक इमामबाड़े को भी तबाह कर दिया था। इसके अलावा तब ही से आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की को उनकी पत्नी के साथ जेल में क़ैद करके रखा गया है। अंतः नाइजीरिया के शियों द्वारा आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की क़ैद के ख़िलाफ़ जारी आंदोलन उस समय सफल हुआ जब इस देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फ़ेसले में कहा कि, शेख़ ज़कज़की और उनकी पत्नी को 45 दिनों के अंदर रिहा कर दिया जाए। लेकिन इस न्यायिक आदेश पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। नाइजीरिया के शिया नेता लगातार आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की से मिलने जेल जाते रहते हैं। शेख़ ज़कज़की की आंखे जहां अभी भी गंभीर रूप से घायल हैं वहीं उनकी पत्नी की भी स्थिति अच्छी नहीं है। नाइजीरिया के इस्लामी आंदोलन के एक सदस्य के अनुसार आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की स्थिति उनकी पत्नी के मुक़ाबले में बेहतर है। आयतुल्लाह शेख़ ज़कज़की की पत्नी केवल व्हीलचेयर के सहारे की चल फिर सकती हैं उनका शारीरीक स्वास्थ्य बहुत ही चिंताजनक है। इस बीच विश्व के कई शिया संगठनों ने भी संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की नाइजीरिया के मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है और उसकी निंदा भी की है। (RZ)

 

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