Nov ०९, २०२१ १०:०२ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर-77

 ईरानी शोधकर्ताओं ने अस्पताल की चादरें और कपड़े बनाने में सफलता हासिल की है जो रोगाणुरोधी हैं और यह विशेष प्रकार की शांति भी प्रदान करते हैं।

यह पेटेंट डिजाइन नैनो तकनीक और यूकेलिप्टस के रस का उपयोग करके तैयार की गयी है। यह उत्पादन सर्जरी और चोट के बाद नोसोकोमियल संक्रमण और संक्रमण को कम करने के साथ-साथ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क की वजह से होने वाले संक्रमणों को कम करने के लिए प्रयोग होता है।

शोधकर्ताओं द्वारा निर्मित अस्पताल की चादरें और कपड़े दर्द से राहत देते हैं और अस्पताल में रात को अच्छी नींद लेने में मदद करते हैं। इस शीट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो सूती कपड़ों पर कॉपर नैनोपार्टिकल्स और यूकेलिप्टस के रस अर्क़ से बने होते हैं। इस उत्पाद का उपयोग प्रदूषण और संक्रमण को कम करने, श्वसन प्रदूषण को कम करने और अस्पताल में भर्ती मरीजों को आराम पहुंचाने में मदद के लिए किया जाता है। दर्द से राहत, अस्पताल के कपड़े की प्रणाली में सुधार, सतही संक्रमणों के उपचार में तेज़ी लाने और स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले ख़र्च में बचत, इस उत्पाद के कुछ स्पष्ट लाभ हैं।

एक ईरानी नालेज बेस्ड कंपनी के शोधकर्ताओं ने कैंसर और एमएस के इलाज के लिए छह नई संयोजन दवाओं के लिए कच्चा माल विकसित किया है। नालेज बेस्ड कंपनी के एक शोधकर्ता के अनुसार, पश्चिमी कंपनियों की ओर से ईरान और अन्य विकासशील देशों को उच्च मूल्य वर्धित प्रौद्योगिकी देने में हमेशा रुकावटें पैदा की जाती रही हैं। यही कारण है कि ये कंपनियां केवल उच्च वर्धित मूल्य और उच्च तकनीकी वाले प्रोटीन कच्चे माल के निर्माण और बिक्री को आउटसोर्स करना चाहती हैं। चूंकि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में उत्पादन तकनीक, कुशल जनशक्ति और बाज़ार के लिए ईरान का अपना एक अलग स्थान है इसीलिए ईरान में यह तकनीक तेज़ी से विकसित हो रही है।

 

शोधकर्ताओं के अनुसार, इस नालेज बेस्ड कंपनी की मुख्य प्राथमिकता क्षेत्रीय बाज़ार की जरूरतों को पूरा करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास गतिविधियां अंजाम देना है। इसके साथ ही यह कंपनी इम्यूनोलॉजिकल रोगों, बांझपन के क्षेत्र में बायोसिमिलर उत्पादों को विकसित करने, हार्मोनल विकार और कैंसर जैसे रोगों की रोकथाम में सक्रिय है।

इंटरफेरॉन बीटा -1, पैराथाइरॉइड हार्मोन, पेगीलेटेड फिल्ग्रास्टिम, ग्रोथ हार्मोन, एडालिमैटेब और सिनाल्फ कुछ ऐसी दवाएं हैं जिनका उत्पादन करने में सफलता हासिल की गयी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, दवाओं के निर्माण के लिए प्रयोग होने वाले इस कच्चे माल का उपयोग कैंसर और एमएस दवाओं के उत्पादन में किया जाता है। एमएस या (Multiple Sclerosis) मल्टीपल स्क्लेरोसिस बहुत ही ख़तरनाक रोग है।

एमएस रोग कैंसर से भी भयानक रोग है। जिसके कारण आज पूरे विश्व में लाखों मौतें हो रही हैं। इस रोग के कारण कुछ ही समय में व्यक्ति की असमर्थता बढ़ जाती है तथा अंत में इलाज के अभाव में मृत्यु हो जाती है। अभी तक इस रोग का कोई इलाज भी ढूंढा नहीं जा सका है। जिस कारण जागरूकता ही इस रोग में ज्यादा से ज्यादा बचाव का काम कर सकती है।

 

यह एक सार्वजनिक रोग है। इस रोग में सर्वप्रथम दिमाग व मुख्य स्पाइनल कोर्ड के माइलिन को अपने कब्जे में लेकर रोगी को लकवाग्रस्त कर देता है। इसके अलावा यह मस्तिष्क व मेरू रज्जू की माइलिन क्षतिग्रस्त कर कार्यप्रणाली में अवरोध पैदा कर देता है। जिसके कारण रोगी एक गिलास पानी तक पीने में भी असहाय हो जाता है। अगर किसी को अचानक धुंधला दिखाई देना, शारीरिक अंग में सुन्नपन व झनझनाहट, पेट दर्द, सिर दर्द, अत्याधिक थकान, रोजमर्रा के कार्यो में विघ्न, सुनने, बोलने, चबाने व निगलने संबंधित समस्याएं, शरीर के सभी या एक अंग की अपंगता आदि समस्याएं रह-रहकर होती हैं तो वह व्यक्ति एमएस का शिकार हो सकता है।

 

मल्टीपल स्केलेरोसिस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या सेंट्रल नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को प्रभावित करती है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें एंटीबॉडी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और आंखों के नसों पर प्रभाव डालती है। यह आम तौर पर 10 से 16 साल के आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि, 20 और 30 की महिलाओं को इसका बहुत अधिक ख़तरा होता है। पुरुषों की तुलना में, एमएस महिलाओं में अधिक आम है और यह लोगों को 60 वर्ष की आयु तक प्रभावित कर सकता है। दुनिया भर में लगभग 23 लाख लोग मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) से प्रभावित हैं।

 

मल्टीपल स्केलेरोसिस के सटीक कारण का पता नहीं है। जैसा कि पहले कहा गया, कि एमएस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सेल्स म्येलिन म्यान (myelin sheath) पर आक्रमण करती हैं। यह एक वसायुक्त पदार्थ है जो तंत्रिका कोशिकाओं को कोट करती है और मस्तिष्क में और आवेग (impulse) और उत्तेजनाओं (stimuli) को प्रेषित करने में मदद करती है।

नतीजतन, यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और ऑप्टिक के कामकाज को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है कि, समन्वय और संतुलन में कमी और एक या दोनों आंखों की नज़र चले जाना एमएस के सामान्य लक्षणों में से एक है। इसके अलावा, अलग-अलग लोगों में लक्षण भी अलग-अलग दिखायी दे सकते हैं। आइये अब थोड़ी चर्चा मनोरोग पर करते हैं।

संगीतव्यक्ति की सेवा की जाती हैं। वह व्यक्ति जो मनश्चिकित्सा के क्रार्यक्रम का प्रारूप तय करता है वह प्रशिक्षित व्यक्ति होता है, जिसे नैदानिक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक कहते हैं। जो व्यक्ति यह उपचार करवाता है उसे सेवार्थी/रोगी कहते हैं। मनश्चिकित्सा को अक्सर वार्ता उपचार कहा जाता है क्यों कि ये अंतरवैयक्तिक संपर्क द्वारा प्रदान की जाती है। इस की औषधियां केवल मनोचिकित्सक द्वारा ही दी जा सकती हैं।  यह असामान्य व्यवहारों के कारण एवं विकास का वर्णन करती हैं। इनमें मनोविश्लेषण, व्यवहार चिकित्सा, संज्ञानात्मक-व्यवहार चिकित्सा, सेवार्थी केंद्रित चिकित्सा इत्यादि सम्मिलित हैं। मनश्चिकित्सा एक रूपांकित योजना है, जो कि मनोविकारों की प्रकृति और गम्भीरता को धयान में रखकर तैयार की जाती है।

मनोभाव केंद्रित या आत्मरक्षा-अभिविन्यस्त तरीकों से तनाव का सामना करना लाभकारी सिद्ध नहीं होता, क्योंकि व्यक्ति इसके द्वारा किसी समाधान पर नहीं पहुंचता, बस स्वयं को आश्वासन देने के तरीके ढूंढता है। आत्मरक्षक पद्धतियों का उदाहरण बुद्विसंगत व्याख्या करना है जैसे यह तर्क देना कि सभी विद्यार्थी इसीलिए असफल रहे, क्योंकि परीक्षा-पत्र काफी कठिन था। इसका अन्य उदाहरण है विस्थापन करना जैसे सख्त अध्यापक पर आ रहे क्रोध को अपने छोटे भाई को डांट या मार कर उतारना। यहां आपने क्रोध का विस्थापन किया है।

यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि तनाव से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना चाहिए। सकरात्मक सोच, मनोभावों और क्रियाओं द्वारा सिर्फ तनाव से ही बेहतर तरीके से नहीं निपटा जा सकता है, वरन् इसके द्वारा हम जीवन में अत्यधिक प्रसन्न व हल्का महसूस करते हैं, एवं अधिक योग्य बनते हैं।

टैग्स