Jul २४, २०१६ १४:३४ Asia/Kolkata

चरमपंथी संगठनों की ओर से हालिया वर्षों में होने वाली आतंकी घटनाओं से पता चलता है कि आतंकियों ने पवित्र रमज़ान में विशेष कार्यवाहियां की हैं और टीकाकारों के अनुसार उनकी इस विचारधारा का आधार धर्म के बारे में उनकी कट्टरपंथी विचारधारा है।

पिछले वर्षों में भी हमने पवित्र रमज़ान के महीने में भी कई आतंकी कार्यवाहियां देखी हैं। आतंकी गुट दाइश और उसका स्वयं भू ख़लीफ़ा जो पैग़म्बरे इस्लाम के उतराधिकारी होने का दावा करता है, न केवल यह कि पैग़म्बरे इस्लाम के किसी भी आदेश पर तनिक भी ध्यान नहीं देता बल्कि इस अधिकार को अपने लिए सुरक्षित समझता है कि पूरी ताक़त के साथ और पूरी तीव्रता से, किसी भी वस्तु पर ध्यान दिए बिना, जिस वह दुश्मन समझते हैं, उस पर पवित्र रमज़ान में हमला करें। लगभग एक सप्ताह दस दिन पहले तक रमज़ान का महीना था और दाइश के आतंकियों ने अपने समर्थकों से मांग की थी कि पवित्र रमज़ान को अनेकेश्वरवादियों और काफ़िरों के लिए दुख और दर्द के महीने में परिवर्तित कर दें और इस मांग के ठीक बाद दाइश ने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में फ़्लोरिडा से लेकर फ़िलिपीन तक चार सप्ताहों तक ख़ून की नदियां बहा दीं।

 

दाइश के प्रवक्ता अबू मुम्मद अदनानी ने 31 मिनट के आडियो संदेश में अपने समर्थकों से मांग की थी कि वह पवित्र रमज़ान के महीने में अमरीका और यूरोप पर हमले के लिए तैयार रहें। उसने कहा कि इस प्रकार के हमले सीरिया व इराक़ में युद्ध से अधिक बेहतर और स्थाई होंगे। दाइश के प्रवक्ता ने इसी प्रकार अपने सदस्यों के मनोबल को बढ़ाने का प्रयास किया। इस संदेश में जिसमें यहूदियों और ईसाइयों को संबोधित किया गया है, दुनिया पर क़ब्ज़ा करने के लिए इस गुट के कार्यक्रम के बारे में भी बताया गया। अदनानी ने कहा कि पवित्र रमज़ान जेहाद और और संघर्ष का महीना है। तैयार हो जाओ ताकि इस महीने को काफ़िरों के लिए एक त्रासदी में परिवर्तित कर दिया जाए।

 

 विशेषकर दाइश के लड़ाकों और समर्थकों को पवित्र रमज़ान में अमरीका और यूरोप पर हमले जारी रखने के लिए तैयार रहना चाहिए।  वह छोटी सी कार्यवाही जो तुम अपने देश में रह कर अंजाम देते हो, उस कार्यवाही से बहुत बेहतर है। जो तुम हमारे साथ रहकर अंजाम देते।

उसने इसी प्रकार पिछले वर्ष भी इसी समय अपने साथियों से जो उसके कथनानुसार, शहादत के इच्छुक हैं, पवित्र रमज़ान में अपने नये हमले आरंभ करने की शुभ सूचना दी थी।

 

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष के रमज़ान के महीने में दाइश के हाथों आठ सौ से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, अर्थात प्रतिवर्ष तीस महिलाएं और बच्चे जिनमें से अधिकतर मुसलमान थे और उनका इस पथभ्रष्ट विचारधारा से कोई लेना देना नहीं था, मारे गये। पवित्र रमज़ान के पहले ही दिन दाइश ने सूर्योदय से पहले ही मूसिल सिटी में 65 लोगों को मौत के घाट उतार दिया ताकि यह पूरी दुनिया में रक्त रंजित पवित्र रमज़ान का आरंभ हो।

 

पवित्र रमज़ान की छह तारीख़ को उमर मतीन ने अमरीका के फ़्लोरेडा राज्य के औरलैंड के समलैंगिको के क्लब में अंधाधुंध हमला करके 49 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उसके एक दिन बाद फ़्रांस में एक पुलिसकर्मी को उसकी पत्नी के साथ सड़क पर चाक़ुओं से गोद कर मार डाला गया। इस घटना के बाद तुर्की के अतातुर्क हवाई अड्डे पर तीन आत्मघाती हमलावरों ने हमला कर दिया। यह हमलावर अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी लोगों को मौत के घाट उतार रहे थे और बाद में उन्होंने स्वयं को धमाके से उड़ा लिया और तुर्की के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ख़ून की नदियां बहा दीं। इस हमले में 44 लोग मारे गये जबकि 17 से अधिक लोग अब भी आइसीयू में भर्ती हैं।

 

 इसी प्रकार कुछ दिन पहले ढाका के कूटनयिक क्षेत्र में मौजूद अर्टिसन बेकरी कैफ़े पर हमला कर दिया। हमलावरों ने इस हमले में कई लोगों को बंधक बना लिया और उनमें से जो भी पवित्र क़ुरआन नहीं पढ़ सकता था उसका गला काट दिया गया। आतंकियों ने इस कार्यवाही में एक गर्भवती महिला की गर्दन भी उड़ा दी। इस आतंकी हमले के दौरान एक मुस्लिम लड़के से हमलावरों ने कहा कि वह चला जाए क्योंकि वह मुस्लिम है किन्तु वह अपनी ग़ैर मुस्लिम मित्र को छोड़कर जाने को तैयार नहीं हुआ।

 

दुनिया में पवित्र रमज़ान में सबसे अधिक जिस देश को नुक़सान उठाना पड़ा वह इराक़ था।  दाइश ने सेना के हाथों अपनी पराजय पर पर्दा डालने के लिए पवित्र रमज़ान में राजधानी बग़दाद को कई बार हमलों का निशाना बनाया जिनमें से सबसे रक्तरंजित हमला बग़दाद के अलकर्रादा के मॉल में हुआ। इस आतंकी हमले में 300 से अधिक लोग ज़िंदा जलकर मर गये।  कर्रादा का विध्वंसक हमला, ईद से पहले हुआ जब इराक़ी ईद की ख़रीदारी और तैयारियों में व्यस्त थे।

 

सीरिया में आतंकियों ने पवित्र रमज़ान में बहुत ही जघन्य अपराध किए हैं और दाइश के आतंकियों ने लोगों का जनसंहार किया है। दाइश के आतंकियों ने सीरिया के नागरिकों को जो पवित्र रमज़ान में दाइश के चंगुल से भाग निकलना चाहते थे, पकड़ कर मौत के घाट उतार दिया। सीरिया के ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि सीरिया में दाइश के हाथों मारे गये लोगों की संख्या उससे कहीं अधिक है जिसे मीडिया बयान करता है क्योंकि दाइश ने सीरिया और इराक़ में निर्दोष लोगों को पवित्र रमज़ान के दिनों में दिन में खाने पीने के अपराध में भी मौत के घाट उतारा है।

चरमपंथी संगठनों की ओर से हालिया वर्षों में होने वाली आतंकी घटनाओं से पता चलता है कि आतंकियों ने पवित्र रमज़ान में विशेष कार्यवाहियां की हैं और टीकाकारों के अनुसार उनकी इस विचारधारा का आधार धर्म के बारे में उनकी कट्टरपंथी विचारधारा है।  उन्होंने पिछले वर्षों में ऐसी कार्यवाहियां की हैं जिससे मानवता पानी पानी हो जाती है।  पिछले वर्ष 2015 में रमज़ान के महीने में जब इस देश की रोज़ेदार जनता नमाज़े जुमा पढ़ने में व्यस्त थी, शिया मुसलमानों की एक मस्जिद में एक आत्घाती तकफ़ीरी ने स्वयं को धमाके से उड़ा लिया और इस प्रकार इस हमले में 25 लोग शहीद और दसियों अन्य घायल हो गये।

 

 इससे एक घंटे से भी कम समय में एक सशस्त्र व्यक्ति ने जिसके हाथ में दाइश का काला झंडा था, फ़्रांस के लियोन शहर में एक गैस के कारख़ाने पर हमला किया और एक व्यक्ति की गर्दन काट दी और कई अन्य लोगों को घायल कर दिया। उसके कुछ ही समय बाद ट्यूनीशिया के सूसा राज्य में एक होटल पर सशस्त्र लोगों ने हमला करके 37 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

 

 

2014 में ट्यूनीशिया कुछ चरमपंथियों ने 16 जुलाई वर्ष 2014 बराबर 18 रमज़ान को शोआ नबी के पहाड़ी क्षेत्र में घात लगा कर सेना के गश्ती दल पर हमला कर दिया जिसमें 14 सैनिक मारे गये। इस घटना से पहले इसी क्षेत्र में 18 रमज़ान बराबर 29 जुलाई 2013 को चरपंथियों ने इसी तरह घात लगा कर ट्यूनीशिया के आठ सैनिकों की हत्या कर दी थी। यह दोनों हमले इस्लाम धर्म की पहले युद्ध बद्र युद्ध की वर्षगांठ अर्थात 17 रमज़ान को हुए। यहां पर यह बताना आवश्यक है कि पवित्र रमज़ान का महीना हर देश में चंद्र दर्शन के साथ ही होता है, इसीलिए तारीख़ों में अंतर होता है।

 

 

मिस्र में भी 17 रमज़ान बराबर 5 अगस्त 2012 को उत्तरी सीमा के रफ़ह पास के पास अंसारे बैतुल मुक़द्दस नामक गुट के हमले में 23 सैनिक और एक अधिकारी मारा गया था। यह हमला अपने आप में नया था और आतंकियों ने इस हमले में भारी और आरपीजी जैसे विभिन्न प्रकार के हथियारों का प्रयोग किया था। यह घटना आजकल रफ़ह के पहले जनसंहार के नाम से प्रसिद्ध है। इसी प्रकार आतंकियों ने पहली रमज़ान बराबर 8 जून 2014 को आतंकियों ने तीसरा रफ़ह जनसंहार अंजाम दिया और इस क्षेत्र में घात लगाकर चार सैनिकों को दूसरे रफ़ह जनसंहार की भांति मौत के घाट उतार दिया। 19 अगस्त 2013 को भी 25 सैनिक मारे गये और यह एकमात्र हमला था जो पवित्र रमज़ान में नहीं हुआ।

तकफ़ीरियों के इन पर नज़र डालने से पता चलता है पवित्र रमज़ान के महीने में हम इस्लामी देशों के मध्य शत्रुता की समाप्ति के बजाए भीषण जनसंहार और त्रासदियां होती। अधिकतर यह जनंसहार और त्रासदियां पवित्र रमज़ान के महीने में हुईं जो समस्त मुसलमानों के निकट एक विशेष पवित्रता का स्वामी है। इससे पता चलता है कि हमें एसे लोगों का सामना है जो केवल नाम के ही मुसलमान हैं और वे तनिक भी धार्मिक चीज़ों के महत्व को स्वीकार ही नहीं करते।

 

पवित्र रमज़ान की शुरुआत, दाइश की ख़िलाफ़त की पहली वर्षगांठ है। दाइश ने मूसिल सिटी पर 10 जून को क़ब्ज़ा करने और उसके बाद इराक़ में निरंतर सफलताओं के बाद अपनी ख़िलाफ़त की घोषणा की। इसीलिए वह हर वर्ष इस समयावधि में इस प्रयास में रहता है ताकि अपनी ख़िलाफ़त की वर्षगांठ के अवसर पर अपनी अद्वितीय पाश्विकता और हिंसा का प्रदर्शन करे। यह आतंकी गुट अपनी ख़िलाफ़त की वर्षगांठ को नयी सैन्य सफलताए, धार्मिक स्थलों पर हमले, निर्दोष महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का जनसंहार करके तथा लोगों में भय पैदा करके प्राप्त करने का प्रयास करता है।

 

 पिछले रमज़ान और इस साल के रमज़ान में भी एक ही लक्ष्य था अपने संदेशों की रणनीति को मज़बूत करना। दाइश का हर संदेश दाइश के कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर बल देता है कि ख़िलाफ़त बाक़ी रहेगी और उसका क्रम इसी प्रकार जारी रहेगा, ख़िलाफ़त, प्राचीन ख़िलाफ़तों का वैध उतराधिकार है और इस दावे को सिद्ध करने के लिए उसके पास नई राजधानी है, सांप्रदायिक और धार्मिक युद्ध तेज़ हो गये हैं, समस्त मुसलमानों को एकजुट हो जाना चाहिए, दाइश अपना सैन्य विस्तार कर रहा है।

 

 

दाइश की कुरुतियों और उसके कुप्रचारों को समझने के लिए बहुत अधिक चिंतन मनन की आवश्यकता है। यह प्रक्रिया इससे पहले कि क्षेत्रीय और सांप्रदायिक झड़पों और हिंसाओं का परिणाम हो, कुछ क्षेत्रीय देशों पर छायी विशेष स्थिति का परिणाम है। क्षेत्रीय सरकारों की कमज़ोरी और क्षेत्र में जारी अस्थिरता के सिंहासन पर दाइश विराजमान हो गया और वह कुछ क्षेत्रीय देशों और विचारधाराओं के माध्यम से जिन्होंने चरमपंथी गुटों के विस्तार में अपना हित देखा और दाइश के हथकंडे से लाभ उठानेका प्रयास किया, शक्तिशाली हो गया। इस प्रकार से कि उसे अपने पूर्व और पहले के समर्थकों पर हमले में भी तनिक भी संकोच नहीं है। उदाहरण स्वरूप यद्यपि सऊदी अरब ने इस गुट की वैचारिक, वित्तीय और सामरिक सहायता की और कर रहा है किन्तु यह देश भी यहां तक कि इस देश के पवित्र स्थल और शहर दाइश के हमलों से सुरक्षित नहीं हैं।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस संबंध में सदैव इस बिन्दु को आतंकियों के समर्थकों को याद दिलाया कि कुछ क्षेत्रीय देश वर्तमान समय में तकफ़ीरी गुटों का समर्थन करके सीरिया ओर अन्य देशों में उनके जनसंहार और अपराधों का समर्थन करते हैं किन्तु वह दिन ज़्यादा दूर नहीं जब यह गुट अपने ही समर्थकों के लिए मुसीबत बन जाएंगे और अंत में वह बहुत अधिक पैसा ख़र्च करके इनको रास्ते से हटाने पर विवश हो जाएंगे।  

 

 

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