Dec ०९, २०१७ १४:१४ Asia/Kolkata

सीरिया में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के पवित्र रौज़े की रक्षा करने का संघर्ष अंततः रंग लाया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल सिपाहे पासदरान के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल क़ासिम सुलैमानी ने 21 नवंबर को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई की सेवा में एक पत्र भेजकर सीरिया में आतंकवादी गुट दाइश की समाप्ति की सूचना दी।

ज्ञात रहे कि सीरिया का बूकमाल शहर आतंकवादी गुट दाइश का अंतिम गढ़ था। इस शहर को दाइश से आज़ाद कराके और इस अमेरिकी- जायोनी गुट की पताका को नीचे उतार कर और सीरियाई ध्वज को फहरा कर सीरिया से दाइश के अंत की घोषणा ब्रिगेडियर जनरल कासिम सुलैमानी ने की। सवाल यह है कि आतंकवादी गुट दाइश किस तरह से और क्यों अस्तित्व में आया? यह वह सवाल है जिसे बहुत से विश्लेषक व लोग कर रहे हैं? इस संबंध में विभिन्न दृष्टिकोण पाये जाते हैं परंतु बहुत से विश्लेषक बल देकर कह रहे हैं कि दाइश के अस्तित्व में आने में अमेरिका और इस्राईल की मुख्य भूमिका थी।

इस आधार पर अमेरिका ने इराक पर जो हमला था दाइश के अस्तित्व में आने की भूमिका उसमें खोजी जानी चाहिये। इस दृष्टिकोण के आधार पर इराक में सद्दाम की बासी सरकार के अंत और इस देश में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति के बाद इराक में सुरक्षा का जो बहुत बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया था अलकायदा ने उस अशांत स्थिति का भरपूर लाभ उठाया और अबू मुसअब ज़रकावी नामक बासी गुप्तचर सेवा के एक अफसर द्वारा अलकायदा की एक शाखा का गठन इराक में कर दिया। ज़रक़ावी ने इराक में नई सरकार के गठन को रोकने के लिए विस्तृत पैमाने पर आतंकवादी हमले किये और राजनीतिक व धार्मिक केन्द्रों को लक्ष्य बनाया और काफी शीया- सुन्नी मुसलमानों को शहीद कर दिया।

ज़रक़ावी का जो मिशन था उसे बाद में "इराक में इस्लामी सरकार" शीर्षक के अंतर्गत अबू उमर अलबगदादी  और अबू बकर अलबग़दादी ने आगे बढ़ाया और जब सीरिया संकट आरंभ हो गया तो उसमें सीरिया सरकार शब्द की वृद्धि कर दी गयी यानी “सीरिया-इराक इस्लामी सरकार” नाम रख दिया और आतंकवादी गुट दाइश का गठन हो गया। इस आतंकवादी गुट ने अमेरिका और क्षेत्र के कुछ देशों के समर्थन से इराक और सीरिया के विभिन्न क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया।  दाइश को सऊदी अरब और कतर जैसे क्षेत्र के कुछ देशों का जो समर्थन प्राप्त था उसके कारण उसने जून वर्ष 2014 में इराक के नैनवां, सलाहुद्दीन, अलअंबार प्रांतों और इसी प्रकार दियाला, करकूक यहां तक कि बग़दाद प्रांत के भी कुछ भागों पर कब्ज़ा कर लिया। दाइश कैंसर के फोड़े की भांति तेज़ी से बढ़ा और अमेरिका व इस्राईल ने क्षेत्र के विभाजन और सीरिया व लेबनान में प्रतिरोध को खत्म करने के लिए जो योजना बना रखी थी उसे दाइश ने क्रियान्वित किया। रोचक बात यह है कि आतंकवादी गुट दाइश ने अपने समस्त कृत्यों को इस्लाम का नाम देकर अंजाम दिया जबकि उसके घिनौने अपराधों और अमानवीय कृत्यों से इस्लाम से कोई संबंध नहीं था।

आतंकवादी गुट दाइश ने "इराक और सीरिया में इस्लामी सरकार" का जो नारा दिया था उसके आरंभ में ही इराक और सीरिया में दसियों हज़ार जवान उसके धोखे में आ गये और उसने इराक और सीरिया की लाखों वर्ग किलोमीटर की ज़मीनों, हज़ारों गांवों और प्रांतों के महत्वपूर्ण केन्द्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसी तरह आतंकवादी गुट दाइश ने हज़ारों कारखानों, रास्तों, पुलों, शोधक कारखानों, तेल व गैस के कुओं और विद्तु केन्द्रों आदि पर कब्ज़ा कर लिया या उन्हें तबाह कर दिया। इसी प्रकार जब उसने महत्वपूर्ण नगरों पर कब्ज़ा किया तो उस नगर में मौजूद मूल्यवान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को बम से उड़ा और जला दिया।

आतंकवादी गुटों को हथियार देने वाले अमेरिका और जायोनी शासन ने इस स्थिति से खूब लाभ उठाया, क्षेत्र में छद्म युद्ध और संकट का दिशा- निर्देशन किया और इस्लामी जगत को अपूर्णीय क्षति पहुंचाई।  

आतंकवादी गुट दाइश के तत्व इराक में बहुत तेज़ी से आगे बढ़े और उन्होंने इस देश के पवित्र नगरों कर्बला, नजफ, सामर्रा और काज़ेमैन में स्थित पवित्र रौज़ों को लक्ष्य बनाया। इस आतंकवादी गुट ने जो उत्पात मचा रखा था उससे मुकाबले के लिए इराक के वरिष्ठ शीया धर्मगुरू आयतुल्लाह सैयद अली सीस्तानी ने ऐतिहासिक फतवा दिया। उनके फतवे के बाद स्वयं सेवी बल का गठन हुआ और उसने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस आतंकवादी गुट का मुकाबला करके इराक को बहुत बड़ी मुसीबत से मुक्ति दिलाई।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने भी इस गुट के खतरे का आभास कर लिया था और वरिष्ठ नेता की दूरगामी सोच और इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों की होशियारी के कारण उस संवेदनशील समय में उसने कार्यवाही आरंभ कर दी। इसी परिप्रेक्ष्य में इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इराकी सरकार के समन्वय से सैनिक परामर्श देना आरंभ कर दिया। आतंकवादी गुट दाइश बगदाद के निकट तक पहुंच गया था जहां से सातवें इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम और नवें इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का पवित्र रौज़ा लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर है। उस संवेदनशील समय में आतंकवादी गुट दाइश पर इराक की संयुक्त सेनाओं और स्वयं सेवी बल को सफलता मिली। इराकी सैनिक बगदाद- सामर्रा राजमार्ग को अपने नियंत्रण में लेने में सफल हो गये। उनका यह कार्य सलाहुद्दीन प्रांत के बहुत से क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने की भूमिका बना। इराकी सुरक्षा बलों और प्रतिरोध की कार्यवाही के जारी रहने के कारण 28 दिसंबर 2015 को अलअंबार प्रांत का केन्द्रीय नगर रोमादी आज़ाद हो गया।               

इराक और सीरिया में इस प्रतिरोध का जारी रहना निर्णायक सिद्ध हुआ। आतंकवादी गुट दाइश ने जिन क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था उसके ठिकानों के विरुद्ध कार्यवाही में सभी बलों ने भाग लिया और उसके नतीजे में इराक का फल्लूजा नगर स्वतंत्र हो गया। मूसिल नगर पर आतंकवादी गुट दाइश के तीन साल के कब्ज़े के बाद इराक उन समस्त क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने में सफल हो गया जिन पर दाइश ने कब्ज़ा कर लिया था। इराक में दाइश का अंतिम गढ़ अलकायम नगर था जिसे भी इराकी सुरक्षा बलों और स्वयं सेवी बल के जवानों ने स्वतंत्र करा लिया।

आतंकवादी गुट दाइश ने इस्लाम को बर्बाद करने विशेषकर ईरान की इस्लामी व्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती खड़ी देने के लिए बड़ी योजना बना रखी थी पर उसके अंत से उसकी समस्त योजनाओं पर पानी फिर गया।

अमेरिकी थिंक टैंक रन्ड ने जुलाई वर्ष 2016 को पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मामलों में अमेरिकी विदेशमंत्रालय के पूर्व विशेष प्रतिनिधि  जेम्ज़ डाबिन्ज़ के हवाले से लिखा है कि जब अमेरिका, रूस, सऊदी अरब,तुर्की, ईरान और यूरोपीय संघ के वरिष्ठ कूटनयिक सीरिया संकट के समाधान के संबंध में वार्ता करने और एक कूटनयिक समाधान खोजने के लिए एकत्रित होते थे तो इस चार वर्षीय युद्ध की समाप्ति का मार्ग मिल जाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती थी।

यह थिंक टैंक आगे लिखता है” यह प्रक्रिया वर्षों लंबी खिंच सकती है। इस अवधि में चाहिये कि जिस गुट के पास जो क्षेत्र है उस पर वह शासन करे।“

इसका अर्थ यह था कि अस्थाई रूप से सीरिया का विभाजन हो जाता। इस अमेरिकी थिंक टैंक के अनुसार जिन क्षेत्रों पर दाइश ने कब्ज़ा कर रखा था वहां सीरिया में एकता स्थापित होने तक अंतरराष्ट्रीय सरकार होती।

इस थिंक टैंक के अनुसार कुछ पहलुओं से सीरिया 1945 के जर्मनी की भांति है कि उसका विभाजन अतिग्रहित चार क्षेत्रों में हो गया था और दोबारा जर्मनी को एक होने में 44 साल का समय लगा था। सीरिया के संबंध में भी यही काम किया जा सकता है परंतु सीरिया और इराक का भविष्य अमेरिकी थिंकटैंक के अनुसार नहीं हुआ बल्कि रणक्षेत्र में आतंकवादी गुट दाइश की पराजय से जो दुरगति हुई उससे इराक और सीरिया का भविष्य निर्धारित हुआ।

                          

अमेरिका ने पिछले सात वर्षों के दौरान दो अरब डालर से अधिक का हथियार सीरिया में विद्रोहियों को दिया परंतु आतंकवाद से मुकाबला और सीरिया के दैरूज़्ज़ूर और बूकमाल में मिलने वाली बड़ी सफलता से सीरिया की कानूनी सरकार के विरोधी गुटों और उनके समर्थकों के षडयंत्रों पर पानी फिर गया।

इस आधार पर ईरान के आईआरजीसी के वरिष्ठ कमांडर ब्रिगेडियर जनरल क़ासिम सुलैमानी ने बल देकर कहा कि निश्चित रूप से इराक और सीरिया की सरकारों, इन दोनों देशों की सेनाओं, जवानों, विशेषकर हश्दुश्शाबी और दूसरे देशों के मुसलमान जवानों और सैयद हसन नसरुल्लाह के नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह की सक्रिय उपस्थिति ने दाइश को पराजित करने में निर्णायक भूमिका निभाई है। ब्रिगेडियर कासिम सुलैमानी अपने एक भाषण में कहते हैं” जब सामने वाले पक्ष के लिए युद्ध करने और न करने वाले आम आदमी में कोई अंतर न हो और उसका लक्ष्य केवल इंसानों को मारना हो और मारा जाने वाला कितना ही निर्दोष क्यों न हो तो ऐसी हालत में डिप्लौमेसी का कोई फायदा नहीं है तो इस प्रकार के पक्ष से मुकाबले के लिए जेहाद करना चाहिये।

आतंकवादी गुट दाइश ने जो अपराध अंजाम दिये हैं उनकी याद जनरल कासिम सुलैमानी इस प्रकार करते और कहते हैं”... इस घटना में बहुत से पीड़ादायक ऐसे अपराध अंजाम दिये गये हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जैसे बच्चों का सिर कलम करना, ज़िन्दा 2 लोगों की खाल उतारना वह भी उनके परिवार के सामने, निर्दोष महिलाओं और लड़कियों को बंदी बना लेना और उनके साथ बलात्कार करना, ज़िन्दा- 2 लोगों को जलाना और सैकड़ों जवानों को सामूहिक रूप से मारना। यद्यपि जो क्षति पहुंची है उसकी गणना नहीं की जा सकती परंतु आरंभिक समीक्षा इस बात की सूचक है कि पांच सौ अरब डालर की क्षति पहुंची है।“

इस समय राष्ट्रपति पद पर आसीन एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी कहता है कि इन समस्त अपराधों की योजना उन लोगों व संगठनों ने बनाई और उसे अंजाम दिया जिनका संबंध अमेरिका से है।

ब्रिगेडियर जनरल कासिम सुलैमानी ने जो कुछ कहा है उसकी व्याख्या करने की ज़रूरत नहीं है और वह दाइश द्वारा अंजाम दिये गये अपराधों की गहराई को बयान करता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यह केवल ईरानी, इराकी और सीरियाई राष्ट्र के लिए उपलब्धि व बड़ी सफलता नहीं है बल्कि यह क्षेत्रीय और उन समस्त राष्ट्रों के लिए मूल्यवान उपहार है जिन्होंने असुरक्षा का कटु स्वाद चखा है। सीरिया में आतंकवादी गुट दाइश की समाप्ति राजनीतिक वार्ता, शांति व सुरक्षा और स्थिरता की दिशा में एक नया चरण सिद्ध हो सकती है। सीरिया और इराक में आतंकवादी गुट दाइश की समाप्ति के बाद ईरान, रूस और तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रूस के सूची नगर में एकत्रित हुए ताकि सीरिया संकट के समाधान की दिशा में एक और कदम उठा सकें। बहरहाल सीरिया संकट के समाधान की दिशा में तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के मध्य होने वाली सहमति दाइश के बाद सीरिया में शांति व सुरक्षा स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है परुंतु अभी कठिन रास्ता तय करना बाकी है।

                  

 

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