Jan १३, २०१८ १४:३७ Asia/Kolkata
  • दाइश का उदय से लेकर पतन तक मीडिया द्वारा प्रचार- 1

वास्तविकता यह है कि सोशल मीडिया और साइबर स्पेस ने आतंकवादी गुट दाइश को दूसरों को परिचित कराने की भूमि प्रशस्त की।

इस विषय की गहन समीक्षा की आवश्यकता है कि यह बात कैसे व्यवहारिक हुई। हम कुछ कार्यक्रमों में किसी सीमा तक इस विषय पर चर्चा करेंगे। सबसे पहले हम इस बात की समीक्षा करेंगे कि आतंकवादी गुट दाइश ने किस प्रकार संचार माध्यमों एवं सोशल साइटों का प्रयोग किया परंतु उससे पहले संक्षिप्त रूप से इस बात पर दृष्टि डालेंगे कि यह आतंकवादी गुट अस्तित्व में कैसे आया? इसी लक्ष्य से कार्यक्रम के आरंभ में हम संक्षेप में इस बात की ओर संकेत करेंगे कि यह आतंकवादी गुट बना कैसे?  

 

वर्ष 1999 में अबू मुसअब ज़रक़ावी ने "जमाअते तौहीद और जेहाद" नामक गुट की स्थापना की और दाइश का संबंध इसी गुट से मिलता है और वर्ष 2004 में वह आतंकवादी संगठन अलकायदा से मिल गया। यह गुट इराकी सरकार और इराक में मौजूद अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ़ लड़ता था और वर्ष 2006 में उसने इस्लाम की ओर रुझान रखने वाले कई दूसरे गुटों से गठबंधन कर लिया और "मजलिसे शूराये मुजाहेदीन" नामक परिषद का गठन किया। इस परिषद के गठन को इराक के सबसे बड़े अंबार प्रांत में एक महत्वपूर्ण कार्य समझा जाता था। उस वर्ष 13 अक्तूबर को मजलिसे शूराये मुजाहेदीन ने कुछ दूसरे अतिवादी गुटों से मिलकर "हुकूमते इस्लामी इराक" का गठन किया। अबू अय्यूब अलमिस्री और अबू उमर बगदादी "हुकूमते इस्लामी इराक" के दो अस्ली नेता थे और ये दोनों 18 अप्रैल वर्ष 2010 में अमेरिकी सैनिकों की कार्यवाही में मारे गये और उनकी जगह अबू बकर बग़दादी ने संभाली।

जब अबू बकर बग़दादी तथाकथित हुकूमते इस्लामी इराक का मुखिया बना तो आतंकवादी कार्यवाहियां और हमले और विस्तृत हो गये और सीरिया संकट के आरंभ होने के बाद इस गुट के तत्व सीरिया में भी सक्रिय हो गये।

वर्ष 2011 में सीरिया संकट के आरंभ होने के साथ नुस्रा फ्रंट ने भी दाइश की एक शाखा के रूप में अपने अस्तित्व की घोषणा की और वर्ष 2013 में अबू बकर अलबग़दादी ने एक आडियो संदेश जारी करके अपने और नुस्रा फ्रंट गुट के एक में विलय होने की घोषणा की। इस प्रकार "हुकूमते इस्लामी इराक व शाम" या वही दाइश आतंकवादी गुट अस्तित्व में आया।

आतंकवादी गुट दाइश के तत्व आरंभ में इराक के कुछ प्रांतों विशेषकर अलअंबार में मौजूद थे और वहीं से पूरे इराक में आतंकवादी हमलों व कार्यवाहियों का दिशा- निर्देशन करते थे किन्तु जून वर्ष 2014 में एक अभूतपूर्व कार्यवाही में उसने इराक के नैनवां प्रांत के केन्द्रीय नगर मूसिल पर हमला कर दिया और कुछ ही घंटों में इस नगर पर कब्ज़ा कर लिया। इराक में अधिक क्षेत्रों पर कब्ज़े के साथ दाइश के तत्वों ने सीरिया के रक्का, हलब, रिफे दमिश्क, दैरूज़्ज़ूर, हुम्स, हमा, एदलिब आदि प्रांतों में फैल गये और इन प्रांतों के कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया।

 

कुछ समय के बाद सीरिया में नुस्रा फ्रंट और दाइश के तत्वों के मध्य लड़ाई और  मतभेद आरंभ होने के साथ अलकायदा के मुखिया अयमन अज़्ज़वाहिरी ने अपने गुट और नुस्रा फ्रंट के एक में विलय होने पर आधारित अबू बकर अलबग़दादी के निर्णय को निरस्त कर दिया परंतु दाइश के सरगना को यह बात पसंद नहीं आई इस प्रकार से कि अबू बकर अलबगदादी ने एक आडियो संदेश में घोषणा की कि वह अयमन अज़्वाहिरी के फैसले के खिलाफ है। इस विरोध के बावजूद दोनों गुट एक दूसरे से अलग हो गये और दोनों के मध्य भीषण झड़पें हुईं और दोनों ओर के काफी आतंकवादी मारे गये। मारे गये आतंकवादियों की सही संख्या की घोषणा नहीं की गयी परंतु इस भारी संख्या में वे लोग शामिल हैं जो उन क्षेत्रों में मारे गये जिन पर इन गुटों का कब्ज़ा  था। विस्तृत पैमाने पर हत्या के लिए अबू बकर अलबग़दादी ने जिन शैलियों का प्रयोग किया उनमें से एक यूरोप और अमेरिका से आकर दाइश में शामिल हुए तत्वों का प्रयोग है। अबू बकर अलबग़दादी जंग की ट्रेनिंग की भूमि प्रशस्त करके सीरिया और इराक में दाइश के तत्वों का प्रयोग करता था। अबू बकर अलबग़दादी ने जो कार्यक्रम बना रखा था उसके अलावा कुछ अपने- अपने देश लौट गये और जो अनुभव उन्होंने हासिल किया था उसके दृष्टिगत आतंकवादी हमले व कार्यवाहियां अंजाम दी। दाइश के आतंकवादियों को इस प्रकार से प्रशिक्षण दिया जाता था कि उनके अंदर रहम, दया और मानवता नाम की कोई चीज़ नहीं रह जाती थी।

आतंकवादी गुट दाइश के दावे के अनुसार उसकी सरकार खिलाफत थी। उसमें सर्वोत्तम पद खलीफा, उसके सहायक, सशस्त्र सेना और खुफिया तंत्र के थे। आतंकवादी गुट दाइश ने कानून बनाने या उसे लागू करने के लिए कुछ विभाग बना रखा था और उन सबका संचालन व प्रबंधन विचित्र ढंग से होता था। आतंकवादी गुट दाइश के तत्व स्वयं को सुन्नी जेहादी गुट बताते थे और उनका कहना था कि वे बहुराष्ट्र पर आधारित इस्लामी सरकार का गठन करना चाहते हैं।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादी गुट दाइश के बजट के एक भाग की आपूर्ति तस्करी, गुंडा टैक्स और दूसरे अवैध कार्यों से होती थी। कुछ अनुमानों के अनुसार मूसिल नगर पर कब्ज़ा करने से पहले तक दाइश की हर महीने की आय 80 लाख डालर से अधिक थी पर जब दाइश ने इराक के मूसिल नगर पर कब्ज़ा कर लिया तो वहां के बैंकों में मौजूद कम से कम 43 करोड़ डालर को भी हड़प लिया। इसी प्रकार दाइश ने जिन क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर रखा था वहां निकलने वाले तेल से हर महीने चार करोड़ डालर की उसकी आमदनी होती थी। आतंकवादी गुट दाइश ने बंदियों और अपने दुश्मनों के लिए अदालत कायेम कर रखी थी और बड़ी ही निर्ममता से उनकी हत्या करता था। दाइश जिन लोगों की हत्या करता था उनमें अधिकांश आम नागरिक होते थे। वाशिंग्टन में जेहादी गुटों के अध्ययन केन्द्र के विशेषज्ञ एरेन ज़ेलिन aaron zellin का मानना है कि यह गुट संदेशों को पहुंचाने के लिए सोशल साइटों और ट्वीटर जैसे आधुनिकतम तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करता था। यही चीज़ इस बात का कारण बनी कि पश्चिम से दो हज़ार तत्व इस गुट में शामिल हो गये। एरेन ज़ेलिन aaron zellin के कथनानुसार दाइश सोशल साइटों में अपने झूठे पक्षधरों को बनाने में उस्ताद था।

वर्तमान समय में तकनीक से लाभ उठाने के दृष्टिगत आतंकवादी गुट दाइश ने “अलएतेसाम” नामक सूचना केन्द्र की स्थापना की। इसके अलावा 10 टीवी चैनल और तीन रेडियो की स्थापना की। इसी प्रकार आतंकवादी गुट दाइश ने इंटरनेट पर अरबी और अंग्रेज़ी भाषा में “दाबिक” जैसी कई पत्रिकाओं को प्रकाशित किया। ज्ञात रहे कि दाबिक सीरिया के एक शहर का नाम है। प्रसिद्ध पुस्तक “सहीह मुस्लिम” में दाबिक़ एक शहर का नाम है जिसमें अंतिम ज़माने का एक युद्ध होगा।

दाइश लोगों को लुभाने व आकर्षित करने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करता था और अपने विचारों के प्रचार- प्रसार के लिए पत्रिकाओं एवं साइटों का इस्तेमाल करता था। इंटरनेट और सोशल साइटों पर दाइश अपने आपको एसा गुट बताता था जो अन्याय, और वंचितता के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। हालों और विभिन्न स्थानों पर दाइश जो वार्तायें करता था उसने बहुत से यूरोपीय युवाओं को इस गुट में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बहुत से अवसरों पर इन हालों में जाने या दाइश की सदस्यता ग्रहण करने के लिए एसी प्रक्रिया को तय करना पड़ता था जिससे इस आतंकवादी गुट के प्रति वफादारी सिद्ध हो जाये। समान सोच रखने वाले लोग इन हालों में विचारों का आदान- प्रदान करते थे। इसी प्रकार इन हालों में होने वाली वार्ताओं में भाग लेने वालों, इसके सदस्यों और उनके पक्षधरों के मध्य छोटी-2 पुस्तिकाएं और प्रशिक्षण की सीडियां बांटी जाती थीं।

इंटरनेट की दुनिया में बहुत सक्रिय होने के कारण इस आतंकवादी गुट ने अपने ताने- बाने को अच्छे से अच्छे नेटवर्क में बदलने का प्रयास किया। इंटरनेट और सोशल साइटों के कारण यूरोपीय यूज़र्स के लिए यह संभावना उपलब्ध हो गयी कि वे अपने विचारों और गतिविधियों को इस गुट के साथ शेयर्स कर सकते थे। दाइश भी संदेश, तस्वीर, ग्रैफिक, और आवाज़ आदि से सोशल साइटों के माध्यम से अपने विचारों को प्रसारित कर सका। इंटरनेट  के माध्यम से दाइश ने जो प्रचार किया उसे काले प्रचार का नाम दिया जा सकता है। इन अर्थों में कि उसने गलत और झूठा प्रचार करके और वास्तविकताओं में हेरा -फेरी करके उसे यूरोपीय युवाओं के सामने पेश किया। थोड़ी सी सच्चाई का विशेष व संचार माध्यमों की जटिल तकनीक के साथ प्रयोग, विदेशी पत्रकारों को दुश्मन बताना और कभी- कभी उनकी गर्दन उड़ाना संचार माध्यमों के क्षेत्र में दाइश की कार्यवाही रही है। इसी बीच दाइश हालीवुड की भांति फिल्में दिखाता था और इन फिल्मों ने यूरोपीय युवाओं को अपनी ओर खींचने में दाइश के हथकंडे की भूमिका निभाई। इन फिल्मों में दाइश के तत्वों के जीवन को साधारण दिखाया जाता था परंतु जब उसके सदस्य उन लोगों से प्रतिशोध लेते थे जिन्हें वे अपना दुश्मन समझते थे तो उस वक्त की स्थिति बिल्कुल भिन्न होती थी। दाइश जो फिल्में प्रसारित करता था उसके अलग- अलग लोगों के लिए अलग 2 संदेश होते थे। जैसे वतन छोड़कर पलायन करने का संदेश और इसी प्रकार उस शांतिपूर्ण ज़मीन में चले जाने का संदेश जहां दाइश के दावे के अनुसार इस्लामी खिलाफत थी। दाइश जो फिल्में प्रसारित करता था उनमें इस प्रकार के विषयों को देखा जा सकता था। इसी प्रकार उसकी कुछ फिल्में हिंसा और भय से भरी होती थीं। उनमें लोगों की गर्दन मारते दिखाया जाता था और देखने वाला दाइश की विनाशकारी शक्ति से प्रभावित हो जाता था। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि दाइश के प्रचार के जो संदेश होते थे उससे लगता था कि जैसे यह आतंकवादी गुट अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रहा है और स्वयं का परिचय इस्लामी खिलाफत के प्रतीक के रूप में करता था और उसने इस चीज़ के ज़रिये विभिन्न देशों में हिंसा की ओर रुझान रखने वाले युवाओं को अपनी ओर खींचने की प्रक्रिया को गति प्रदान कर दी।

दाइश ने अपने प्रचार में अलकायेदा की शैली का अनुसरण किया। इस अर्थ में  कि हिंसा और आदर्श नगर का चित्रण एक साथ इस प्रकार किया कि दोनों गुटों को अपनी ओर खींच सके। यह दो गुट इस प्रकार थे। एक अतिवादी था और दूसरे जो हिंसा प्रेमी ज़रूरतों को पूरा करने की चेष्टा में था। आतंकवादी गुट दाइश के संदेश इस प्रकार थे जिससे यूरोपीय युवा और महिलाएं उसकी ओर आकर्षित हो जाती थीं। आतंकवादी गुट दाइश ने इंटरनेट और सोशल साइटों पर जो प्रचार किया था उससे प्रभावित होकर जिन लोगों ने अपने परिवार और देश को छोड़कर दाइश में शामिल हो गये तो इन्हीं लोगों ने कुछ वर्षों ही इस आतंकवादी गुट के सैनिक के रूप में निर्दोष लोगों की हत्या की और विभिन्न प्रकार के भयावह अपराध अंजाम दिये।

 

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