Jan २१, २०१८ १३:११ Asia/Kolkata

कुछ राजनैतिक और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि दाइश ने मीडिया को युद्ध के हथियार के रूप में प्रयोग किया।

मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि जनवरी वर्ष 2015 में दाइश द्वारा जार्डन के पायलट को जलाकर मारने की घटना को बहुत ही बेहतरीन ढंग से सात प्रोफ़ेशनल कैमरों से फ़िल्माया गया था। इसी प्रकार इस घटना से पहले जून 2014 में इराक़ की स्पाइकर हवाई छावनी के कैडिटों के सामूहिक जनसंहार की ओर भी संकेत किया जा सकता है, इस घटना में दाइश ने सैकड़ों कैडिटों की हत्या करके उनके शव नदी में बहा दिए थे। अलबत्ता घटना यहीं पर नहीं रुकी और यह विषय मिस्र और लीबिया तक पहुंच गया और दाइश ने मीडिया प्रोपेगैंडा विभिन्न माध्यमों से शुरु कर दिया था और कुछ टीवी चैनल उसका अनुसरण कर रहे थे।  दाइश अपने फ़ोटोज़ और मीडिया के माध्यम से संपर्क बनाए हुए था ताकि स्वयं की समझ में अपनी सफलताओं को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचा सके और इसके लिए उसे कुछ ख़र्च भी नहीं करना पड़ता था। इस प्रकार से दाइश के विचारों के प्रचार व प्रसार में मीडिया एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने लगे, एक दूसरे को नीचा दिखाने लगे और दाइश ने अपना लक्ष्य जो प्रसिद्ध होना था, प्राप्त कर लिया और लोगों के गले काटने और ज़िंदा जलाने की तस्वीरें उनके गर्व का कारण बन गयीं।

 

अलबत्ता यह विषय केवल टेलिविजन नेटवर्क पर ही निर्भर नहीं है बल्कि सोशल मीडिया ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है क्योंकि दाइश ने सोशल मीडिया को विभिन्न भाषाओं में अपने विचारों को फैलाने और विदेशी अनुयाइयों को आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया। यही कारण है कि बहुत से जवान यूरोप से लेकर एशिया तक इसी माध्यम से सीरिया और इराक़ तथा दूसरे देशों में इस गुट से जुड़ गये।

सऊदी अरब ने इराक और सीरिया में अपने पेट्रो डालर की तिजोरी इस गुट के लिए खोल दी और उसका केवल एक ही लक्ष्य था वहाबी विचारधाराओं और लक्ष्यों को सफल बनाना। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार दाइश के पास मीडिया की नवीन तकनीकें कैसे पहुंचीं? इस बारे में यह कहा जा सकता है कि सऊदी अरब ने दाइश के मीडिया को सक्रिय करने में सहायता करने के लिए अपने टीवी चैनलों के कुछ विशेषज्ञों और इन्जीनियरों को इराक़ के मूसिल शहर भेजा और फ़ुरक़ान नामक दाइश की मीडिया संस्था की जिम्मेदारी स्वयं सऊदी अरब पर थी। इसी प्रकार दाइश से जुड़े मीडिया के प्रबंधक भी सऊदी अरब के सलफ़ी थे क्योंकि वह ज़बरदस्त अरबी बोलते थे। उन्होंने अबू बक्र अलबग़दादी की ख़िलाफ़त को सिद्ध करने के लिए कई कार्यक्रम पेश किए और भाषण दिए।

 

कुवैत टीवी चैनल के पत्रकार और कार्यालय के प्रमुख अहमद सामी का कहना है कि एक फ़ोटो, हज़ारों शब्दों का विकल्प है और कितना अच्छा हो कि हाथ में ऐसे फ़ोटो, वीडियो और साधन हों जो अपने दृष्टिकोणों और आस्थाओं को फैलाने के लिए हो, इन हालात में विषय की व्याख्या की आवश्यकता ही होती हैं। यह ठीक उसी तरह की शैली है जिससे दाइश ने लाभ उठाया और कुछ संचार माध्यमों ने अनचाहे में ही सही दाइश की इस लक्ष्य में सहायता की। जैसा कि हम जानते हैं कि क्षेत्रीय देशों में मीडिया और टीवी चैनलों की संख्या कम तो नहीं हैं। यह मीडिया हर घर में प्रविष्ट हो गया और दाइश भी मीडिया द्वारा घरों में दाख़िल हो गया।

मीडिया के क्षेत्र के इस शोधकर्ता का कहना है कि इस संबंध में कुछ संचार माध्यमों ने एक दूसरे से मुक़ाबला किया कि कौन मीडिया दाइश के अपराधों को सबसे पहले करवेज दे रहा है और मामला यहां तक पहुंच गया कि दाइश की न्यूज़ एजेन्सी आमाक़ की ओर संचार माध्यम समाचारों की पुष्टि के लिए रुख़ करते थे।

इस गुट ने वर्ष 2014 में एक कम्यूटर गेम बनाया जिसमें दुश्मनों से मुक़ाबले के लिए सैन्य शैली को प्रयोग करते हुए दिखाया गया है। इस गेम का नाम सलील अस्सवारिम रखा गया जिसका अर्थ होता है तेज़ धारदार तलवारें। इस गेम को प्रसिद्ध कम्यूटर गेम जीटीए की तरह बनाया गया था जिसमें यूज़र्स को धमाका करने, मोर्चा बनाने, हमला करने और फ़ायरिंग करना सिखाया जाता है। इस गेम का हीरो दाइश का सदस्य है जिसका दुश्मन इराक़ी और अमरीकी सैनिक बताए गये हैं।

उसी समय सऊदी अरब और फ़ार्स की खाड़ी के देशों के समाचार पत्रों ने यह समाचार बयान करते हुए इस गेम के बारे में विस्तार से अपने संस्करणों में छापा। सऊदी अरब के सांस्कृतिक मंत्रालय से जुड़े समाचार पत्र आजिल ने यह ख़बर प्रकाशित करते हुए लिखा कि यह गेम बनाने का लक्ष्य, दाइश का मनोबल बढ़ाना, विरोधियों के दिलों में भय पैदा करना और पश्चिम से संघर्ष के लिए युवाओं और बच्चों को प्रशिक्षण देना है।

खेल एक वार्निंग लेटर से शुरु होता है। जो आप खेलेंगे वह वही चीज़ है जिसे हम वर्तमान समय में मैदाने जंग में अंजाम दे रहे हैं। दाइश ने शार्ट एडवर टाइज़िंग फ़िल्म के माध्यम से इस गेम के कुछ भाग को इन्टरनेट पर अपलोड कर दिया जिसका मुख्य उद्देश्य विरोधियों और पश्चिम के विरुद्ध लड़ने के लिए युवाओं और बच्चों में जोश भरना है। इस फ़िल्म में उन समस्त दृश्यों, शैलियों और कार्यवाहियों को दिखाया गया था जिसे दाइश अपने विरोधियों के विरुद्ध प्रयोग करता था। यह वीडियो गेम धमाकों, सैन्य टकराव और मोर्चे से फ़ायरिंग से शुरु होती है और पूरे गेम के दौरान दाइश के सदस्यों की आवाज़ें सुनी जा सकती हैं। इस गेम में जगह जगह पर अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर के नारे सुनाई देते हैं। इस वीडियो में दाइश के एक सदस्य के विरोधी को कोड़े मारते हुए, सिर काटते हुए और गाड़ियों में धमाके करते हुए दिखाया गया है। पूरे गेम के दौरान दाइश के लोग दिखाई देता हे और पूरे गेम में केवल जेहाद की बातें होती हैं।

इस आतंकवादी गुट ने मोबाइल के लिए भी एक "फजरुल बशाएर" नामक एप्स भी बनाया है जो अरबी भाषा में था। इसे स्मार्ट फ़ोन्स पर अपलोड किया जा सकता है जो आटोमैटिक रूप से दाइश की समस्त ख़बरें यूज़र्स तक पहुंचाता था।  इस एप्स को प्रयोग करने के अतिरिक्त आप इसको दूसरों तक भेज सकते हैं और दूसरों को शेयर कर सकते हैं।

इस आतंकवादी गुट ने कम्प्यूटर गेम और नई तकनीकों के माध्यम से बहुत अधिक संबोधक बना लिए और उसने इस तकनीक को अपने अपराधों का वीडियो बनाने के लिए भी प्रयोग किया। पिछले वर्ष भी आतंकवादी गुट दाइश ने लोगों के जनसंहार और इराक़ी सेना पर हमले के लिए फ़र्स्ट मैन कम्प्यूटर गेम की शैली का प्रयोग किया। फ़ल्लूजा की झड़पों के दौरान दाइश के एक व्यक्ति ने अपने हेलमेट पर जीओपीआरओ कैमरा लगाकर इराक़ी सेना पर हमले को फ़िल्माया और कम्पयूटर गेम तैयार किया। यह वीडियो रणक्षेत्र और दाइश के सदस्यों की कुछ तस्वीरों के साथ शुरु होती है और झड़पों के आरंभ में ही इमारतों में धमाके और फ़ायरिंग की फ़ोटो, दाइश के सदस्य के हेलमेट में लगे कैमरे से ली गयी है।

मीडिया के क्षेत्र में दाइश की व्यापक गतिविधियों के कारण दुनिया के कुछ संचार माध्यमों के विशेषज्ञों ने इस गुट के अस्तित्व को दुनिया ही नहीं बल्कि मानवता के लिए ख़तरनाक बताया । उदाहरण स्वरूप पोलैंड के प्रसिद्ध नाट्य मंच निर्माता डिस्ट्रिक्टिव क्रिएशन ने वर्ष 2020 में यूरोप पर दाइश के हमल की सूचना दी। इस स्टूडियो ने वर्ष 2016 में एक कम्प्यूटर गेम बनाया और मार्किट में भेजा और फिर उस पर राजनैतिक हल्क़ों में चर्चा होने लगी। इस गेम का नाम आईएस डिफ़ेंस है। इसमें वर्ष 2020 में अफ़्रीक़ा में दाइश की फ़त्ह और यूरोप पर उनके व्यापक हमले को फ़िल्माया गया है।

इस गेम में खिलाड़ी नैटो के सैनिकों के रूप में इस गुट के साथ युद्ध करता है और उसकी ज़िम्मेदारी स्नाइपर की होती है ताकि वह शहर और शहर के बाहर विभिन्न स्थानों पर दाइश की घुसपैठ को रोक सके। आईएस डिफ़ेंस नामक फ़िल्म इस बारे में अच्छा और मज़बूत गेम नहीं समझा जाता जिसमें बहुत सी कमज़ोरियां पायी जाती हैं किन्तु यह गेम यह बताता है कि मीडिया इस गुट से कितना भयभीत रहता है।

डिस्ट्रिक्टिव क्रिएशन के प्रबंधक जारूसला ज़िलेन्सकी पोलैंड की पत्रिका गोटस जिमिनी से बात करते हुए कहते हैं कि मैं समझता हूं कि दाइश यूरोप पर निश्चित हमला करेगा और यह जल्दी होगा। वे मध्यपूर्व युद्ध से थक गये हैं, हमले और क़ब्ज़े के लिए यूरोप उनके लिए सरल लक्ष्य होगा, वर्षों से अमरीका, उत्तरी कोरिया और ईरान को यूरोप के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताता रहा है जबकि सबसे नया ख़तरा तो दाइश है न यह देश।

यह बात सही है कि इस वीडियो गेम में यूरोप पर दाशइ के हमले के समय का निर्धारण बहुत से लोगों के हिसाब से एक अनुमान है किन्तु समय बीतने के साथ साथ यह सिद्ध हो गया है कि दाइश यूरोप के लिए भी गंभीर ख़तरा है और वर्ष 2020 से पहले तक यह आतंकवादी यूरोपीय मीडिया में दिखाए जाने से पहले ही सड़कों पर दिखाई दिए।

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