Mar १२, २०१८ १४:२७ Asia/Kolkata

हमने अध्ययनकर्ताओं की सूचनाओं के आधार पर तीसरी सहस्त्राब्दी के पहले दशक में ईरान पर विज्ञान के उत्पादन की स्थिति की समीक्षा की थी और संसार में विज्ञान के विश्वस्त केंद्रों के आंकड़ों से लाभ उठा कर यह बताया था कि इस काल में ईरान में ज़बरदस्त विकास हुआ।

इसी तरह विश्व में विज्ञान के उत्पादन में देशों की भूमिका की सही भूमिका के चित्रण के लिए पाकिस्तान, मिस्र, तुर्की, सीरिया व सऊदी अरब जैसे कुछ क्षेत्रीय देशों के वैज्ञानिक उत्पादों से ईरानी वैज्ञानिकों के प्रयासों की तुलना की थी। इस आधार पर ईरान ने संसार में विज्ञान के उत्पादन में न केवल यह कि प्रभावी भूमिका निभाई है बल्कि वह विज्ञान के उत्पादन के अनेक क्षेत्रों में इन देशों से आगे निकल चुका है। इस बात के दृष्टिगत कि विज्ञान व तकनीक के पार्कों व केंद्रों का गठन देशों के वैज्ञानिक विकास के मानकों में से एक है, इस कार्यक्रम में हम ईरान में इन पार्कों व केंद्रों के विकास की प्रक्रिया की समीक्षा करेंगे, हमारे साथ रहें।

 

विज्ञान व तकनीक के पार्क व केंद्र इस क्षेत्र के विकास, नालेज बेस्ड अर्थ व्यवस्था की मज़बूती और रोज़गार सृजन के प्रभावी तत्वों में शामिल हैं। आज रोज़गार के विश्व विद्यालयों के रूप में यूनीवर्स्टियों की तीसरी पीढ़ी के विस्तार के साथ ही विशेषज्ञ इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि विज्ञान को तकनीक के सहारे पूंजी में बदल दें और अपने देश की अर्थ व्यवस्था को वैज्ञानिक आधारों पर स्थापित करके इस दौड़ में दूसरों से आगे बढ़ जाएं। यही कारण है कि इस विचार के क्रियान्वयन के एक अहम आयाम के रूप में विज्ञान व तकनीक के पार्कों व केंद्रों के गठन को देशों के वैज्ञानिक कार्यक्रमों व नीतियों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो गया है। ये केंद्र तकनीक की छोटी व औसत कंपनियों की पेशेवराना उपस्थिति और उनका काम जारी रखने और साथ ही शोध केंद्रों के विकास के लिए उचित माहौल उपलब्ध करा सकते हैं। विज्ञान व तकनीक के इन पार्कों व केंद्रों का मुख्य लक्ष्य नालेज बेस्ड कंपनियों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से समाज की पूंजी में वृद्धि करना है। इन केंद्रों में जो अहम काम होते हैं उनमें बाज़ार की स्थिति पर नज़र रखना, वैज्ञानिक खोज, नई योजनाएं पेश करना, मानकों के अनुसार काम करना, तकनीकी उत्पादन और योजनाओं का रजिस्ट्रेशन व उनका व्यापारीकरण इत्यादि शामिल हैं।

ईरान का वैज्ञानिक मानचित्र, इस देश में वैज्ञानिक नीतियों व कार्यक्रमों का सबसे अहम दस्तावेज़ है। यह मानचित्र लगभग दो दशक पहले देश में विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में कार्यरत सभी संस्थाओं के सहयोग से और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विचारों से तैयार और पारित किया गया था। इस दस्तावेज़ में ईरान के अहम वैज्ञानिक लक्ष्यों में से एक और नालेज बेस्ड अर्थव्यवस्थ के एक आधार के रूप में विज्ञान व तकनीक के पार्कों व केंद्रों के विकास पर बल दिया गया है। विज्ञान व तकनीक के मानकों में परिवर्तन की प्रक्रिया नामक किताब में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2001 में ईरान में विज्ञान व तकनीक का केवल एक पार्क था लेकिन उसके एक ही साल बाद यह संख्या 8 तक पहुंच गई। अगले बरसों में विज्ञान व तकनीक के पार्कों व केंद्रों में विकास की प्रक्रिया में अधिक गति आई और वर्ष 2013 में यह संख्या 33 तक पहुंच गई। विज्ञान व तकनीक के पार्कों व केंद्रों की संख्या में वृद्धि के साथ ही ईरान में विज्ञान व तकनीक के विकास के केंद्रों में भी ध्यान योग्य बढ़ोतरी हुई है।

 

विज्ञान व तकनीक के विकास के केंद्र, नालेज बेस्ड अर्थव्यवस्था के मानकों और तकनीक युक्त रोज़गार सृजन के साधनों में से एक हैं। ये केंद्र दक्ष व पेशेवर लोगों की निगरानी में उन लोगों को, जो तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं और व्यापारिक रूप में ढलने की क्षमता रखने वाली नई नई सोच रखते हैं, उचित सेवाएं, उपकरण और परामर्श उपलब्ध कराते हैं और उन्हें तकनीक के क्षेत्र में स्थायी व प्रभावी उपस्थिति के लिए तैयार करते हैं। यह जानना रोचक होगा कि वर्ष 2001 में ईरान में विज्ञान व तकनीक के विकास का केवल एक केंद्र सक्रिय था और एक ही साल बाद यह संख्या 17 तक और पांच साल बाद 43 तक पहुंच गई और अगले दशक में इन केंद्रों की संख्या 131 तक पहुंच गई।

विज्ञान व तकनीक के केंद्रों व पार्कों में स्थित कंपनियों की संख्या भी ईरान में रणनैतिक अध्ययन व खोजों के व्यापारीकरण के मानकों में से एक है। आंकड़ों के अनुसार ईरान में वर्ष 2003 में यह संख्या 676 थी जो वर्ष 2012 में बढ़ कर लगभग तीन हज़ार तक पहुंच गई। दूसरे शब्दों में लगभग छः साल में इन कंपनियों की संख्या चार गुना से अधिक हो गई है। देशों के वैज्ञानिक विकास का एक और आंशिक मानक स्टार्ट अप कंपनियों की संख्या, पूंजी निवेश करने वाली कंपनियों की संख्या, विज्ञान व तकनीक के विकास के केंद्रों में पैदा की जाने वाली अहम तकनीकों की संख्या, निर्यात की जाने वाली तकनीकों की संख्या और इसी तरह नालेज बेस्ड उत्पादनों के निर्यात की संख्या है। इसी कारण ईरान के विज्ञान, अनुसंधान व तकनीकी मंत्रालय ने शोध, अनुसंधान व तकनीक के विकास के लिए इन पार्कों में कार्यरत नालेज बेस्ड कंपनियों के लिए विशेष स्थान बनाए हैं। इन विशेष स्थानों का एक मुख्य लक्ष्य, विज्ञान पर आधारित समूहों को एक जगह इकट्ठा करना और अंतर्राष्ट्रीय मंडियों में इनकी गतिविधियों के लिए मार्ग प्रशस्त करना है।

वर्ष 1994 में विज्ञान व तकनीक के विकास के केंद्रों व पार्कों में तैयार की गई तकनीकों की संख्या 723 थी लेकिन यही संख्या वर्ष 2014 में 1086 हो गई और वर्ष 2015 में बढ़ कर 1587 तक पहुंच गई। इसके अलावा इन पार्कों व केंद्रों में तैयार होने वाले तकनीकों में से वर्ष 2013 में 32 और वर्ष 2014 में 37 तकनीकें निर्यात की गईं। वर्ष 2013 में नालेज बेस्ड कंपनियों के एक करोड़ चालीस लाख डालर के उत्पादों को निर्यात किया गया जबकि दो ही साल बाद यह आंकड़ा बढ़ कर पांच करोड़ डालर तक पहुंच गया। इन सबके साथ ही ईरान में विज्ञान व तकनीक के केंद्रों व पार्कों के खोजकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने वर्ष 2013 से 2015 के बीच लगभग 5 हज़ार आविष्कार रजिस्टर कराए हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि ईरानी वैज्ञानिकों ने विज्ञान के इन पार्कों व केंद्रों में अपने प्रयासों से ज्ञान व तकनीक के उत्पादन में क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरान की पोज़ीशन बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्हीं के प्रयासों से इन बरसों में क्षेत्र और इस्लामी जगत में ईरान की वैज्ञानिक पोज़ीशन दूसरे से पहले स्थान पर पहुंच गई।

मानक निर्धारण संस्था आईएसआई के आंकड़ों के अनुसार वैज्ञानिक लेखों के उत्पादन की दृष्टि से ईरान वर्ष 2015 में संसार में दूसरे स्थान पर था जबकि वैज्ञानिक उत्पादों में तेज़ी की दृष्टि से उसने पहला नंबर हासिल कर लिया। इसी तरह लाइडन रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 तक ईरान का कोई भी विश्व विद्यालय संसार की सौ सबसे बेहतर यूनिवर्सटियों में शामिल नहीं था लेकिन सन 2016 में ईरान के 14 विश्व विद्यालय इस सूचि में शामिल हो गए। वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2016 में विश्व के सर्वोच्च विश्व विद्यालयों की लिस्ट में शामिल होने की दृष्टि से ईरान ने 9 पायदान की छलांग लगाई।

हमने जो कुछ बताया उसके अलावा वर्ष 2015 में संसार के 100 सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक लेखों में ईरानी वैज्ञानिकों का भाग एक दशमलव चार तीन प्रतिशत रहा जबकि वर्ष 2011 में यह आंकड़ा इससे शून्य दशमलव 57 प्रतिशत कम था। दूसरे शब्दों में ईरान की स्थिति ढाई गुना बेहतर हुई। इन सारी बातों से पता चलता है कि पिछले एक दो दशक में ईरान में वैज्ञानिक प्रगति की रफ़्तार में काफ़ी तेज़ी आई है और आशा है कि ईरानी वैज्ञानिकों के हाथों विज्ञान व तकनीक के उत्पादन से ईरान की प्राचीन महान इस्लामी सभ्यता पुनर्जागृत होगी।

 

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