क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-711
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-711
وَلَقَدْ آَتَيْنَا مُوسَى الْكِتَابَ مِنْ بَعْدِ مَا أَهْلَكْنَا الْقُرُونَ الْأُولَى بَصَائِرَ لِلنَّاسِ وَهُدًى وَرَحْمَةً لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ (43)
और पिछली जातियों को नष्ट कर देने के पश्चात हमने मूसा को (आसमानी) किताब (तौरैत) प्रदान की जो लोगों के लिए अन्तर्दृष्टि, मार्गदर्शन और दया का साधन थी ताकि शायद वे पाठ सीख लें। (28:43)
وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الْغَرْبِيِّ إِذْ قَضَيْنَا إِلَى مُوسَى الْأَمْرَ وَمَا كُنْتَ مِنَ الشَّاهِدِينَ (44)وَلَكِنَّا أَنْشَأْنَا قُرُونًا فَتَطَاوَلَ عَلَيْهِمُ الْعُمُرُ وَمَا كُنْتَ ثَاوِيًا فِي أَهْلِ مَدْيَنَ تَتْلُو عَلَيْهِمْ آَيَاتِنَا وَلَكِنَّا كُنَّا مُرْسِلِينَ (45)
और आप (तूर पर्वत के) पश्चिमी किनारे पर नहीं थे जब हमने मूसा को (पैग़म्बरी का) आदेश दिया था और न आप (उस घटना के) गवाहों में से थे। (28:44) लेकिन हमने (विभिन्न कालों में) बहुत सी जातियां बनाईं और उन पर बहुत समय बीत गया (और उन्हें भुला दिया गया)। और न आप मदयन वालों में रहते थे कि (उनकी स्थिति से अवगत होते और) उन्हें (अर्थात मक्के वालों को मदयन के लोगों के बारे में) हमारी आयतें सुना रहे होते किन्तु (निश्चित बात यह है कि) पैग़म्बरों को भेजने वाले हम ही रहे हैं। (28:45)
وَمَا كُنْتَ بِجَانِبِ الطُّورِ إِذْ نَادَيْنَا وَلَكِنْ رَحْمَةً مِنْ رَبِّكَ لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَا أَتَاهُمْ مِنْ نَذِيرٍ مِنْ قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ (46)
और आप तूर के निकट भी उपस्थित न थे जब हमने (मूसा को) पुकारा था किन्तु यह आपके पालनहार की दया है ताकि आप ऐसे लोगों को सचेत कर दें जिनके पास आपसे पहले कोई सचेत करने वाला नहीं आया ताकि शायद वे पाठ सीख लें। (28:46)