Apr ३०, २०१९ १५:३२ Asia/Kolkata

ईमान वालों इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक पाठ में सबसे अच्छे, सबसे संपन्न, सबसे होशियार व सबसे न्यायप्रेमी लोगों के बारे में कहा कि हदीस में है कि सबसे अधिक न्यायप्रेमी व्यक्ति वह है जो लोगों के लिए भी वही चाहे जो अपने लिए चाहता है।

जो चीज़ अपने लिए पसंद नहीं करता वही लोगों के लिए भी पसंद न करे। इसी तरह जो व्यक्ति मौत की याद में रहता है वह होशियार है और जो मौत को भुला बैठता है वह होशियार नहीं है। इसी तरह से सबसे संपन्न व्यक्ति कौन है? वह व्यक्ति जिसके पास भौतिक संसाधन हैं वह सबसे संपन्न नहीं है, तो फिर कौन है? सबसे संपन्न व्यक्ति वह है जो मरने के बाद ईश्वरीय दंड से सुरक्षित रहे और ईश्वरीय कृपा व पारितोषिक की ओर से आशावान रहे।

किसी ने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम से पूछा कि सबसे अच्छा बंदा कौन है? उन्होंने उत्तर दिया कि सबसे अच्छे बंदे वे लोग हैं जो जब कोई अच्छा काम करते हैं तो इस बात पर ख़ुश होते हैं कि उन्होंने अच्छा काम किया है। इस प्रसन्नता का इससे कोई संबंध नहीं है कि मनुष्य में घमंड पैदा हो जाए। ये दो अलग-अलग चीज़ें हैं। कभी मनुष्य दो रकअत नमाज़ पढ़ता है और सोचता है कि वह एक उच्च चरण तक पहुंच गया है। घमंड का मतलब होता है आत्ममुग्धता और यह निंदनीय है। दूसरी ओर बुरे कर्म के बारे में यह नहीं कहा गया कि जिसने कोई बुरा काम किया हो तो वह उस पर दुखी हो। इसी को पर्याप्त नहीं बताया गया है बल्कि कहा गया है कि दुखी होने के अलावा एक काम करना भी ज़रूरी है और वह है तौबा अर्थात ईश्वर से क्षमा मांगे। जब ईश्वर कोई अनुकंपा दे तो उसके प्रति कृतज्ञता जतानी चाहिए और जब जीवन में कोई कठिन समय आए तो संयम से काम लेना चाहिए। अगर कभी किसी पर क्रोध आए तो उसे क्षमा कर देना चाहिए। (HN)

 

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