Oct ३०, २०१९ १७:४९ Asia/Kolkata

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि युवा ज़िम्मेदारों, युवा कर्मचारियों, युवा विद्वानों और युवा कार्यकर्ताओं को राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, नैतिक, न्याय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना चाहिये और वे पहले के लोगों के अनुभवों से लाभ उठायें, क्रांतिकारी दृष्टिकोण, और क्रांतिकारी भावना से काम करें और ईरान को पूरी विकसित इस्लामी व्यवस्था का नमूना बना दें।

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अस्ली संबोधक युवा थे। वरिष्ठ नेता के दृष्टिकोण, बयान और क्रिया- कलाप इस बात के सूचक हैं कि उन्होंने हमेशा युवाओं पर विशेष ध्यान दिया है। उसकी एक वजह यह है कि युवा आगामी देश के निर्माता हैं और वे ईरान का भविष्य हैं। जैसाकि वरिष्ठ नेता ने दूसरे क़दम नाम के घोषणा पत्र के आरंभ में बयान किया है कि अब इस्लामी गणतंत्र ईरान के जीवन का नया अध्याय आरंभ हो रहा है मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि वे अमल के मैदान में क़दम रखें ताकि महान ईरान के निर्माण के दूसरे भाग का आरंभ हो सके।

हर समाज के युवा प्रफुल्लित, परिश्रमी और क्षमताओं व योग्यताओं से पूरिपूर्ण होते हैं और वे हर देश व समाज का भविष्य होते हैं। इसी कारण जो सरकारें भविष्य पर नज़र रखती हैं वे विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं की क्षमताओं व योग्यताओं को निखारने के लिए निवेश करती हैं। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इसी बात के दृष्टिगत देश के ज़िम्मेदारों व अधिकारियों को युवाओं की क्षमताओं से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं विशेषकर इसलिए कि युवाओं ने ईरान की इस्लामी क्रांति के आरंभ में भली- भांति दर्शा दिया कि जब भी उन पर भरोसा किया गया और उनके हवाले कोई कार्य किया गया उसे उन्होंने अच्छी तरह निभाया। इसी कारण ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता इस्लामी क्रांति को सुरक्षित करने और उसके विकास की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी युवाओं की मानते हुए और कहते हैं" राष्ट्र और देश सबकी ज़िम्मेदारी है कि वे अपनी क्रांति की सुरक्षा करें, यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है परंतु युवा प्रगति और आगे ले जाने का इंजन है।

"दूसरे क़दम" नाम के घोषणा पत्र में वरिष्ठ नेता ने बारमबार युवाओं को क्रांति की आशा करार दिया और उनकी अपार क्षमताओं व योग्यताओं को निखारने पर बल दिया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि देश के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण आशा, योग्य व परिश्रमी मानव बल है और इस श्रमबल का आधार धर्म और ईमान है। तीन करोड़ 60 लाख ईरानियों की उम्र 15 से 40 साल के बीच है और लगभग एक करोड़ चालिस लाख युवा उच्च शिक्षित हैं और वे क्रांतिकारी भावना के साथ पले बढ़े हैं और देश के विकास के लिए प्रयास करने के लिए तैयार हैं और बहुत सारे अध्ययन व शोधकर्ता और विद्वान युवा देश की बहुत बड़ी पूंजी हैं और किसी भी भौतिक संभावना से उनकी तुलना नहीं की जा सकती।"     

             

      

इस्लामी क्रांति के चालिस वर्ष पूरा होने पर दूसरे कदम के नाम से वरिष्ठ नेता ने जो घोषणा पत्र जारी किया है यद्यपि  उसमें भौतिक संभावनाओं को देश के सकारात्मक बिन्दु के रूप में याद किया गया है परंतु युवाओं को विशेषज्ञ, परिश्रमी और देश की मूल पूंजी के रूप में याद किया गया है। क्योंकि भौतिक संसाधनों व संभावनाओं का सही प्रयोग उस समय लाभदायक सिद्ध होगा जब श्रमबल अच्छा और प्रभावी हो और वह दूरगामी सोच रखता हो।

ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद बहुत से लोगों विशेषकर युवाओं में बहुत अधिक आध्यात्मिक और नैतिक परिवर्तन आया और विभिन्न क्षेत्रों में इस परिवर्तन के अनगिनत लाभों को देखा जा सकता है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता युवाओं में होने वाले आध्यात्मिक व नैतिक परिवर्तनों की ओर संकेत करते हुए लिखते हैं" इस्लामी गणतंत्र में धार्मिक एवं नैतिक विषयों पर ध्यान ने पाक दिलों विशेषकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है और धर्म एवं नैतिकता का माहौल बन गया। इराक द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के दौरान युवाओं में नमाज़, दुआ और प्रार्थना के साथ भाईचारे और त्याग व बलिदान की भावना परवान चढ़ी। इस्लाम के आरंभिक काल की घटनाओं की याद ताज़ा हो गयी"

ईरान के मुसलमान युवाओं ने अपने देश और क्रांति की रक्षा में जो कुर्बानियां दी हैं वे बहादुरी और त्याग- परित्याग के बेहतरीन नमूने हैं। इराक द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध के आरंभ होने से पहले स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने स्वयं सेवी बल बसीज के गठन का आदेश दिया था और बसीज के अधिकांश सदस्य युवा थे। यह देश के स्वाभिमानी युवा थे जिनके कंधों पर प्रतिरक्षा की मूल ज़िम्मेदारी थी और कठिन से कठिन परिस्थिति में उन्होंने अतिक्रमणकारी सद्दाम की बासी सेना का डटकर मुकाबला किया और अपनी शहादत देकर देश और क्रांति की रक्षा की। इराक द्वारा ईरान पर थोपे गये युद्ध की समाप्ति के बाद भी निष्ठावान युवाओं और स्वयं सेवी बल बसीज के जवानों ने देश के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रयास किया और यह प्रक्रिया यथावत आज भी जारी है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई स्वयं सेवी सेना बसीज के संदर्भ में कहते हैं" स्वर्गीय इमाम खुमैनी ने बसीज गठित करके क्रांति के भविष्य को युवाओं के हवाले कर दिया और जवानों का हर समूह, हर पीढ़ी जब जवानी से अधेड़ उम्र में कदम रखती है तो वास्तव में इस अमानत को युवा पीढ़ी के हवाले करती है और यह सिलसिला खत्म होने वाला नहीं है।"

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता दूसरे कदम नाम के घोषणा पत्र में बल देकर कहते हैं कि युवाओं को अतीत के लोगों के अनुभवों को जानना ज़रूरी है ताकि वे भविष्य में इससे लाभ उठा सकें। वरिष्ठ नेता गत चालिस वर्षों के दौरान ईरान में होने वाली विभिन्न प्रगतियों की ओर संकेत करते हुए कहते हैं" जो रास्ते तय हो चुके हैं वह इस्लामी व्यवस्था की गौरवांवित व उच्च आकांक्षा का मात्र एक भाग है और सबल विचार यह है कि यह रास्ता पहले जैसा सख्त नहीं होगा और होशियारी, हिम्मत और तीव्र गति के साथ इस रास्ते को युवाओं द्वारा तय किया जाना चाहिये।"

दूसरे शब्दों में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि यह क्रांति लोगों विशेषकर युवाओं द्वारा जारी रहनी चाहिये यानी इसमें मुख्य भूमिका युवाओं की हो। अलबत्ता वरिष्ठ नेता स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि क्रांतिकारी और शुभचिंतक लोगों ने जो ज़िम्मेदारी अतीत में निभाई है उन्हें चाहिये कि वे अपने मूल्यवान अनुभवों को वर्तमान पीढ़ी के हवाले करें ताकि क्रांति अधिक गति और कम ग़लतियों के साथ अपने मार्ग को जारी रखे।

युवाओं में बहादुरी, साहस, न्यायप्रेम और बहुत सारी विशेषताएं व क्षमताएं होती हैं परंतु जब तक उनके अंदर अच्छे देश निर्माण की भावना व आशा नहीं होगी तब तक वे अपनी योग्यताओं व क्षमताओं से अच्छी तरह से लाभ नहीं उठा सकते। ईरान के दुश्मन इस बात से अवगत हैं इसलिए वे झूठा प्रचार करके ईरानी युवाओं के अंदर से आशा खत्म करना और उन्हें अर्थहीन बातों में व्यस्त कर देना चाहते हैं परंतु ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता दुश्मनों की विनाशकारी चालों को समझते हैं इसलिए वे लोगों विशेषकर युवाओं को उज्वल भविष्य की शुभ सूचना देते हैं। इसी प्रकार इस्लामी क्रांति के चालिस वर्ष पूरा होने पर वरिष्ठ नेता ने दूसरे कदम नाम का जो घोषणापत्र जारी किया उसमें पहली सिफारिश वह इस प्रकार करते हैं हर चीज़ से पहले मेरी पहली सिफारिश अच्छा व आशा भरा भविष्य है इस बुनियादी व मुख्य कुंजी के बिना कोई ताला नहीं खुल सकता यानी आगे नहीं बढ़ा जा सकता। मैं जो चीज़ कह रहा हूं उसका आधार वास्तविकताएं हैं।"

इसी प्रकार उन्होंने लोगों विशेषकर युवाओं को निराश करने के लिए दुश्मनों के दुष्प्रचारों की ओर संकेत किया और इसके मुकाबले को स्वयं युवाओं के हवाले किया और कहा आप युवाओं को दुप्रचार के परिवेष्टन को तोड़ने के लिए आगे आना चाहिये। स्वयं अपने और दूसरों के अंदर भविष्य के प्रति आशा का दीप जलाइये। भय और निराशा को स्वयं और दूसरों के अंदर से दूर भगाइये। यह आपका पहला और बुनियादी जेहाद है।"

पश्चिमी संचार माध्यम लोगों विशेषकर युवाओं में भविष्य के प्रति निराशा फैलाने के अलावा ईरानी युवाओं को अध्यात्म, नैतिकता और इस्लामी संस्कृति से दूर करना चाहते हैं और युवाओं को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि ईरान के निर्माण के लिए प्रयास करने का कोई लाभ नहीं है। इसी बात के दृष्टिगत इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने दूसरे क़दम नाम के अपने घोषणा पत्र में भी चेतावनी दी है और कहा है कि दुनिया के आधुनिकतम संचार माध्यमों ने व्यापक संभावना के साथ अध्यात्म एवं नैतिकता विरोधी बीज बो दिया है और इस समय भी ये संचार माध्यम युवाओं, नवयुवकों यहां तक कि किशोरों के पाक दिलों को अपने हमलों का लक्ष्य बनाये हुए हैं और इस चीज़ को हम अपनी आंखों से देख रहे हैं।"

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता दूसरे कदम नाम के अपने घोषणापत्र में युवाओं का आह्वान करते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में वे अपने प्रयासों को जारी रखें। इसी प्रकार वे विस्तृत पैमाने पर वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में युवाओं को संबोधित करते हुए कहते हैं" देश में एक वैज्ञानिक क्रांति की आधार शिला रख दी गयी है और इस क्रांति ने परमाणु शहीद जैसे शहीदों को भी दिया है। उठ खड़े हों और दुश्मन को विफल बना दें वह आपकी वैज्ञानिक प्रगति से भयभीत है। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता अर्थ व्यवस्था और सामाजिक न्याय में विस्तार के लिए भी सिफारिश करते हैं। वरिष्ठ नेता कहते हैं मैं युवाओं से स्पष्ट रूप में कहता हूं कि न्याय के लिए जो कुछ होना चाहिये था उसे होना चाहिये। इस्लामी गणतंत्र ईरान में ज़िम्मेदारों और अधिकारियों के दिल लोगों की समस्याओं के निदान के लिए धड़कते हैं और सामाजिक वर्ग भेद के गहरे होने से चिंतित होना चाहिये। इन सबके बावजूद इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि मोमिन, क्रांतिकारी और प्रतिभाशाली ईरानी युवाओं में इस बात की क्षमता व योग्यता मौजूद है कि वे देश के अच्छे व उज्वल भविष्य और अपनी क्रांति की आकांक्षाओं को पूरा करने की ज़िम्मेदारी संभाल लें।

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