Feb २३, २०२० १७:०७ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-768

وَلَمَّا رَأَى الْمُؤْمِنُونَ الْأَحْزَابَ قَالُوا هَذَا مَا وَعَدَنَا اللَّهُ وَرَسُولُهُ وَصَدَقَ اللَّهُ وَرَسُولُهُ وَمَا زَادَهُمْ إِلَّا إِيمَانًا وَتَسْلِيمًا (22)

 

और जब ईमान वालों ने (शत्रु के सैन्य) दलों को देखा तो कहाः यह तो वही चीज़ है, जिसका ईश्वर और उसके पैग़म्बर ने हमसे वादा किया था। और ईश्वर और उसके पैग़म्बर ने सच कहा था। और इस चीज़ ने उनके ईमान और आज्ञापालन ही को बढ़ाया। (33:22)

 

 

مِنَ الْمُؤْمِنِينَ رِجَالٌ صَدَقُوا مَا عَاهَدُوا اللَّهَ عَلَيْهِ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضَى نَحْبَهُ وَمِنْهُمْ مَنْ يَنْتَظِرُ وَمَا بَدَّلُوا تَبْدِيلًا (23)

 

ईमान वालों में ऐसे (बहुत से) पुरुष मौजूद हैं जिन्होंने वह बात सच कर दिखाई जिसका उन्होंने ईश्वर से प्रण किया था तो उनमें से कुछ तो (शहीद हो कर) अपना प्रण पूरा कर चुके और उनमें से कुछ (अपनी बारी की) प्रतीक्षा में हैं और उन्होंने अपने प्रण में तनिक भी परिवर्तन नहीं किया है। (33:23)

 

 

لِيَجْزِيَ اللَّهُ الصَّادِقِينَ بِصِدْقِهِمْ وَيُعَذِّبَ الْمُنَافِقِينَ إِنْ شَاءَ أَوْ يَتُوبَ عَلَيْهِمْ إِنَّ اللَّهَ كَانَ غَفُورًا رَحِيمًا (24) وَرَدَّ اللَّهُ الَّذِينَ كَفَرُوا بِغَيْظِهِمْ لَمْ يَنَالُوا خَيْرًا وَكَفَى اللَّهُ الْمُؤْمِنِينَ الْقِتَالَ وَكَانَ اللَّهُ قَوِيًّا عَزِيزًا (25)

 

(यह सब इस लिए हुआ) ताकि ईश्वर सच्चों को उनकी सच्चाई का प्रतिफल दे और मिथ्याचारियों को चाहे तो दंड दे या चाहे तो उनकी तौबा स्वीकार कर ले। निश्चय ही ईश्वर अत्यंत क्षमाशील (व) दयावान है। (33:24) और ईश्वर ने काफ़िरों को कोई लाभ हासिल किए बिना उनके क्रोध के साथ यूंही लौटा दिया। और ईश्वर (अहज़ाब के) युद्ध में ईमान वालों के लिए काफ़ी हो गया (और उसने उन्हें लड़ाई से आवश्यकतामुक्त करके विजयी बना दिया)। और ईश्वर अत्यंत शक्तिवान व अजेय है। (33:25)

 

 

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