Pars Today
बहुत से लोग हमारे जीवन में आते और चले जाते हैं परंतु जीवन की सुन्दरता यह है कि हमारा परिवार सदैव हमारे साथ रहता है।
विवाह ऐसा बंधन है जो मनुष्य की प्राकृतिक आवश्यकता की पूर्ति करता है।
जब परिवार और विवाह की बात चलती है तो फिर बहुविवाह का विषय भी बीच में आ जाता है।
किसी भी समाज की मूल इकाई परिवार होता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम फरमाते हैं" तुम्हारा किसी से खुले दिल से मिलना तुम्हारी पहली नेकी है और वह तुम्हारे बड़प्पन को दर्शाती है।"
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मनुष्य का व्यक्तित्व बनाने में तीन महत्वपूर्ण कारकों की भूमिका होती है।
हमने व्यक्ति एवं सामाज के भविष्य के निर्धारण में परिवार की भूमिका और परिवार को मज़बूत करने या उसके विघटन के कारणों का उल्लेख किया था।
ड्रामा लेखक और साहित्यिक आलोचक बरनार्ड शा,,,, परिवार को स्वर्ग की संज्ञा देते और कहते हैं” एक खुशहाल व प्रसन्न परिवार शीघ्र मिलने वाले स्वर्ग के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
संयुक्त जीवन के मूल आधार शौहर और बीवी हैं। इन दोनों तत्वों के बीच जितना वैचारिक समन्वय और व्यक्तित्व में समानता होगी उतना ही संयुक्त जीवन अधिक मज़बूत व आनंददायक होगा।
कार्यक्रम का आरंभ भारत के दिवंगत राष्ट्रपति अवुल पाकिर ज़ैनुल आबेदीन अब्दुल कलाम के एक कथन से कर रहे हैं।