Pars Today
दिल्ली में होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मेले में कौन - कौन से देश भाग ले रहे हैंं?
ईरान की एक प्रसिद्ध और होनहार सैंड आर्टिस्ट फ़ातेमा एबादी की एक शानदार और अद्भुत सैंड ऑर्ट, जिसमें उन्होंने रेत के ज़र्रों से इमाम हुसैन (अ) के चेहल्लुम के मौक़े पर होने वाले मिलयन मार्च का ख़ूबसूरत दृश्य पेश किया है।
हमने बताया कि ईरान में हस्तकला उद्योग कई हज़ार साल पुराना है और ईरानियों ने कला रूचि के ज़रिए प्रकृति में मौजूद सभी पदार्थों से ऐसी चीज़े बनायीं कि सबकी सबको हस्तकला उद्योग की श्रेणी में रखा जा सकता है।
फ़ाइन आर्ट्स या ललित कला को हस्तशिल्प की एक शाख़ा माना जाता है, जिसमें कला के कई विषय शामिल होते हैं और इसने अपनी मूल जड़ों को सुरक्षित रखते हुए निंरतर विकास किया है और विभिन्न चरणों को तय किया है।
मानव ने शुरू से ही जीवन की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए सीधे रूप से व्यापक अनुकंपाओं से लाभ उठाकर हस्तशिल्प तैयार किए।
ईरान की उज्जवल सभ्यता का एक उदाहरण, किताब तैयार करना और उसे सुन्दरता प्रदान करना है।
पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगने के बाद पाकिस्तानी सिनेमाघरों ने ईरानी फिल्में दिखाए जाने करने का फ़ैसला किया है।
सन् 1850 में क़ाजारी काल में अमीर कबीर ने जो कार्य अंजाम दिए उनमें से एक ईरानी चमड़े के उत्पादों को लंदन की प्रदर्शनी में भेजना था।
ईरानी कलाकारों के योगदान ऐसी कला है जिसमें उपयोगी वस्तुओं के निर्माण के कारण यह कला एक हस्तउद्योग में परिवर्तित हो गयी और इस क्षेत्र के कलाकारों के पूरी दुनिया में चर्चे हैं।
ईरान की हस्तलाओं में एक क़लमकारी है जिसे इसफ़हान में अन्य क्षेत्रों से अधिक लोकप्रियता प्राप्त है।