भारत और चीन फिर आए आमने-सामने, नई दिल्ली की नई कार्यवाही से दुनिया हैरान, किसी बड़े युद्ध की आहट
भारत ने चीन के ख़िलाफ़ भी डिफेंसिव ऑफेंस रणनीति अपनाने का मन बना लिया है। यही कारण है कि नई दिल्ली ने 50 हज़ार अतिरिक्त जवानों को चीन की सीमा पर तैनात किया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुतीबिक़, भारत ने एक अभूतपूर्व कार्यवाही करते हुए कम से कम 50 हज़ार अतिरिक्त सैनिकों को चीन की सीमा पर भेजा है। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में भारत द्वारा उठाए गए इस क़दम को अभूत्पूर्व और ऐतिहासिक बताया है। ब्लूमबर्ग ने चार अलग-अलग सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत ने पिछले कुछ महीनों में चीनी सीमा से सटे तीन अलग-अलग इलाक़ों में भारी संख्या में सैन्य टुकड़ियों और युद्धक विमानों को तैनात किया है। इस तरह, अब भारत ने चीन की सीमा पर नज़र रखने के लिए क़रीब दो लाख सैनिकों को तैनात कर दिया है जो पिछले साल के मुक़ाबले 40 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, भारतीय सेना और प्रधानमंत्री कार्यालय में से किसी के प्रवक्ता ने इस संबंध में पूछे गए सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं जानकारों का मानना है कि भारत द्वारा उठाया गया यह अभूत्पूर्व क़दम किसी बड़े ख़तरे की घंटी है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव पर पूरी नज़र रखे हुए है।
ग़ौरतलब है कि भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 और 1967 में दो युद्ध हो चुके हैं। वहीं पिछले वर्ष 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़प हुई थी, जिसके नतीजे में 20 से अधिक भारतीय जवान हताहत हो गए थे, जबकि कई चीनी सैनिकों के भी घायल होने की सूचना थी, तब से इन दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। बीच में ऐसा महसूस हो रहा था कि अब स्थिति सामान्य हो रही है लेकिन अचानक से भारत-चीन सीमा पर बढ़ते तनाव और तेज़ होती सैन्य गतिविधियों ने पूरी दुनिया के ध्यान को अपनी ओर खींच लिया है।
इस बीच भारत और चीन मामलों के जानकारों का मानना है कि, ऐसी स्थिति में कि जब भारत ने चीन की तैयारियों के जवाब में अभूतपूर्व क़दम उठाते हुए अपने सैनिकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी कर दी है तो इससे दोनों देशों के बीच संघर्ष और ख़तरनाक स्तर तक पहुंचने की आशंका सताने लगी है। यूं भी सैन्य स्तर की कई दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पा रहा है और पिछले साल आमने-सामने आए दोनों देशों के सैनिक ज़्यादातर इलाक़ों में अब भी एक-दूसरे पर नज़रें गड़ाए हुए हैं। भारत के लेफ्टिनेंट जनरल और नॉर्दर्न आर्मी के पूर्व कमांडर डीएस हूडा कहते हैं कि, 'सीमा के किसी भी तरफ़ इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती ख़तरनाक है, ख़ासकर तब जब बॉर्डर मैनेजमेंट प्रॉटोकॉल टूट चुका है।' उन्होंने कहा, 'दोनों ओर से विवादित इलाक़ों की पेट्रोलिंग में बढ़ती आक्रामकता का प्रदर्शन होगा। ऐसे में स्थानीय स्तर पर छोटी सी भी घटना बड़े संघर्ष में बदल सकती है।' (RZ)
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