Jan १५, २०२२ १९:०३ Asia/Kolkata
  • भारत में किसानों ने लिया, इस देश के प्रधानमंत्री के पुतले जलाने का फैसलाः एसकेएम

संयुक्त किसान मोर्चे का कहना है कि सरकार की वादाखिलाफी को लेकर किसान, पूरे देश के जिला मुख्यालयों, ब्लॉक मुख्यालयों और तहसीलों पर प्रदर्शन करेंगे और प्रधानमंत्री के पुतले फूंकेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चे ने सरकारों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। एसकेएम ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।

हिंदुस्तान के अनुसार एसकेएम या संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार वचनों को पूरा नहीं कर रही हैं। इस संगठन के अनुसार भारत सरकार द्वारा तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद वैसे तो किसान आंदोलन समाप्त हो गया है लेकिन किसानों की कई समस्याएं अब भी बाक़ी हैं।

किसानों के संगठन ने आज ऐलान किया कि देशभर के किसान आगामी 31 जनवरी 2022 को "वादाखिलाफी दिवस" के रूप में मनाएंगे।  एसकेएम का कहना है कि इस दौरान जगह-जगह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे।

SKM ने कहा कि किसानों से किए गए वादों के अनुसार किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस न लेने और मुआवजा देने के लिए राज्य सरकारों ने अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है जिसको लेकर किसानों में बहुत आक्रोश है।

एक किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन की समाप्ति के बाद सरकार के वादों की समीक्षा के दौरान आज यह महसूस किया गया कि सरकार ने एमएसपी पर अबतक कोई कमेटी नहीं बनाई और किसान संगठनों से भी कोई संपर्क नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के अपने वादे पर भी अमल नहीं किया।

युद्धवीर के अनुसार हरियाणा को छोड़कर बाकी किसी भी राज्य ने किसानों के खिलाफ दर्ज केसों को अबतक वापस नहीं लिया है और न ही किसी मुआवज़े को लेकर कोई ऐलान किया है।

युद्धवीर सिंह ने कहा कि इसलिए सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ किसान एक बार फिर पूरे देश के जिला मुख्यालयों, ब्लॉक मुख्यालयों और तहसीलों पर प्रदर्शन करते हुए पुतले फूंकेंगे। इसके बाद भी अगर सरकार बातचीत नहीं करती है तो और अड़ियल रवैया अपनाए हुए बैठी रहती है तो 1 फरवरी से मिशन यूपी शुरू किया जाएगा।

इसके साथ ही किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने को लेकर भी गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि किसानों का दूसरा बड़ा मुद्दा लखीमपुर खीरी था, इसपर भी अबतक कुछ नहीं हुआ जबकि अब तो एसआईटी ने भी इसे साजिश के तहत कृत्य करार दे दिया है। इसके बावजूद सरकार अजय मिश्रा टेनी को बचाने में लगी है।

किसान मोर्चा ने शनिवार को ऐलान किया कि 21 जनवरी से किसान साथी लखीमपुर खीरी जाएंगे और सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को किसानों की चिंता नहीं है। सरकार टेनी को बचाकर अपना वोट बैंक साधने में लगी है। दूसरी ओर पीड़ितों को ही धारा 302 लगाकर जेलों में डाल दिया गया है।

किसान मोर्चे के अनुसार इस संबंध में आगे की रणनीति को लेकर राकेश टिकैत 3 दिन के लखीमपुर खीरी दौरे पर जाएंगे और इसका समाधान करने का प्रयास करेंगे। यदि इसके बावजूद इसका हल नहीं निकलता तो फिर किसान, लखीमपुर खीरी में डेरा डालेंगे।

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