भारत में संविधान और अदालत पर चलता बुल्डोज़र! क्या सबके विनाश की ओर बढ़ रही है मोदी सरकार?
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में सांप्रदायिक हिंसा के भड़कने के चार दिनों बाद 20 अप्रैल को स्थानीय प्रशासन ने कई झुग्गियों, मकानों और दुकानों पर बुल्डोज़र चलवा कर उन्हें तुड़वा दिया।
भारत में आजकल नया क़ानून राज कर रहा है और उस क़ानून का नाम है बुल्डोज़र। अभी हाल ही में रामनवमी के मौक़े पर कट्टरपंथी हिन्दुओं की ओर से लगाए गए भड़काउ नारे, मस्जिदों पर ज़बरदस्ती लगाए गए भगवा झंड़ों और मुसलमानों के साथ की गई मारपीट के बाद दिल्ली में भड़के दंगे ने एक बार फिर भारत सरकार की पोल खोल दी है। जहां भारत की मोदी सरकार देश की राजधानी को सुरक्षित रखने में नाकाम दिखाई दे रही है वहीं अपने ग़लतियों पर पर्दा डालने के लिए हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति को हवा दे रही है। बुधवार को दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। जिन हिन्दू संगठनों ने बिना पूर्व इजाज़त के रामनवमी के मौक़े पर भड़काऊ जुलूस निकाले और जिन्होंने पत्थर बाज़ी की शुरुआत की आज वे आराम से अपने घरों और दंगा मास्टर आकाओं के ठिकानों में बैठे हुए हैं, लेकिन जो पीड़ित हैं उन्हें हर तरह की कठिनाईयों और नए क़ानून बिल्डोज़र का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में तोड़ फोड़ करवाने वाली उत्तरी दिल्ली नगरपालिका ने कहा कि यह कदम "अवैध अतिक्रमण" के तहत बनाई गई संपत्तियों के ख़िलाफ़ उठाया गया। वहीं जब उनसे यह पूछा गया कि अवैध निर्माण क्या केवल मस्जिद के पास है या फिर मंदिर के पास भी है तो संबंधित अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था। वे बस एक ही रट लगाए थे कि हम अवैध निर्माण के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर रहे हैं। जबकि सब यह जानते हैं कि यह कार्यवाही किसके इशारे पर हो रही है और इसका संबंध अवैध निर्माण से है कि राजनीति में संपर्दायिकता की आग भड़काने से है। क्योंकि एक दिन पहले ही दिल्ली में भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने नगरपालिका के महापौर को एक पत्र लिख कर कहा था, "जहांगीरपुरी में शोभायात्रा पर पथराव करने वाले दंगाइयों द्वारा किए गए अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण को चिन्हित कर उस पर तुरंत बुल्डोज़र" चलवाए जाएं। दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष के बयान से साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि देश में अब संविधान या अदालत का आदेश नहीं चलता बल्कि अब भारत में भगवा क़ानून चलता है। जो देश के संविधान और क़ानून से बहुत ऊपर है।
इस बीच नगरपालिका द्वारा करीब एक घंटे की तोड़ फोड़ के बाद एक याचिका पर सुनवाई के दौरान भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ फोड़ पर रोक लगा दी, लेकिन इसके बावजूद तोड़ फोड़ चलती रही। रोक लगाने का आदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने यह भी कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की तारीख़ 21 अप्रैल को दी जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे मामले को अदालत के सामने लाए। दवे ने अदालत को बताया, "जहांगीरपुरी में जहां दंगे हुए थे वहां असंवैधानिक, अनाधृकित तोड़ फोड़ की जा रही है। कोई नोटिस भी नहीं दिया गया था जिसका 10 दिनों में जवाब दिया जा सके।" 'लाइव लॉ' वेबसाइट के मुताबिक़ दवे ने अदालत को यह भी बताया कि कार्रवाई पहले दिन में दो बजे शुरू होनी थी लेकिन जब नगरपालिका को ख़बर मिली कि मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने लाया जाना है तो कार्रवाई को सुबह 9 बजे ही शुरू कर दिया गया। मामले को अलग से दिल्ली हाई कोर्ट के सामने भी लाया गया और हाई कोर्ट ने आज ही मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट में जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुई इस तरह की तोड़ फोड़ के ख़िलाफ़ एक याचिका पहले से डाली हुई है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि वो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को आदेश दे कि वो सज़ा के तौर पर किसी भी आवासीय या व्यावसायिक संपत्ति की तोड़ फोड़ न होने दें। इस याचिका पर सुनवाई भी 21 अप्रैल को होगी। (RZ)
नोटः यह व्यक्तिगत विचार हैं। पार्सटूडे का इनसे सहमत होना ज़रूरी नहीं है।
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