Oct ०४, २०२३ १८:५६ Asia/Kolkata
  • बलात्कारियों का सत्कार करने वालों, मुसलमानों की हत्या करने वालों और जय श्री राम का नारा लगाकर मानवाता को शर्मसार करने वालों का किस आतंकी गुट से है संबंध? इन्हें कौन दे रहा है छूट?

इस समय भारत में वैसा ही माहौल है कि जैसा दुनिया की साम्राज्यवादी शक्तियों ने बनाया है। एक ओर तो पूरी दुनिया के मुस्लिम देशों को युद्ध की आग में ढकेला गया और दूसरी ओर आतंकी संगठनों का गठन करके इन्हीं मुस्लिम देशों में रहने वाले मुसलमानों का जनसंहार कराया जा रहा है, वहीं इस्लाम के नाम को आतंकवाद से जोड़कर आम लोगों को इस्लाम से दूर करने की साज़िश भी रची जा रही है। इस समय भारत में भी भगवा आतंकवाद पूरे देश को खोखला करता जा रहा है, लेकिन घरों पर बिल्डोज़र से लेकर इन्काउंटर तक मुसलमानों का ही किया जा

हाल ही में जयपुर में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए इक़बाल नामक मुस्लिम युवक के हत्यारों के समर्थन में आतंकी संगठन हिंदू परिषद सड़कों पर उतर आया है। खुले आम मुसलमानों की हत्या करने की बात कर रहा है और आम लोगों से हथियारों उठाने की अपील भी कर रहा है, लेकिन उनपर किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होती है। यहां सवाल यही उठता है कि जिस तरह हत्यारों और बलात्कारियों का भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए संगठन और भगवा आतंकी गुट समर्थन कर रहे हैं ऐसे में हत्यारों और बलात्कारियों को प्रोत्साहन नहीं मिलता है क्या? वैसे इस आग को किसी और ने नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही राजस्थान में भड़काई है। उन्हेंने अपनी एक चुनावी रैली में यह तो कह दिया कि दर्ज़ी के वहां लोग आते हैं और उसकी हत्या करके चले जाते हैं और हत्यारों के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं होती है। उनका साफ़-साफ़ यह कहना था कि मुसलमान हिन्दू की हत्या करता है तो कार्यवाही नहीं होती और हिन्दू मुसलमान की करता है तो कार्यवाही होती है। उनके इस बयान का नतीजा यह हुआ कि बुधवार को राजस्थान में आतंकी हिन्दू संगठन सक्रिय हो गए और इक़बाल के हत्यारों के समर्थन में एक रैली तक निकाल डाली और उसमें खुलकर मुसलमानों की हत्या के लिए लोगों से अपील की जाने लगी। वैसे भारत के प्रधानमंत्री जिस प्रकार विदेशों में और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मानवता, शांति और आतंकवाद से संघर्ष के संबंध में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जिस प्रकार मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों और नेताओं को गले लगाते हैं उससे यह कोई सोच भी नहीं सकता है कि यह समाज में संप्रदायिकता का ज़हर घोलने वाले भाषण भी देते होंगे। लेकिन जब यह देश में होने वाले चुनावी मंचों पर खड़े होते हैं तो फिर इनका स्तर वही होता है, जो गली मोहल्लों में जय श्री राम का नारा लगाकर मानवता को शर्मसार करने वाले गुंड़े काम कर रहे होते हैं।

आख़िर भारतीय प्रधानमंत्री अपनी दो तरह की क्यों तस्वीर पेश करना चाहते हैं? क्योंकि उनके द्वारा विदेशों में और स्वदेश में की जाने वाली बातों और दिए जाने वाले प्रवचनों में काफ़ी अंतर होता है। अब यहां यही कहा जा सकता है कि आख़िर कौन वाला मोदी सच्चा है? जो विदेश में भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में जाते हैं वह वाला मोदी या फिर जो देश में चुनावी मंचों से भड़काउ और झूठे भाषण देते हैं वह वाला मोदी। वास्तविक्ता तो यह है कि अगर सच्चाई के साथ भारतीय प्रधानमंत्री के बयान और भाषणों को सुना जाए और उनकी जांच की जाए तो इतने ज़्यादा झूठे और ग़लत आंकड़े दिए जाते हैं कि जिसके बारे में हम और आप सोच भी नहीं सकते हैं। वैसे उनके सेनापित भारत के गृह मंत्री अमित शाह यह कह चुके हैं कि चुनाव के लिए दिए जाने वाले भाषण केवल चुनावी जुमले ही होते हैं, उसका वास्तविक्ता से कोई संबंध नहीं होता है। कुल मिलाकर भारत में जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वैसे-वैसे आपसी टकराव का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। धर्म के नाम पर युवाओं की भावनाओं की भड़काने का काम तेज़ हो चुका है। विकास और विश्वास बहुत पीछे छूट चुका है। इसलिए ऐसे सभी भारतीयों को आगे आने की ज़रूरत है जो देश के प्रति बिना किसी भेदभाव और स्वार्थ के निष्ठा रखते हैं और जिनका उद्देश्य देश का पीछे छूठे देश के विकास और विश्वास को आगे लाना है। (RZ)

लेखक- रविश ज़ैदी, वरिष्ठ पत्रकार। ऊपर के लेख में लिखे गए विचार लेखक के अपने हैं। पार्स टुडे हिन्दी का इससे समहत होना ज़रूरी नहीं है। 

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