Dec १५, २०२२ १३:१५ Asia/Kolkata

तुर्की के सुरक्षाबलों ने ज़ायोनी शासन की गुप्तचर एजेन्सी के लिए जासूसी करने के आरोप में 44 लोगों को गिरफ़्तार किया है।

तुर्की के सुरक्षाबलों ने एक अभियान के दौरान बुधवार को इन 44 लोगों को गिरफ्तार किया जो इस देश के भीतर एनजीओज़ के साथ सहयोग करके जासूसी का काम करते थे। 

पुलिस की रिपोर्ट मे बताया गया है कि 13 अन्य जासूसों को गिरफ़्तार करने के लिए कार्यवाही तेज़ कर दी गई है।  तुर्की में इस्राईल के जासूस एसी हालत में पकड़े गए हैं कि जब रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार ने हाल ही में ज़ायोनी शासन के साथ संबन्ध सामान्य बनाने के लिए प्रयास किये हैं।  फ़िलिस्तीनियों के समर्थन का राग अलापने के साथ ही तुर्की के अधिकारी इस बात को बार-बार दोहरते रहते हैं कि फ़िलिस्तीन के साथ उनका द्विपक्षीय सहयोग समाप्त नहीं हुआ है बल्कि यह आज भी बाक़ी है। 

हालिया दिनों में जब इस्राईल और तुर्की के संबन्धों को पुनः सामान्य करने की प्रक्रिया जारी थी, अंकारा सरकार ने अपनी जेलों से इस्राईल के कई जासूसों को स्वतंत्र किया है।यहां पर इस वास्तविकता को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि इस्राईल के साथ अपने संबन्ध सामान्य करने के बावजदूत तुर्की ने इस्राईल के कई जासूसों को पकड़कर गिरफ़्तार किया है।  इससे पता चलता है कि अवैध ज़ायोनी शासन अब भी रजब तैयब अर्दोग़ान की सरकार को गिराने के प्रयास में है। 

इसी बीच तुर्की के कुछ टीकाकारों का कहना है कि चुनाव में फिर जीत को सुनिश्चित बनाने के लिए अर्दोग़ान की सरकार, फ़ार्स की खाड़ी के अरब देशों, मिस्र तथा ज़ायोनी शासन के साथ संबन्धों को सामान्य बनाना चाहती है।  यहां पर इस बात को कहा जाना चाहिए कि तुर्की के भीतर इस्राईल के जासूसों की गतिविधियां, अर्दोग़ान की सत्ता के लिए ख़तरे की घंटी हैं। 

पिछले तीन वर्षों के दौरान ज़ायोनी शासन के साथ अपने संबन्धों को सामान्य करने के लिए तुर्की की ओर से प्रयास इस हालत में किये जा रहे है कि वह हमेशा ही फ़िलिस्तीनियों के समर्थन का दावा करता है।  इससे तो यह लगता है कि अर्दोग़ान द्वारा फ़िलिस्तीनियों के समर्थन की बात केवल मौखिक है जबकि व्यवहारिक रूप में तो इस्राईल से संबन्ध मज़बूत किये जा रहे हैं। 

ज़ायोनी शासन द्वारा अपने विरोधियों की हत्याएं करना कोई नई बात नहीं है।  यह अवैध शासन अपने विरोधियों को दुनिया के किसी भी हिस्से में समाप्त करने के प्रयास करता रहता है।  तुर्की जैसे मुसलमान देश द्वारा इस्राईल से संबन्ध सामान्य करने की प्रक्रिया का परिणाम यह सामने आता है कि यह अवैध शासन फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अपराध करने में अधिक दुस्साहसी होता जाता है।

तुर्की में इस्राईल के 44 जासूसों की गिरफ़्तारी यह बताती है कि इस्तांबोल के विरुद्ध इस्राईल की गतिविधियों का यह मात्र बहुत छोटा सा भाग है।  ज़ायोनी शासन का स्वभाव बताता है कि यह अवैध शासन तुर्की के भीतर अपनी जासूसी की गतिविधियों को समाप्त करने वाला नहीं है और वह तुर्की में मौजूद जस्टिस एवं डेवेलपमेंट पार्टी की सरकार को कमज़ोर करने के प्रयास करता रहेगा।

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