बहरैन के दिखावटी चुनाव की खुली पोल, आले ख़लीफ़ा शासन के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और उसके यूरोपीय समर्थक हुए शर्मसार
(last modified Sat, 19 Nov 2022 11:08:13 GMT )
Nov १९, २०२२ १६:३८ Asia/Kolkata
  • बहरैन के दिखावटी चुनाव की खुली पोल, आले ख़लीफ़ा शासन के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और उसके यूरोपीय समर्थक हुए शर्मसार

लंदन में मौजूद शोधकर्ताओं और शाही व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले बहरैनी कार्यकर्ताओं ने हाल ही में बहरैन में हुए दिखावटी चुनावी की वास्तविक्ता को उजागर किया है। साथ ही लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति ब्रिटिश सरकार के दोहरे रवैये की निंदा की है।

समाचार एजेंसी ईरान प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, बहरैन में इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी की वरिष्ठ शोधकर्ता सुश्री जोसी थम ने “नक़ली राजनीतिक प्रक्रिया” के शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के संबंध में कहा है कि क़ानूनी और राजनीतिक दृष्टिकोण से, बहरैन में हुए हालिया चुनाव पूरी तरह से दिखावटी थे। उन्होंने कहा कि इस शासन पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के लिए ब्रिटिश सरकार और बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन का समर्थन करने वाली अन्य सरकारों के साथ बात करना आवश्यक हो गया है। बहरैन में संसदीय चुनाव के पहले चरण में मतदान के कोरम के पूरा न होने के बाद दूसरे दौर का मतदान शनिवार, 19 नवंबर, 2022 किया जा रहा है। बता दें कि बहरैन के संसदीय चुनाव 12 नवंबर, 2022 को हुए थे, लेकिन लगभग 35 संसदीय सीटों के लिए हुए मतदान का कोरम इस देश की जनता द्वारा चुनाव का किए गए भहिष्कार के कारण पूरा नहीं हो पाया था जिसके कारण मतदान दूसरे दौर में पहुंच गया। आशा जताई जा रही है कि इस बार भी मतदान का आवश्यक कोरम पूरा नहीं हो पाएगा, लेकिन आले ख़लीफ़ा शासन इस प्रयास में है कि मतदान कोरम को किसी भी स्थिति में पूरा किया जाए।

इस बीच लंदन में स्थित बहरैन इंस्टीट्यूट फॉर राइट्स एंड डेमोक्रेसी की एक वरिष्ठ शोधकर्ता श्रीमती रबाब ख़द्दाज ने कहा है कि बहरैन का आले ख़लीफ़े शासन हाल के दिखावटी चुनावों में मतदान के आंकड़ों में धांधली करके यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि इस देश की जनता ने मतदान में बढ़चढ़कर भाग लिया है। रबाब ख़द्दाज कहती हैं कि यह बात अब पूरी तरह सामने आ गई है कि आले ख़लीफ़ा शासन अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो चुका है और उसे बिल्कुल यह अधिकार नहीं है कि वह बहरैन में सरकार चलाए। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अमेरिका और ब्रिटेन सहित पश्चिमी सरकारों द्वारा बहरैन के दमनकारी शासन का समर्थन करना, लोकतंत्र के प्रति उनके वास्तविक चेहरों को दुनिया के सामने बेनक़ाब करता है। रबाब ख़द्दाज ने यह भी कहा कि बहरैन शासन ने ग़ैर-बहरैनी नागरिकों जैसे पाकिस्तानी और भारतीय नागरिकों को बहरैन की नागरिकता दी है ताकि वे शासन द्वारा दिखावटी चुनावों में मतदान कर सकें। (RZ)

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