स्वेडन में क़ुरआन के अनादर के ख़िलाफ़ इस्लामी जगत का मज़बूत एकजुट स्टैंड, घबराने लगीं इस्लाम दुश्मन ताक़तें
क़ुरआने मजीद के अनादर की घटना फिर होने पर इस्लामी देशों की सरकारों और जनता की ओर से बहुत व्यापक आक्रोश देखने में आ रहा है।
बुधवार की शाम इराक़ी मूल के एक स्वेडिश व्यक्ति सलवान मोमिका ने राजधानी स्टाकहोम में ईदुल अज़हा के अवसर पर क़ुरआन फाड़ा और उसे आग लगाई। यह हरकत उसने शहर की केन्द्रीय मस्जिद के परिसर में की।
इस गुस्ताख़ाना हरकतर को इस व्यक्ति ने स्वेडन की सरकार के समर्थन से अंजाम दिया और इसकी हरी झंडी इस देश की अदालत ने दिखाई। दो सप्ताह पहले स्टाकहोम की पुलिस ने बयान दिया कि राजधानी में दो प्रदर्शन होने वाले हैं जिसमें क़ुरआन को आग लगाई जाएगी, पुलिस चाहती है कि इन प्रदर्शनों की अनुमति रद्द कर दी जाए।
स्वेडन में रहने वाले पत्रकार वलीद मेक़दादी ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि सिलवान मोमिका इराक़ के नैनवा प्रांत का रहने वाला है नास्तिक व्यक्ति है। उसे 2017 में युद्ध अपराध के दोष में पकड़ा गया मगर पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप से उसे रिहाई मिल गई जिसके बाद वो स्वेडन चला गया और इस देश में एक चरमपंथी संगठन में शामिल हो गया है।
क़ुरआन का अनादर मुसलमानों के मानवाधिकारों का खुला हनन है जिस पर दुनिया भर से विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं। इराक़ में प्रदर्शनकारियों ने इस देश से स्वेडन के राजदूत को बाहर निकालने की मांग की।
कई इस्लामी देशों ने इस घटना को नोटिस लेते हुए इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इमारात ने स्वेडन की राजदूत को तलब करके कहा कि स्वेडन की सरकार का इस घटिया हरकत की अनुमति देता दरअस्ल सामाजिक मूल्यों का अपमान है। जार्डन के विदेश मंत्रालय ने भी स्वेडन के राजदूत को तलब करके कहा कि यह तो खुला हुआ अपराध है इससे दुनिया भर में दो अरब मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं। इसलिए इस प्रकार की हरकतों पर लगाम लगाने की ज़रूरत है।
इराक़ की हशदुश्शाबी फ़ोर्स के प्रमुख फ़ालेह फ़ैयाज़ ने इसे शर्मनाम आतंकी हरकत क़रार दिया। कुछ टीकाकार कह रहे हैं कि स्वेडन का आर्थिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।
इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी के सचिवालय ने एलान किया है कि जद्दा में इस विषय पर विचार करने के लिए बैठक का आयोजन किय जा रहा है।
इराक़ में वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी के कार्यालय ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को एक पत्र लिखकर कहा है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का यह मतलब नहीं कि इस तरह की शर्मनाम हरकतों की अनुमति दी जाए।
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए
हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए