क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-896
सूरए फ़ुस्सेलत आयतें 19-23
सूरए फ़ुस्सेलत आयत नंबर 19 और 20
وَيَوْمَ يُحْشَرُ أَعْدَاءُ اللَّهِ إِلَى النَّارِ فَهُمْ يُوزَعُونَ (19) حَتَّى إِذَا مَا جَاءُوهَا شَهِدَ عَلَيْهِمْ سَمْعُهُمْ وَأَبْصَارُهُمْ وَجُلُودُهُمْ بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ (20)
इन आयतों का अनुवाद हैः
और (याद करो) जिस दिन ख़ुदा के दुशमन दोज़ख़ की तरफ़ हंकाए जाएँगे तो ये लोग क्रम से खड़े किए जाएँगे। [41:19] यहाँ तक की जब सब के सब जहन्नम के पास जाएँगे तो उनके कान और उनकी आंखें और उनकी त्वचा उनके ख़िलाफ़ उनकी कारस्तानियों की गवाही देंगे। [41:20]
पिछले कार्यक्रम में दुनिया में ही ज़ालिमों और पापियों को मिलने वाली सज़ा के बारे में बात हुई। अब यह आयतें आख़ेरत में उन्हें मिलने वाले अज़ाब के बारे में कहती हैं कि जो लोग अल्लाह के पैग़म्बरों और उनके ज़रिए लाई गई शिक्षाओं के विरोध में खड़े होते और उनके ख़िलाफ़ काम करते हैं वे दरअस्ल अल्लाह के दुश्मन हैं और उनके सामने अल्लाह है। इसलिए क़यामत के दिन उन लोगों को गिरफ़तार किए गए अपराधियों की तरह एक लाइन में जहन्नम के भीतर ले जाया जाएगा जैसे क़ैदियों को जेल में ले जाया जाता है। ज़ाहिर है जब अपराधियों को जहन्नम की आग नज़र आएगी तो ख़ुद को बेगुनाह बताएंगे और अल्लाह से शिकवा शिकायत करेंगे।
क़ुरआन कहता है कि उस समय अपराधी के शरीर के अंग जैसे कान, आंख, त्वचा सब बोलने लगेंगे और उसके ख़िलाफ़ गवाही देंगे। एसी गवाही देंगे जिसका इंकार करना मुमकिन ही नहीं होगा। क्योंकि यह गवाही शरीर के अंग देंगे जो इंसान के साथ हर क्षण और हर लम्हा मौजूद रहते हैं और हर चीज़ को देखते और महसूस करते हैं। इसलिए वे गवाही देंगे। क़यामत में दी जाने वाली इस गवाही से पता चलता है कि इंसान का हर अमल और हर बात उसके अपने अस्तित्व के भीतर भी दर्ज होती रहती है और उसका असर इंसान के शरीर और अंगों पर पड़ता है।
दरअस्ल वो दिन रुस्वाई का दिन होगा। ऐसा दिन होगा जब इंसान का पूरा वजूद बोलने लगेगा और उसके सारे राज़ खोल दिए जाएंगे। उस दिन गुनहगार हैरत और ख़ौफ़ में डूब जाएंगे।
इन आयतों से हमने सीखाः
कुफ़्र और शिर्क के भी अलग अलग दर्जे हैं। एक स्थिति वह आ जाती है कि इंसान अल्लाह का इंकार करने के बाद अल्लाह से दुश्मनी पर तुल जाता है। इस तरह का इंसान अल्लाह से दुश्मनी की वजह से अल्लाह की किताब और पैग़म्बरों के ख़िलाफ़ साज़िश और अमली कार्यवाही शुरू कर देता है।
बदन के अंगों का गवाही देना इस बात की निशानी है कि उन्हें इंसान के कर्मों की पूरी जानकारी है और क़यामत में जो कुछ उन्होंने देखा है क़यामत में वे उसे बयान करेंगे।
आयत संख्या 21 से 23
وَقَالُوا لِجُلُودِهِمْ لِمَ شَهِدْتُمْ عَلَيْنَا قَالُوا أَنْطَقَنَا اللَّهُ الَّذِي أَنْطَقَ كُلَّ شَيْءٍ وَهُوَ خَلَقَكُمْ أَوَّلَ مَرَّةٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ (21) وَمَا كُنْتُمْ تَسْتَتِرُونَ أَنْ يَشْهَدَ عَلَيْكُمْ سَمْعُكُمْ وَلَا أَبْصَارُكُمْ وَلَا جُلُودُكُمْ وَلَكِنْ ظَنَنْتُمْ أَنَّ اللَّهَ لَا يَعْلَمُ كَثِيرًا مِمَّا تَعْمَلُونَ (22) وَذَلِكُمْ ظَنُّكُمُ الَّذِي ظَنَنْتُمْ بِرَبِّكُمْ أَرْدَاكُمْ فَأَصْبَحْتُمْ مِنَ الْخَاسِرِينَ (23)
इन आयतों का अनुवाद हैः
और ये लोग अपनी त्वचा से कहेंगे कि तुमने हमारे ख़िलाफ क्यों गवाही दी तो वह जवाब देगी कि जिस ख़ुदा ने हर चीज़ को बोलने की ताक़त दी उसने हमको भी (अपनी क़ुदरत से) बोलने में सक्षम कर दिया और उसी ने तुमको पहली बार पैदा किया था और (आख़िर) उसी की तरफ लौट कर जाओगे। [41:21] और (तुम्हारी तो ये हालत थी कि) तुम लोग इस ख़याल से (अपने गुनाहों की) पर्दा दारी भी तो नहीं करते थे कि तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे और तुम्हारे अंग तुम्हारे ख़िलाफ गवाही दे देंगे बल्कि तुम इस ख़याल में (भूले हुए) थे कि ख़ुदा को तुम्हारे बहुत से कामों की ख़बर ही नहीं। [41:22] और तुम्हारी इस ग़लत सोच ने जो तुम अपने परवरदिगार के बारे में रखते थे तुम्हें तबाह कर छोड़ा आख़िर तुम घाटे में रहे। [41:23]
जब पाप करने वालों के शरीर के अंग ही उनके ख़िलाफ़ गवाही दे देंगे तो वे अपमानित होंगे और अपने अंगों को डाटेंगे कि हमारे ख़िलाफ़ क्यों गवाही दे रहे हो? क्या तुम हमारे हाथ, पैर, आंख, कान और त्वचा नहीं हो? क्या हम बरसों एक साथ नहीं रहे, क्या मैंने तुम्हारा ख़याल नहीं रखा? तो फिर क्या वजह है कि आज इस तरह हमारे ख़िलाफ़ बोल रहे हो? अंगों का जवाब भी मुंहतोड़ होगा। वे कहेंगे कि हम अपनी मर्ज़ी से नहीं बोल रहे हैं बल्कि उसी अल्लाह के आदेश से बोलने लगे हैं जिसने तुम्हें पैदा किया और मौत के बाद तुम्हें दोबारा ज़िंदा किया। वो किसी भी चीज़ को बोलने की क्षमता दे सकता है और हमारे बारे में भी अल्लाह का यही इरादा हुआ है।
दुनिया में जब तुमसे कहा जाता था कि अल्लाह है, उसे तुम्हारें कर्मों की ख़बर है उससे कोई भी चीज़ छिपी नहीं है तो उस समय तुम लोग यक़ीन नहीं करते थे। तुम यह समझते थे कि अल्लाह को तुम्हारे बहुत से कामों की ख़बर ही नहीं है। तुम यह सोच भी नहीं सकते थे कि हम यानी तुम्हारे शरीर के अंग भी तुम्हारे ख़िलाफ़ गवाही दे सकते हैं क्योंकि हम तुम्हारे सारे कर्मों के गवाह हैं। इसीलिए तुम लोगों की नज़र से छिप कर गुनाह करते थे, तुम्हें एहसास ही नहीं था कि अल्लाह को तुम्हारा हर राज़ पता है और उसकी तरफ़ से निर्धारित किए गए गवाह हर जगह मौजूद हैं और तुम्हारे कर्मों की निगरानी कर रहे हैं। दरअस्ल हम शरीर के अंग तुम्हारे कामों को देखते थे। बहरहाल अल्लाह के बारे में तुम्हारी ग़लत सोच का नतीजा यह हुआ कि आज तुम तबाही की तरफ़ जा रहे हो और केवल घाटे में हो।
यहां यह बता देना उचित होगा कि संवाद करना केवल अंगों तक सीमित नहीं है बल्कि केवल इंसान के अंग ही क़यामत के दिन नहीं बोलेंगे बल्कि क़ुरआन में तो ज़मीन, आसमान और जहन्नम के भी संवाद का ज़िक्र है। वे भी बहुत सी चीज़ों की गवाही देंगे। इस बात को बहुत से फ़ार्सी शायरों ने अपने शेरों में भी लिखा है कि ज़मीन व आसमान क़यामत के दिन बोलेंगे।
इन आयतों से हमने सीखाः
इंसान की अस्ली हक़ीक़त उसकी रूह है जबकि उसका शरीर इसी रूह के अधिकार में दिया गया साधन है। इसीलिए यह शरीर क़यामत के दिन इंसान की अस्ली हक़ीक़त के ख़िलाफ़ गवाही देगा।
क़यामत के दिन के गवाह इतनी सटीक गवाही देंगे कि उसका खंडन करना संभव नहीं होगा।
हमारे इर्द गिर्द की सारी चीज़ें और हमारे शरीर के अंग जो मूक नज़र आते हैं, जिस दिन अल्लाह का आदेश होगा बोल पड़ेंगे और इंसान के ख़िलाफ़ गवाही देंगे।
गुनहगारों को शरीर के अंगों की गवाही का पहले से कोई अंदाज़ा नहीं है इसलिए वे दुस्साहस के साथ गुनाह करते हैं। हालांकि अगर इंसान को एहसास हो जाए कि उसे अल्लाह देख रहा है तो कभी भी ग़लती नहीं करेगा।
अल्लाह के बारे में ग़लत सोच और ग़लत धारणा इंसान की तबाही और घाटे का सबब बनेगी।