क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार 894
सूरए फ़ुस्सेलत आयतें 8-12
सूरए फ़ुस्सेलत आयत नंबर 8
إِنَّ الَّذِينَ آَمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ (8)
इस आयत का अनुवाद हैः
बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करते रहे, उनके लिए वह सवाब है जो कभी ख़त्म होने वाला नहीं। [41:8]
पिछले कार्यक्रम की आख़िरी आयत अनेकेश्वरवादियों के बारे में थी जो ज़कात नहीं देते और भले काम नहीं करते और जिनका आख़ेरत पर कोई ईमान नहीं है। अलबत्ता अगर वे लोग भले कर्म भी करते तो चूंकि क़यामत पर उनका ईमान नहीं है इसलिए आख़ेरत में मिलने वाले प्रतिफल से वे वंचित ही रहते।
अब यह आयत कहती है कि जो लोग अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखते हैं और हमेशा अपनी क्षमताओं, व्यक्तिगत निपुणताओं और सामाजिक स्थिति के कारण नेक काम करते हैं क़यामत के दिन अल्लाह उन्हें वह प्रतिफल देगा जो कभी ख़त्म नहीं होगा।
इस आयत से हमने सीखाः
ईमान और नेक अमल एक दूसरे से अलग नहीं हैं, क़यामत में यह दोनों एक साथ होंगे।
आख़ेरत में अल्लाह की तरफ़ से दिया जाने वाला प्रतिफल नितांत होगा जबकि दुनिया में मिलने वाला प्रतिफल सीमित और समाप्त हो जाने वाला है चाहे वो कितना ही क़ीमती क्यों न हो।
सूरए फ़ुस्सेलत आयत संख्या 9 और 10
قُلْ أَئِنَّكُمْ لَتَكْفُرُونَ بِالَّذِي خَلَقَ الْأَرْضَ فِي يَوْمَيْنِ وَتَجْعَلُونَ لَهُ أَنْدَادًا ذَلِكَ رَبُّ الْعَالَمِينَ (9) وَجَعَلَ فِيهَا رَوَاسِيَ مِنْ فَوْقِهَا وَبَارَكَ فِيهَا وَقَدَّرَ فِيهَا أَقْوَاتَهَا فِي أَرْبَعَةِ أَيَّامٍ سَوَاءً لِلسَّائِلِينَ (10)
इन आयतों का अनुवाद हैः
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम उस (ख़ुदा) से इन्कार करते हो जिसने ज़मीन को दो दिन में पैदा किया और तुम (औरों को) उसका समकक्ष बनाते हो, वही तो सारी कायनात का मालिक है। [41:9] और उसी ने ज़मीन में उसके ऊपर से पहाड़ पैदा किए और उसी ने इसमें बरकत अता की और उसी ने एक उचित अन्दाज़ में इसमें चार दिन में रोज़ी का इंतेज़ाम किया जो तमाम तलबगारों के लिए बराबर (उनकी ज़रूरतों के अनुकूल) है। [41:10]
यह आयतें नास्तिकों और अनेकेश्वरवादियों को संबोधित करते हुए कहती हैं कि क्या तुम इस ख़ुदा का इंकार करते हो और दूसरों को उसका समकक्ष क़रार देते हो जिसने दो दिन में ज़मीन को पैदा किया? यह कितनी बड़ी ग़लती और कितनी बेबुनियाद बात है।
दरअस्ल जिस ज़मीन पर तुम जीवन बसर करते हो उसे अल्लाह ने पैदा किया और इस काम में कोई भी व्यक्ति और कोई भी चीज़ अल्लाह की साझीदार नहीं थी। वो ज़मीन को केवल पैदा करने वाला नहीं बल्कि सारी कायनात का परवरदिगार भी है। यानी वही हस्ती जिसने इस विशाल कायनात को पैदा किया, कायनात के सारे मामले उसी के हाथ में हैं। तो इबादत के लायक़ केवल वह है जिसने पैदा किया, जो संचालन करने वाला है और जो दुनिया का मालिक है।
ज़मीन को पैदा करने के बाद वनस्तियों, जानवरों और इंसानों को जिन चीज़ों की ज़रूरत थी उन्हें भी अल्लाह ने पैदा करके उनके हाथ में दे दिया। आसमानों से बातें करते मज़बूत पहाड़, विशाल समुद्र, घने जंगल जो ज़मीन के
ऊपर हैं और ज़मीन के भीतर मौजूद खदानें यह सारी चीज़ें ज़मीन पर बसने वालों की ज़रूरत पूरी करने वाली हैं। ज़मीन में बड़ी बरकतें और फ़ायदे हैं और उससे कई प्रकार की खाने पीने की चीज़ें पैदा होती हैं। निश्चित रूप से यह बरकतें और नेमतें, ज़रूरतमंदों की ज़रूरत के मुताबिक़ हैं, उनमें किसी तरह की कोई कमी और ऐब नहीं है। अल्लाह के शब्दों में जीवन को जारी रखने के लिए जो भी चीज़ें ज़रूरी थीं अल्लाह ने उन सबको पैदा कर दिया। क्या यह सारी नेमतें अपने आप अस्तित्व में आ गईं या किसी ने उन्हें पैदा करने में अल्लाह की मदद की है। यक़ीनन ऐसा नहीं है।
अलबत्ता चीज़ों को पैदा करने का विषय धीरे धीरे अलग अलग कालखंडों में और अलग अलग चरणों में पूरा हुआ है। दो चरण पूरे किए गए ताकि ज़मीन इस्तेमाल के लायक़ बन जाए, इसके बाद दूसरे चरण भी पूरे किए गए ताकि ज़मीन पर तरह तरह की नेमतें पैदा हों। इन चरणों की संख्या चार थी। यह चरण पूरे किए गए ताकि ज़मीन उस पर बसने वालों के लिए अनुकूल बन जाए और उनकी ज़रूरतें पूरी कर सके।
इन आयतें से हमने सीखाः
कायनात का पैदा करने वाला और उसे चलाने वाला एक ही है। अनेकेश्वरवादियों के अक़ीदे के बिल्कुल विपरीत जो कहते हैं कि इसे पैदा तो अल्लाह ने किया लेकिन इसका संचालन करने में दूसरी चीज़ें और लोग अल्लाह के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
कायनात की पैदाइश कई चरणों में धीरे धीरे हुई है। अचानक एक बार में नहीं। ज़मीन की पैदाइश भी दो चरणों में धीरे धीरे हुई।
अल्लाह कायनात का परवरदिगार है इसका एक चिन्ह ज़मीन पर रखी जाने वाले अनेक बरकतें और नेमतें हैं जो इंसानों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए रखी गई हैं। अलबत्ता अन्यायपूर्ण बटवारा, अत्याचारपूर्ण बरताव और रवैया कारण बना कि आज दुनिया में बहुत बड़ी संख्या में लोग ग़रीब और वंचित हो जाएं।
सूरए फ़ुस्सेलत आयत 11 और 12
ثُمَّ اسْتَوَى إِلَى السَّمَاءِ وَهِيَ دُخَانٌ فَقَالَ لَهَا وَلِلْأَرْضِ اِئْتِيَا طَوْعًا أَوْ كَرْهًا قَالَتَا أَتَيْنَا طَائِعِينَ (11) فَقَضَاهُنَّ سَبْعَ سَمَاوَاتٍ فِي يَوْمَيْنِ وَأَوْحَى فِي كُلِّ سَمَاءٍ أَمْرَهَا وَزَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِمَصَابِيحَ وَحِفْظًا ذَلِكَ تَقْدِيرُ الْعَزِيزِ الْعَلِيمِ (12)
इन आयतों का अनुवाद हैः
फिर आसमान की तरफ मुतवज्जे हुआ और जब वह धुआं (जैसा) था उसने उससे और ज़मीन से फ़रमाया कि तुम दोनों ख़़ुशी से या न चाहते हुए, आओ, दोनों ने अर्ज़ की हम ख़़ुशी ख़़ुशी हाज़िर हैं। [41:11] (और हुक्म के पाबन्द हैं) फिर उसने उन्हें दो दिन में सात आसमान के रूप में बना दिया और हर आसमान में उससे संबंधित (चीजों के इन्तेज़ाम का) हुक्म भेज दिया और हमने नीचे वाले आसमान को (सितारों के) चिराग़ों से सजाया और (उसे) महफ़ूज़ रखा। ये सर्वज्ञानी और ग़ालिब ख़ुदा का अन्दाज़ है। [41:12]
ज़मीन की रचना में अल्लाह के लुत्फ़ व करम का ज़िक्र करने और उसमें रहने वालों की ज़रूरत की नेमतें वहां मुहैया कर देने के बाद अब यह आयतें आसमानों की रचना का ज़िक्र करती हैं। जब अल्लाह ने इरादा किया और आसमानों को पैदा किया। शुरू में यह आसमान धुएं के विशाल ढेर की शक्ल में थे जिन्हें अल्लाह ने आकार दिया और उन्हें मज़बूत किया।
आसमान और ज़मीन की पैदाइश के सिलसिले में अल्लाह का इरादा बड़े ख़ास अंदाज़ का था और ज़मीन व आसमान के पास अल्लाह के आदेश का पालन करने के अलावा कोई चारा नहीं था। वे चाहें या न चाहें उन्हें अल्लाह की मर्ज़ी के अनुरूप ख़ुद को ढालना था।
ज़मीन की तरह जो दो चरणों के बाद निवासियों की मेज़बानी के लिए तैयार हो गई। आसमान भी अपने विशालकाय वजूद के बावजूद दो चरणों में उस शक्ल के बन गए जो अल्लाह चाहता था।
अलबत्ता अल्लाह ने सात आसमान पैदा किए। हम अपने सरों के ऊपर जो आसमान देखते हैं वह पहले आसमान का हिस्सा है। दूसरे शब्दों में पैदा की गई कायनात सात समूहों में है और हम जिसे देख पाते हैं वह एक समूह है। इंसान के बनाए हुए बड़े से बड़े टेलीस्कोप भी इस समूह के आगे का कोई दृष्य नहीं देख सके हैं।
दूसरा बिंदु यह है कि रात के समय सितारे आसमान को सजा देते हैं और टिमटिमाते दीपकों की तरह जल उठते हैं। इनमें हर एक के अंदर वजूद की हैरत अंगेज़ निशानियां हैं जो इंसानों को वजूद के पूरे दायरे के बारे में और उसे पैदा करने वाले के बारे में सोचने की दावत देती हैं। अल्लाह ने आसमान को हर ख़तरे से सुरक्षित रखा है।
इन आयतों से हमने सीखाः
आसमान शुरू में धुएं और गैस की शक्ल में था।
पूरी कायनात अल्लाह के फ़रमान की पाबंद है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम इस संतुलित और समन्वित कायनात में प्रतिकूल तत्व न बनें।
यह कायनात और उसकी व्यवस्था हमारी समझ से बहुत परे है। सितारों और आकाश गंगाओं के जो हिस्से और रूप हम देखते हैं या भविष्य में जिनकी हम खोज करेंगे वह सब पहले आसमान से संबंधित हैं। इंसान को अन्य आसमानों और अल्लाह द्वारा पैदा की गई अन्य चीज़ों की कोई जानकारी नहीं है।
वजूद अल्लाह की शक्ति और ज्ञान की झलक पेश करता है जिसे अल्लाह ने ख़ास मानकों और नियमों के अनुसार पैदा किया और उनका संचालन करता है।