रासायनिक हथियारों से लैस करने में सऊदी अरब की भूमिका
प्रसिद्ध अमरीकी पत्रकार सिमोर हर्श का कहना है कि हम ख़ुफ़िया रिपोर्टों के आधार पर इस बात की पुष्टि करते हैं कि सऊदी अरब और आतंकवादियों के कुछ अन्य समर्थकों ने सीरिया में वर्ष 2013 में नुस्रा फ़्रंट को सरीन गैस बनाने के मुख्य पदार्थ हवाले किए थे।
यह एेसी स्थिति में है कि ओपीसीडब्लयू ने भी पुष्टि की है कि वर्ष 2013 में पूर्वी ग़ोता में तथाकथित सरीन गैस के चिन्ह, उस सरीन गैस से बिलकुल नहीं मिलते जो इस घटना के समय सीरिया सरकार के पास थी।
महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि आतंकवादियों ने जनमत का ध्यान हटाने के लिए अपने अरब और पश्चिमी घटकों के समर्थन से सामूहिक विनाश के हथियारों का प्रयोग कर सीरिया में मानवता के विरुद्ध अपराध किया और उसका आरोप सीरिया की क़ानूनी सरकार पर लगाने का प्रयास किया।
सीरिया की सरकार ने 27 सितम्बर 2013 को सुरक्षा परिषद में पास होने वाले प्रस्ताव क्रमांक 2118 की परिधि में अपने रासायनिक पदार्थ, ओपीसीडब्लयू के हवाले कर दिए थे और विश्व समुदाय ने भी इस विषय की पुष्टि की है।
आतंकवादियों द्वारा रासायनिक हथियारों के प्रयोग का लक्ष्य, भरपूर पराजय को रोकना तथा सीरियाई नागरिकों के बीच भय उत्पन्न करना है ताकि उनको अपनी इच्छाओं के आगे नतमस्तक कर सकें।
इससे पहले भी अमरीकी शोध संस्था ने भी कहा था कि तथाकथित आईएचएस गुट के तत्व वर्ष 2014 से दसियों बार सीरिया में रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया। सुरक्षा सूत्रों की सूचनाओं के आधार पर सऊदी प्रशासन ने बड़ी मात्रा में रासायनिक पदार्थों को जिन्हें रासायनिक बमों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है, यूक्रेन और कुछ पश्चिमी सरकारों से ख़रीदकर आतंकवादी गुट दाइश के हवाले किया। (AK)