रूस पर प्रतिबंधों की बौछार, क्या मास्को के बढ़ते हुए क़दमों की ज़ंजीर बनेंगे यह प्रतिबंध...
(last modified Mon, 28 Feb 2022 08:00:53 GMT )
Feb २८, २०२२ १३:३० Asia/Kolkata

यूक्रेन पर सैन्य हमले के बहाने अमरीका और पश्चिम ने रूस के विरुद्ध अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। प्रतिबंधों और बायकाट का मामला यहीं पर नहीं रुका और यूरोप ने भी रूसी विमानों के लिए अपनी हवाई सीमाओं को बंद कर दिया।

अमरीका और उसके घटकों ने मास्को को इतनी की सज़ा देना पर्याप्त नहीं समझा बल्कि सोशल मीडिया पर रूसी चैनलों द्वारा पैसे कमाने पर रोक लगा दी गयी जबकि अंतर्राष्ट्रीय फ़ुटबाल फ़ेडरेशन फ़ीफ़ा ने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिए।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद फेसबुक ने भी रूस के सरकारी मीडिया पर ऐसी ही रोक लगाई थी। यूट्यूब की घोषणा से पहले फ़ेसबुक की स्वामी कंपनी मेटा ने रूसी सरकार की मीडिया को फ़ेसबुक पर डिमॉनेटाइज कर दिया था। यूट्यूब के बाद गूगल ने भी रविवार को रूस के सरकारी मीडिया संस्थान आरटी और दूसरे चैनलों को अपनी वेबसाइटों और ऐप्स पर वीडियो पर आने वाले विज्ञापनों से पैसा हासिल करने पर रोक लगा दिया है।

खेल की भावना पर राजनीति हावी हो गयी है और फ़ीफ़ा ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार रविवार को फ़ीफ़ा की गवर्नरिंग बॉडी ने रूस के यूक्रेन पर जारी हमलों के बाद अनेक तरह के प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि रूस में कोई भी अंतर्राष्ट्रीय फ़ुटबॉल मैच नहीं खेला जाएगा।

ब्रिटेन के पूर्व मीडिया कर्मी और राजनेता जार्ज गैलोवे का कहना है कि पश्चिम में लोग पूरी आज़ादी से अश्लील चीज़ें प्रसारित करने वाले चैनल बना सकते हैं लेकिन साम्राज्यवादियों और पूंजीवादियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले चैनलों का गला दबाने की कोशिश की जाती है। फ़ीफ़ा भी अब पश्चिम का राजनैतिक हथकंडा बन गया है और यहां पश्चिम की यह पोल खुल जाती है कि फ़ुटबॉल में राजनीति नहीं घुसानी चाहिए। फ़ीफ़ा हमेशा यह दावा करता है कि सरकारों को किसी भी तरह से अपने राजनैतिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन में हस्तक्षेप नहीं करना चहिए और उसने बारम्बार उन टीमों और खिलाड़ियों पर जुर्माना लगाया है जिसने इस्राईल की टीम से मुक़ाबला करने से मना कर दिया हो।

अब यह सवाल पैदा होता है कि 2003 में जब अमरीका ने इराक़ पर हमला किया था तब फ़ीफ़ा ने इस देश पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए या उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया और अब रूस पर क्यों यह प्रतिबंध लगाया जा रहा है?

 

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