यूक्रेन के बारे में जर्मन सैन्य अधिकारियों की ख़ुफ़िया बातचीत हुई लीक, नैटो पर अकेले भारी पड़ रहा है रूस, क्या केसेंजर ने अपना मशहूर बयान बाइडन के इशारे पर दिया था?
(last modified Tue, 31 May 2022 12:22:31 GMT )
May ३१, २०२२ १७:५२ Asia/Kolkata
  • यूक्रेन के बारे में जर्मन सैन्य अधिकारियों की ख़ुफ़िया बातचीत हुई लीक, नैटो पर अकेले भारी पड़ रहा है रूस, क्या केसेंजर ने अपना मशहूर बयान बाइडन के इशारे पर दिया था?

इस समय बरलिन और कई यूरोपीय राजधानियों में जर्मन रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ज़िमिती मिलेर के बयान पर गर्मा गरम बहसें छिड़ गई हैं।

मिलेर ने ज़ेडीएफ़ टीवी चैनल से बातचीत के दौरान एक ख़ुफ़िया बात कही कि नैटो के देशों के बीच यह ख़ुफ़िया समझौता है कि यूक्रेन को भारी हथियार, टैंक और तोपें नही देनी हैं और न ही मिसाइल और ड्रोन दिए जाएंगे। वजह साफ़ है कि अमरीका नहीं चाहता कि रूस से उसका प्रत्यक्ष टकराव हो जाए। अमरीका की कोशिश है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन को इतना आक्रोश न दिलाया जाए कि वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बारे में सोचना शुरू कर दें।

अमरीका छद्म युद्ध चाहता है रूस से ख़ुद प्रत्यक्ष रूप से टकराने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं है। यहीं से पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री हेनरी केसेंजर का बयान भी समझ में आ जाता है जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि रूस को शिकस्त देने की कोशिश न की जाए बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की अपने देश के कुछ भाग रूस के हवाले करके जंग ख़त्म करें। केसेंजर ने यह बयान बहुत सोच समझ कर दावोस फ़ोरम पर दिया था।

केसेंजर ने अपने बयान में कूटनैतिक स्वर में यह कहना चाहा कि नैटो के देश रूस को कभी भी शिकस्त नहीं दे सकते और अगर उन्होंने रूस को शिकस्त देने की कोशिश को बहुत बड़ी त्रास्दी जन्म लेगी। कम ख़र्चे वाला समाधान यह होगा कि प्रत्यक्ष वार्ता हो और राजनैतिक समाधान निकाला जाए जिस तरह केसेंजर ने 1973 की बड़ी जंग में वार्ता के ज़रिए इस्राईल को बहुत बड़ी शिकस्त से बचाया था। इस समय अमरीका और उसके घटक रूस से बातचीत शुरू करने की कोशिश में हैं इस समय फ़्रांसीसी राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर इसी कोशिश में लगे हैं। दोनों ने शनिवार को राष्ट्रपति पुतीन से फ़ोन पर बात की और उनसे आग्रह किया कि गंभीर राजनैतिक वार्ता शुरू हो।

यह तो तय है कि फ़्रांस और जर्मनी ने रूस के सामने आकर्षक प्रस्ताव रखे होंगे यह भी कहा होगा कि यूक्रेन नैटो का हिस्सा नहीं बनेगा और रूस की सारी स्ट्रैटेजिक मांगें पूरी की जाएंगी। लगता है कि दोनों देशों को यक़ीन हो गया है कि रूस को शिकस्त देना असंभव है और इस कोशिश में बहुत बड़े पैमाने पर पैसे ख़र्च होंगे जबकि इस बीच रूस पर लगाए गए प्रतिबंध भी नाकाम हो गए हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की की समझ में यह बात आ चुकी है कि उन्हें अमरीकी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया गया है और इसकी क़ीमत यूक्रेन को चुकानी पड़ रही है इसी लिए उन्होंने नैटो पर खुलकर आरोप लगाए हैं।

जर्मन अधिकारी ने सही कहा और सच्चाई बयान की ताकि ज़ेलेन्स्की ज़मीनी सच्चाई को समझकर रूस से बातचीत करें और रूस की मांगें पूरी करके जंग ख़त्म करवाएं। उनका बयान जिस तरह से लीक हुआ है उससे पता चलता है कि सब कुछ योजना के तहत किया गया है।

साभार रायुल यौम

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