सऊदी अरब की आंख निकालने की तैयारी में अमेरिका, मालिक, नौकर के व्यवहार से हुआ आग बबूला!
(last modified Sun, 30 Oct 2022 14:06:19 GMT )
Oct ३०, २०२२ १९:३६ Asia/Kolkata
  • सऊदी अरब की आंख निकालने की तैयारी में अमेरिका, मालिक, नौकर के व्यवहार से हुआ आग बबूला!

सऊदी अरब और अमेरिका के बीच दूरियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दोनों ही देश इस दुनिया में अहम स्थान रखते हैं और ऐसे में इनके बीच जो तनाव है व‍ह पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है।

अमेरिकी अधिकारियों ने तेल कटौती पर सऊदी अरब को नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है। सऊदी अरब की तरफ से इस महीने की शुरुआत में तेल के उत्‍पादन में कटौती करने का ऐलान किया गया था। यह ऐलान ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका में मध्‍यावधि चुनाव होने हैं। फ़ैसले की वजह से पेट्रोल की क़ीमतों में बढ़ोतरी हो गई है। अमेरिकी सांसदों ने इस बात का अंदेशा जताया है कि जो फ़ैसला लिया गया है, उसके बारे में कभी सोचा नहीं गया था। अमेरिका ने इसके बाद सऊदी अरब को होने वाली हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। साथ ही साथ ही अमेरिकी न्‍याय विभाग ने कहा कि वह सऊदी अरब और ओपक प्लस के दूसरे सदस्‍य देशों के बीच सांठ-गांठ के ख़िलाफ़ केस दायर करेगा। रियाज़ के फ़ैसले के बाद से ही सऊदी अरब और आले सऊद शासन के युवराज मोहम्‍मद बिन सलमान लगातार अमेरिकी राजनेताओं के निशाने पर हैं। दोनों ही देश इस पूरी स्थिति पर एक दूसरे को देख लेने की बात कर रहे हैं। सऊदी अरब के इस फ़ैसले का वित्‍त बाज़ार और अर्थव्‍यवस्‍था पर बुरे नतीजे की आशंका जताई गई है। दोनों ही देशों की तरफ़ से तनाव को छिपाने की कोशिश भी नहीं की जा रही है। सऊदी अरब शासन के एक टॉप अधिकारी की तरफ़ से कहा गया है कि उनके देश ने ज़्यादा समझदारी से बर्ताव किया है। जबकि व्‍हाइट हाउस के अधिकारी ने इसका जवाब यह कहकर दिया है, 'यहां पर कोई बच्चों का खेल नहीं चल रहा है।' अगर यह स्थिति आगे जारी रही तो फिर दोनों देशों के रिश्‍ते ख़त्‍म हो सकते हैं। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मनना है कि इन दोनों देशों के बीच जारी टकराव का दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था पर भी ख़तरनाक असर डालेगी। यूरेशिया ग्रुप के डायरेक्‍टर क्‍लेटॉन एलन का कहना है कि यह कई वर्षों में पहला मौक़ा है जब इन दो देशों के रिश्‍ते इस हद तक तनावपूर्ण हो गए हैं।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने साल 2020 में कहा था कि सऊदी अरब का अगर मानवाधिकार रिकॉर्ड देखा जाए तो इसे 'पायरिया' कहना ही सही होगा। इस साल जब बाइडन जून में सऊदी अरब के दौरे पर गए थे तो भी सऊदी युवराज और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच की दूरी को अच्छे से महसूस किया जा सकता था। वहीं अमेरिकी अधिकारियों को ऐला लग रहा था कि शायद वॉशिंग्टन और रियाज़ के बीच कोई सीक्रेट डील हो जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और रूस के साथ हाथ मिलाकर सऊदी अरब ने सारा खेल बदल दिया गया। पांच अक्‍टूबर को ओपेक प्‍लस देशों की मीटिंग के बाद सऊदी अरब ने ऐलान किया था कि तेल के उत्‍पादन में दो फीसदी की कटौती करेगा। कहा जा रहा है कि सऊदी अरब ने रूस के साथ जाकर अमेरिका के ख़िलाफ़ यह फ़ैसला किया है। कुछ लोगों ने इसे बाइडन के चेहरे पर थप्‍पड़ तक करार दे डाला। कहा गया कि सऊदी अरब ने यह फ़ैसला अपने प्रभुत्‍व के चलते लिया है। जबकि ओपेक प्‍लस के बाक़ी सदस्‍य देशों का कहना है कि तेल की कटौती का फ़ैसला आपसी सहमति के बाद हुआ है। सऊदी अरब ने भी ज़ोर देकर कहा है कि तेल उत्‍पादन में कटौती का फ़ैसला पूरी तरह से आर्थिक है। उसकी मानें तो इस फ़ैसले का मक़सद ऊर्जा बाज़ार को स्थिर करना है।

सऊदी की मानें तो सेंट्रल बैंकों की तरफ़ से ब्‍याज़ दरों को बढ़ाया जा रहा है और ऐसे में वैश्विक मंदी का डर है। देश के कुछ समर्थकों का भी तर्क है कि अमेरिका और सऊदी अरब के बीच सुरक्षा संबंध आपसी हितों के लिए हैं न कि अमेरिका का सऊदी अरब पर कोई एहसान है। एलन का कहना है कि दोनों ही पक्ष इस पूरे मसले को एक-दूसरे को समझने के लिए तैयार नहीं है। अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस फ़ैसले से दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था अस्थिर हो सकती है। हो सकता है कि सऊदी अरब अमेरिका की तरफ़ से लगाए गए जुर्माने पर कोई बड़ा क़दम उठा ले। वॉल स्‍ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक़, सऊदी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि वह अमेरिका के ट्रेज़री बॉन्‍ड को बेच सकता है। अगर, सऊदी अरब ने अमेरिकी कर्ज़ से किनारा किया तो फिर अमेरिका में बाज़ार अस्थिर हो सकता है और साथ ही परिवारिक बिजनेस तक चौपट हो सकते हैं। सऊदी अरब पर अमेरिका का 119 अरब डॉलर का कर्ज़ है और यह दुनिया का 16वां देश है जिस पर इतनी ज़्यादा देनदारी है। ऐसे में अमेरिका और सऊदी अरब के बीच रिश्‍ते इस मौक़े पर ख़त्‍म होना दुनिया के लिए तबाही की वजह बन सकते हैं। (RZ)

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