क्या अब भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का गुणगान करेगी भारतीय मीडिया, ब्रिटेन सरकार की नई योजना से छात्रों को लगा झटका!
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक देश में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विदेशी छात्रों की संख्या को कम करने सहित "सभी विकल्पों" पर विचार करेंगे।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नवीनतम आंकड़ों ने सुनक प्रशासन की चिंता को और बढ़ा दिया है। यही कारण है कि ब्रिटिश सरकार विदेशी छात्रों की संख्या कम करने पर विचार कर रही है। हालांकि विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करना सुनक के लिए आसान नहीं होगा। कई विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों से मिलने वाले उच्च शुल्क पर निर्भर करते हैं। ब्रिटिश मीडिया ने डाउनिंग स्ट्रीट के एक प्रवक्ता के हवाले से रिपोर्ट दी है कि सुनक तथाकथित "निम्न गुणवत्ता" की डिग्री हासिल करने वाले और आश्रितों को लाने वाले विदेशी छात्रों पर अंकुश लगाने पर विचार करेंगे। हालांकि उन्होंने इस बारे में नहीं बताया कि "कम गुणवत्ता" की डिग्री क्या है। ग़ौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय छात्र जिनमें विशेष रूप से भारतीय छात्र कि जिनकी संख्या पहली बार चीनी छात्रों के मुक़ाबले में ज़्यादा हुई है, उन्हें सुनक सरकार द्वारा विचाराधीन नई योजना से सबसे ज़्यादा धक्का लगेगा। सुनक के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं कि आप्रवासन प्रणाली काम कर रही है। प्रधानमंत्री कुल संख्या को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।"
बता दें कि विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करके प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करना एक मुश्किल काम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश विश्वविद्यालय पैसे की भरपाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय छात्रों से उच्च शुल्क पर निर्भर हैं, वे ब्रिटिश छात्रों से कम शुल्क वसूल कर नुक़सान में जाते हैं। वहीं यदि तथाकथित निम्न गुणवत्ता वाली डिग्री पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो कुछ विश्वविद्यालयों के दिवालिया होने का भी ख़तरा है। इस बीच भारतीय समुदाय के नेतृत्व वाले छात्रों के एक संगठन ने शुक्रवार को सुनक सरकार से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को देश के इमिग्रेशन आंकड़ों से हटाने का आग्रह किया है। नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एल्युमिनाई यूनियन (एनआईएसएयू) यूके के अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा, "छात्र जो अस्थायी रूप से ब्रिटेन में हैं, उन्हें प्रवासियों के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय छात्र, जिनमें भारतीयों का सबसे बड़े समूह है, ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में 30 अरब जीबीपी का शुद्ध राजस्व लाते हैं।" इस बीच टीकाकारों का कहना है कि एक ओर जहां भारत सरकार से लेकर भारतीय मीडिया लगातार सुनक सरकार की तारीफ़ों का पुल बांधे हुए है वहीं ब्रिटेन की नई सरकार अपनी हर दिन घोषणा करती नीतियों से अगर सबसे ज़्यादा किसी को नुक़सान पहुंचा रही है तो वह है भारत या फिर ब्रिटेन जाने वाले भारतीय। (RZ)
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