यूरोप में लगातार मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत क्यों किया जा रहा है?
(last modified Fri, 30 Jun 2023 07:38:42 GMT )
Jun ३०, २०२३ १३:०८ Asia/Kolkata
  • यूरोप में लगातार मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को आहत क्यों किया जा रहा है?

बुधवार को ऐसे वक़्त में जब दुनिया भर के मुसलमान या ईदुल अज़हा मना रहे थे या मनाने की तैयारी कर रहे थे, एक बार फिर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ क़ुराने मजीद को फाड़ा गया और फिर जलाया गया।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, स्वीडिश पुलिस ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने इस घटना की इजाज़त दी थी और वह भी स्टॉकहोम की सेंट्रल मस्जिद के सामने ऐसे समय में जब दुनिया भर के मुसलमान ईदुल अज़हा मना रहे थे।

दर असल, यूरोपीय देशों में फैल रही मॉडर्न जिहालत या धार्मिक विश्वासों का उपहास उड़ाने और विशेष रूप से इस्लामी मान्यताओं का अनदार करने जैसे गंभीर मुद्दे इस समाज के खोखलेपन और नैतिक पतन का स्पष्ट सुबूत हैं। हाल ही में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में तुर्किए के दूतावास के सामने क़ुराने मजीद को जलाया गया था। यह जघन्य अपराध डेनमार्क की कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी स्ट्रैम कुर्स के इस्लाम दुश्मन नेता रासमस पलूदन ने अंजाम दिया था, जिसकी अनुमति उन्हें स्वीडिश सरकार और पुलिस ने प्रदान की थी।

मुसलमानों के सबसे पवित्र धार्मिक ग्रंथ का अनादर करने वालों का दावा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन्हें मुसलमानों के पवित्र धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की अनुमति देती है।

हालांकि हर बुद्धिमान व्यक्ति जानता है कि हर प्रकार की आज़ादी की अपनी सीमाएं होती हैं। जबकि पश्चिम अपनी इस नीति को लेकर घोर विरोधाभास में जकड़ा हुआ है। सैकड़ों ऐसे उदाहरण हमारे सामने हैं, कि जब सिर्फ़ अभिव्यक्ति के कारण लोगों को जेलों की सलाख़ों के पीछे धकेल दिया गया। सभी जानते हैं कि विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज द्वारा कुछ महत्वपूर्ण रहस्योद्घाटनों के कारण यूरोपीय देशों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया। उन्हें किस तरह से पकड़कर और जकड़कर ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से अमरीका ले जाया गया। उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया गया? सिर्फ़ इसलिए कि उनके रहस्योद्घाटनों से कई पश्चिमी सरकारों के पाखंड से पर्दा उठ रहा था और उनके हितों को चोट पहुंच रही थी।

स्वीडन में क़ुरान जलाने की यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई बार यह घृणित कृत्य किया गया है, बल्कि हालिया वर्षों में दुनिया भर में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत यानी इस्लामोफ़ोबिया और उनकी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं।

स्टॉकहोम की मस्जिद के प्रतिनिधियों ने स्वीडिश पुलिस के उस फ़ैसले पर नाराज़गी जताई है, जिसमें ईदुल अज़हा के मौक़े पर मस्जिद के सामने इस जघन्य अपराध की इजाज़त दी गई। मस्जिद के इमाम मोहम्मद ख़लफ़ी का कहना है कि उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया था कि कम से कम इस अपराध की जगह को बदल दिया जाए, ऐसा नियम के तहत किया जा सकता था, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया।

टैग्स