आख़िर महिलाओं को क्यों कम कपड़े में देखना चाहती है दुनिया? आज़ादी के नाम पर हिजाब को ही क्यों निशाना बनाते हैं यूरोपीय देश?
(last modified Mon, 28 Aug 2023 10:06:39 GMT )
Aug २८, २०२३ १५:३६ Asia/Kolkata
  • आख़िर महिलाओं को क्यों कम कपड़े में देखना चाहती है दुनिया? आज़ादी के नाम पर हिजाब को ही क्यों निशाना बनाते हैं यूरोपीय देश?

फ्रांस के शिक्षा मंत्री ने एक ऐसा फ़ैसला लिया है जो न केवल इस देश में रहने मुसलमानों को नाराज़ कर सकता है, बल्कि दुनिया भर की उन महिलाओं में भी रोष पैदा कर सकता है जो अपनी मर्ज़ी से हिजाब पहनती हैं।

एक ओर तो दुनिया भर में अभियव्यक्ति की आज़ादी और महिलाओं के सम्मान और उनकी स्वतंत्रता के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं तो दूसरी ओर अपनी मर्ज़ी से हिजाब का चयन करने वाली महिलाओं को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आख़िर दुनिया महिलाओं को कम कपड़ों में ही क्यों देखना चाहती है? क्या महिलाओं का सम्मान कम कपड़ों में है या फिर उनकी तरक़्की उनके अंग प्रदर्शन में ही छिपी हुई है? महिलाओं की आज़ादी के नाम पर उनके कपड़े ही क्यों कम कराए जाते हैं? यह सब ऐसे सवाल हैं कि जिनके जवाब शायद ही किसी के पास हों। क्योंकि यह सब जानते हैं कि समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा के पीछे उनका अंग प्रदर्शन ही है। हो सकता है कि इसपर कुछ लोग यह कह सकते हैं कि पुरुषों को अपने आप पर कंट्रोल होना चाहिए, चाहे महिलाएं पूरा कपड़ा पहनें या कम। तो फिर उन महिलाओं को क्यों आज़ादी नहीं दी जाती जो अपने आपको हिजाब में रखना चाहती हैं? फ्रांस समेत कई यूरोपीय देश हिजाब को लेकर आए दिन नए-नए क़ानून और आदेश पारित करते रहते हैं। यही पश्चिमी देश महिलाओं की आज़ादी और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा शोर मचाते हैं, लेकिन जब मुस्लिम महिलाओं की बात आती है तो यही उनपर अपनी सोच और अपनी संस्कृति को थोपना चाहते हैं।  

इस बीच ऐसे समाचार सामने आ रहे हैं कि फ्रांस के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि फ्रांस के सरकारी स्कूलों में छात्रों को अबाया पहनने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। चार सितंबर को जब नया शैक्षिक वर्ष शुरू होगा, उसी समय यह नियम लागू कर दिया जाएगा। फ्रांस ने राज्य के स्कूलों और सरकारी भवनों में धार्मिक संकेतों पर सख़्त प्रतिबंध लगा दिया है। उसका कहना था कि ये संकेत धर्मनिरपेक्ष क़ानूनों का उल्लंघन करते हैं। साल 2004 से ही स्‍कूलों में हेडस्‍कार्फ या हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। फ्रांसीसी शिक्षा मंत्री गेब्रियल अटाल ने फ्रांस के टीएफ1 टीवी को इस फ़ैसले के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। उन्‍होंने कहा, 'जब आप कक्षा में प्रवेश करते हैं, तो आपको केवल विद्यार्थियों को देखकर उनके धर्म की पहचान करने में सक्षम नहीं होना चाहिए। इसलिए मैंने फ़ैसला किया है कि स्‍कूल में अबाया नहीं पहना जा सकता है।' पिछले कई महीनों से देश में इस बात पर बहस जारी थी कि क्‍या स्‍कूलों में लड़कियों का अबाया पहनकर आना ठीक है। वहीं फ्रांस सरकार के इस फ़ैसले के पीछे जो असली मक़सद है उसके बारे में वह बता नहीं रही है। क्योंकि न केवल फ्रांस बल्कि पूरे यूरोपीय देशों लगातार हिजाब को लेकर महिलाओं में रूची पैदा होती जा रही है, इसी तरह इस्लाम के प्रति भी आम लोगों में दिलचस्पी देखी जा रही है। यह ऐसी चीज़ें हैं कि जिसने यूरोपीय नेताओं को चिंता में डाल दिया है। वे नहीं चाहते हैं कि इस्लाम के प्रति आम लोगों में रूची बढ़े और वे इस्लाम धर्म को स्वीकार करें। वहीं एक सबसे बड़ी सच्चाई यह भी है कि समाज में बड़ी तेज़ी से बदलाव आ रहा है। अब लोग नग्नता और अशलीलता की वजह से असुरक्षा महसूस करने लगे हैं। महिलाओं को भी यह समझ में आने लगा है कि उनकी आज़ादी कपड़ों को कम करने में नहीं है बल्कि अपने आपको ढकने और हवस की निगाहों से बचने में है। (RZ)

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