जनाब पोप! मुश्किल को हम सब जानते हैं कृपया धार्मिक साहस के साथ ज़िम्मेदारों को बताइये
पार्सटुडे- विश्व के कैथोलिक ईसाइयों के नेता का मानना है कि डेमोक्रेसी की हालत दुनिया में ठीक नहीं है परंतु उन्होंने उसके ज़िम्मेदारों की ओर कोई संकेत नहीं किया।
खेद के साथ कहना पड़ता है कि दुनिया में डेमोक्रेसी शब्द के मूल्य व महत्व का आधार पश्चिम है और यह बहुत बड़े झूठ व कल्पना में परिवर्तित हो चुका है।
यूरोपीय देशों और अमेरिका में फ़िलिस्तीन समर्थक आंदोलनों व प्रदर्शनों के दमन से इन देशों में डेमोक्रेसी के दावे की वास्तविकता की पुष्टि होती है।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कैथोलिक ईसाइयों के नेता पोप फ्रांसिस ने रविवार को एक क़ाफ्रेन्स में कहा कि पॉपुलिस्टी नीति से दुनिया में डेमोक्रेसी को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने बल देकर कहा कि दुनिया के बहुत से लोग एहसास करते हैं कि वे डेमोक्रेसी से वंचित हैं और ग़रीबों, वंचितों और दरिद्र लोगों को अपनी हाल पर छोड़ दिया गया है।
पोप फ्रांसीस ने दुनिया में ध्रुवीकरण और पार्टीकरण की भर्त्सना की और कहा कि डेमोक्रेसी के संकट में विभिन्न राष्ट्रों के लोग फंस गये हैं मगर जिस चीज़ की अपेक्षा थी कि पोप फ्रांसिस उसकी चर्चा करेंगे और उसकी ओर इशारा करेंगे वह यह था कि वह स्पष्ट शब्दों में उन लोगों की ओर इशारा करेंगे जो वर्तमान स्थिति के ज़िम्मेदार हैं और उन लोगों ने पूंजीवादी सोच के साथ केवल अपने हितों को मापदंड क़रार दिया है। इसी प्रकार पोप फ्रांसिस ने साम्राज्यवादी और वर्चस्ववादी लोगों और उनके हितों की ओर संकेत करने के बजाये राजनीति में तक़वे के महत्व की ओर संकेत किया।
महान ईश्वर से वास्तविक भय और बुद्धि से काम लेने से राजनेता अमानवीय मामलों में पड़ने से बच सकते हैं मगर विश्व इस बात का साक्षी है कि पश्चिमी नेताओं ने पैसे और शक्ति के बल पर दुनिया से डेमोक्रेसी को ख़त्म कर दिया और जहां भी ज़रूरी होगा वहां वे डेमोक्रेसी शब्द का हथकंडे के रूप में प्रयोग करेंगे। MM
कीवर्ड्सः विश्व के कैथोलिक नेता, पश्चिमी मूल्यों के आधार पर डेमोक्रेसी, मानवता विरोधी मामले, निर्धन और कमज़ोर लोग
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