Dec ०६, २०२० ११:२९ Asia/Kolkata
  • फ़्रांस में पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ दसियों शहरों में प्रदर्शन, सैकड़ों घायल और गिरफ़्तार, नए क़ानून से पुलिस को मिलेगी खुली छूट

पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ फ़्रांस के दसियों शहरों में जनता सड़कों पर निकली।

फ़्रांस में सामाजिक अन्याय और पुलिस के हिंसक व्यवहार के ख़िलाफ़ शनिवार को दसियों शहरों में प्रदर्शन हुए।

पेरिस में हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया। पेरिस में प्रदर्शन के दौरान लोगों और पुलिस में टकराव हुआ। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कई गाड़ियों को आग लगा दी। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले फ़ायर किए।

फ़्रांस प्रेस के मुताबिक़, शनिवार को पेरिस में हुए प्रदर्शन में दसियों हज़ार की तादाद में लोग शामिल हुए। प्रदर्शन में येलो जैकेट आंदोलन के समर्थक भी शामिल थे। लोगों ने जो नारे लगाए उसमें “सभी पुलिस से नफ़रत करते हैं” का नारा भी था।

पेरिस में प्रदर्शन शुरू में शांत था, लेकिन धीरे धीरे हिंसक हो गया। प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने चलते हुए कारों को आग लगा दी और दुकानों व बैंकों के शीशे तोड़ दिए।

इंटरनेट यूज़र्स ने बताया की प्रदर्शनों के दौरान बड़ी तादाद में लोग घायल व गिरफ़्तार हुए।

फ़्रांस में शनिवार को 100 जगहों पर प्रदर्शन का प्रोग्राम था। इन प्रदर्शनों का आह्वान व्यवसायिक संघ ने किया था। प्रदर्शन की अपील सामाजिक अन्याय के ख़िलाफ़ की गयी थी, लेकिन फ़्रांसीसी सरकार के “व्यापक सुरक्षा” नामी बिल का विरोध करने वाले भी इन प्रदर्शनों में शामिल थे।

ग़ौरतलब है कि फ़्रांस में पास हुए “व्यापक सुरक्षा” नामी बिल के तहत पुलिस की तस्वीर को छापना जुर्म क़रार पाया है और ऐसा करने वालों को नक़द जुर्माना और जेल की सज़ा का प्रावधान है।

इस बिल को सेनेट से पास होना बाक़ी है। सेनेट से पास होने का बाद इस बिल को क़ानूनी हैसियत मिल जाएगी।

फ़्रांस में नागरिक संगठन, मीडिया, अख़बारों के संघ को इस बात की चिंता है कि संविधान की धारा 24 के तहत “व्यापक सुरक्षा” नामी क़ानून से प्रेस की आज़ादी छिन जाएगी और पुलिस का हिंसक रवैया सामने नहीं आ पाएगा जिससे वह दंडित होने से बच जाएगी।

इस क़ानून की आलोचना करने वालों का कहना है कि अगर पुलिस के हिंसक रवैये की फ़िल्म और तस्वीर इंटरनेट पर जारी नहीं होती तो बहुत से केसों में मुजरिम पुलिसकर्मी को सज़ा नहीं मिल पाती।

इसकी ताज़ा मिसाल फ़्रांसीसी पुलिस के हाथों एक अश्वेत नागरिक की पिटाई की घटना थी, जिसकी तस्वीर सामाजिक साइटों पर बहुत फैली और लोगों की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आयी थीं, जिसके बाद फ़्रांसीसी राष्ट्रपति ने इन तस्वीरों को लज्जाजनक बताया था, लेकिन उसके बाद ही फ़्रांस में नए क़ानून की कोशिश शुरू हो गयी जिसके ख़िलाफ़ जनता प्रदर्शन कर रही है।(MAQ/N)

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