हमने बताया कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने हालांकि ख़ुद को बनी उमय्या और बनी अब्बास के बीच सत्ता के लिए जारी खींचतान से दूर रखा लेकिन उनके अत्याचार के ख़िलाफ़ कभी भी संघर्ष से पीछे नहीं रहे और इस्लामी शासन को हड़पने वालों के बीच साठगांठ से पर्दा उठाते रहे।