Jul ०६, २०२१ २०:२६ Asia/Kolkata
  •  क़ाजारी काल में तबरेज़ का क्या महत्व था? तबरेज़ में उस समय की कौन कौन सी चीज़ें यादगार के रूप में आज भी बाक़ी हैं?   

तबरेज़ शहर क़ाजार शासनकाल में ईरान की राजधानी होने के अलावा प्राचीन व ऐतिहासिक शहरों की दृष्टि से ईरान का दूसरा बड़ा और ध्यान योग्य शहर था।

  आरंभिक अध्ययनों के मुताबिक़ तबरेज़ में लगभग 300 पुराने और ऐतिहासिक घर हैं जिनमें से क़रीब 80 सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संचालित होते हैं ताकि किसी भी तरह के ख़तरे से सुरक्षित रहें।

 

हैदरज़ादे भवन 

 

तबरेज़ शहर के केंद्रीय भाग की सड़कों व गलियों से गुज़रते हुए हम अनेक सुंदर ऐतिहासिक घर देखते हैं जो अपनी बेजोड़ वास्तुकला के चलते, सैलानियों को ज़ंदी व क़ाजारी काल की वास्तुकला की शैलियों से परिचित कराते हैं। तो आइये इन ऐतिहासिक घरों पर एक नज़र डालते हैं।

ख़ानए हैदर ज़ादे या हैदर ज़ादे भवन, तबरेज़ शहर के मक़सूदिया इलाक़े में स्थित है। इस घर का निर्माण कब हुआ इस बारे में कोई ऐतिहासिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है लेकिन अध्ययन से पता चलता है कि सन 1870 के आस पास हाजी हबीब लक ने इसे बनवाया था। हैदर ज़ादे भवन का क्षेत्र सफल 900 वर्ग मीटर है और यह दो मंज़िला इमारत है। इसके अंदर व बाहर दो आंगन हैं जो घर के माध्यम से एक दूसरे से अलग होते हैं।

तबरेज़ के हैदर ज़ादे भवन के तहख़ाने में फ़व्वारों वाला एक छोटा घरेलू हौज़ बना हुआ है। इस हौज़ को रंग- बिरंगी ईंटों से सजाया गया है। इस घर के दूसरे भाग, हाल के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस इमारत में लकड़ी की खिड़कियां, रंग बिरंगे शीशे और ईंटों का सुंदर काम और पेंटिग्ज़ भी देखी जा सकती हैं। इस घर का मुख्य कमरा या शाह नशीन, इसका सबसे सुंदर कमरा है।

सन 2001 में हैदर ज़ादे भवन का पुनर्निर्माण किया गया और इस समय यह पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत व तबरेज़ के पर्यटन सूचना केंद्र के रूप में इस्तेमाल होता है। सन् 1999 में इस घर को ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूची में पंजीकृत किया गया। हैदर ज़ादे भवन के आस-पास कई और पुराने घर स्थित हैं।

ख़ानए सलमासी या सलमासी भवन, तबरेज़ के अत्यंत अहम घरों में से एक है जिसे संग्रहालय बना दिया गया है। यह घर मक़सूदिया इलाक़े की एक पुरानी गली में स्थित है और क़ाजारी शासनकाल के आरंभ में इसका निर्माण किया गया था। ख़ानए सलमासी में तीन आंगन और दो मंज़िलें हैं और यह 870 वर्ग मीटर के इलाक़े पर बना हुआ है। इस म्यूज़ियम हाउस में वज़न करने के विभिन्न पुराने देशी व विदेशी साधन रखे हुए हैं जिनमें तरह- तरह के तराज़ू और सुनारों के छोटे तराज़ू देखे जा सकते हैं। इसी तरह यहां अनेक सुंदर और पुरानी घड़ियां भी रखी हुई हैं जिनमें से कई विदेशी हैं। खगोलशास्त्र, मौसम विज्ञान, पानी और बिजली से संबंधित अनेक यंत्र भी आप यहां देख सकते हैं।

तबरेज़ का सलमासी भवन

 

ख़ानए बहनाम या बहनाम भवन का शुमार भी तबरेज़ के बड़े पुराने घरों में होता है और यह भी मक़सूदिया इलाक़े में ही स्थित है। इस घर का निर्माण ज़ंदी शासन के अंतिम और क़ाजारी शासन के आरंभिक काल में हुआ था। इस इमारत को आवासीय उद्देश्य के लिए बनाया गया था और नासिरुद्दीन शाह क़ाजार के शासनकाल में इसका पुनर्निर्माण हुआ और इसे क़ाजारी शैली की सुंदर चित्रकारी से सजाया गया।

पिछली बार जब इसकी मरम्मत की गई थी तो इसमें ईरानी-फ़्रेस्को शैली की चित्रकारिता के कई नमूने भी मिले थे। फ़्रेस्को उस शैली को कहते हैं जिसमें चित्रों को एक दूसरे से जोड़ दिया जाता है और दीवार या छत पर मौजूद चूने पर ये चित्र बनाए जाते हैं। यह तारीख़ी इमारत 3 हज़ार वर्ग मीटर पर बनी हुई है जिसमें दो घर हैं जिनमें से मुख्य घर को ठंडक में इस्तेमाल किया जाता था जबकि दूसरे और छोटे घर को गर्मियों में प्रयोग किया जाता था। इसी तरह इमारत के अंदर और बाहर के दो आंगन, ईरान के प्राचीन घरों की सुंदरता के परिचायक हैं। बहनाम भवन का अंदरूनी हिस्सा, उसके उत्तरी भाग में है जिसमें पूरब व पश्चिम की ओर कई कमरे बने हुए हैं और घर के अंदर वाले आंगन की ओर खुलते हैं।

ख़ानए बहनाम या बहनाम भवन में सजावट का काम बड़ी निपुणता और सुंदरता से किया गया है। ज्योमितिय शैली को इस तरह से इस्तेमाल किया गया है कि पूरे घर में प्रकाश बड़ी आसानी से पहुंचता है और सजावट के लिए बने चित्रों व आकारों की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। मुख्य द्वारों, शिलालेखों, खिड़कियों, ताक़ों और अन्य चीज़ों पर ईंटों, चूने, टाइलों और आईनों से बड़ा सुंदर काम किया गया है।

                                                           

बहनाम भवन

 

इस समय बहनाम भवन, अपनी सुंदर क़ाजारी वास्तुकला के साथ एक बड़े हाल, हौज़ख़ाने, सुंदर कमरों और बेजोड़ चित्रकारी के साथ वास्तुकला और नगर निर्माण के कालेज के रूप में इस्तेमाल होता है। इस इमारत को सन 1997 में ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूची में दर्ज किया गया था।

क़ाजार काल के अन्य ऐतिहासिक घरों में से एक ख़ानए हरीरी या हरीरी हाउस है। यह घर क़ाजारी काल में दीवारों पर चित्र बनाने की जो कला थी, उसका संपूर्ण नमूना है। इस घर को क़ाजारी काल के आरंभिक दिनों में बनाया गया था। हरीरी भवन में दो आंगन हैं जिनमें से एक अंदर और एक बाहर है। घर के बाहरी हिस्से की दीवारों पर बड़े ही सुंदर चित्र बने हुए हैं और इसके लिए यूसुफ़ व ज़ुलैख़ा और अन्य ऐतिहासिक क़िस्सों व कहानियों को स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया गया है। सन 2016 में यह घर प्रेस, प्रकाशन और डिप्लोमैसी के संग्रहालय में बदल गया। हरीरी हाउस को सन 1998 में ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूची में शामिल किया गया।

 

हरीरी भवन 

 

आज़रबाइजान के सबसे सुंदर घरों में से एक अमीर निज़ाम गरूसी का निजी घर है जो क़ाजारी काल के एक कूटनयिक, राजदूत व लेखक थे और उन्होंने नासिरुद्दीन शाह के ज़माने में ये घर अपने लिए बनवाया था। अमीर निज़ाम गरूसी हाउस दो मंज़िला है और इसके बड़े हाल में 16 स्तंभ हैं। हौज़ से सुसज्जित आंगन, लकड़ी के सुंदर काम और रंग बिरंगे शीशों वाली खिड़कियां और चूने व आईने का सुंदर काम, इस इमारत के अंदरूनी भाग की सुंदर विशेषताओं में शामिल हैं।

इस घर की वास्तुकला और पारंपरिक मानकों को रक्षा के साथ की गई मरम्मत और पुनर्निर्माण के बाद ये घर "क़ाजार म्यूज़ियम" के रूप में इस्तेमाल होने लगा और सन 2006 में यह संग्रहालय औपचारिक रूप से खुल गया और ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल हो गया। इस म्यूज़ियम की पहली मंज़िल पर सिक्कों का हाल, बुनी हुई चीज़ों का हाल, चीनी के बर्तनो का हाल, आईनों का हाल, धातों का हाल, संगीत हाल और अंगूठियों का हाल स्थित है जबकि इसके तहख़ाने में पत्थर, हथियार, अहम हस्तियों व अध्यादेशों, वास्तुकला, ताले और फ़ानूस इत्यादि के हाल स्थित हैं।

 

अमीर निज़ाम गरूसी हाउस

 

मिट्टी के बर्तनों का म्यूज़ियम, तबरेज़ के उन संग्रहालयों में से एक है जो किसी सुंदर व ऐतिहासिक घर में स्थित हैं। यह घर भी क़ाजार काल में बनाया गया था और इसकी वास्तुकला की शैली शुद्ध ईरानी वास्तुकला का पता देती है और बहुत ही सुंदर है। यह घर शम्स तबरेज़ी रोड पर स्थित है और सर्राफ़लार परिवार से संबंधित रहा है। इसका आख़री मालिक अलवी परिवार था। यह सुंदर घर दो मंज़िला है जिसकी एक मंज़िल भूमिगत है।

 

ऐतिहासिक सर्राफ़लार भवन

 

घर के प्रवेश द्वार से गुज़रने के बाद चूने के सुंदर काम वाले दो हाल दिखाई देते हैं जिसमें खिड़कियों पर लकड़ी का सुंदर काम किया गया है जबकि दीवारों पर ईंटों और चूने का बेजोड़ काम दिखाई देता है। इस घर के तहख़ाने में एक हौज़ख़ाना, दो मुख्य कमरे, एक लम्बा कमरा और एक दालान मौजूद है। आंगन के बीच में एक हौज़ है जबकि आंगन के दोनों किनारे दो बग़ीचे हैं जिनमें तरह- तरह के पेड़े और फूल लगे हुए हैं।

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