Feb ०१, २०२१ १७:५४ Asia/Kolkata
  • उत्तरी ईरान का बेहशहर जिस पर नज़र पड़ जाए तो हटती नहीं+वीडियो, चित्र

बेहशहर कैस्पियन सागर और गुरगान खाड़ी के उत्तर में स्थित है। यह शहर कैस्पियन सागर के तट तक फैला हुआ है और यहां की जलवायु संतुलित और आर्द्र है।

बेहशहर के लोग कृषि और बाग़बानी से अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां पर किसान आम तौर पर रूई, गेहूं, चावल, तंबाकू और साइट्रस का उत्पादन करते हैं।  समुद्र के निकट होने की वजह से यह शहर आसपास के पड़ोसी शहरों का केन्द्र समझा जाता है। इसकी एक वजह यह भी है कि यह शहर सुन्दर और हरे भरे पहाड़ों के पास स्थित है इसीलिए यह अपने आसपास के शहरों का केन्द्र है।

बेहशहर

 

बताया जाता है कि 1640 के देशक में सफ़वी बादशाह, शाह अब्बास प्रथम ने इस शहर की बुनियाद रखी थी। इसी तरह प्राचीनकाल में बेहशहर को शहरे जदीद और अशरफ़ुल बेलाद के नाम से भी जाना जाता था जो माज़न्दरान में शाह अब्बास प्रथम की सैर का स्थान था। सफ़वी काल के प्रसिद्ध इतिहासकार मुंशी इस्कन्दर बेग ने इस शहर की इमारत के बारे में लिखा कि महल, हमाम, हाल और छोटे बड़े कमरे सहित इस इमारत में कई चीज़ें बनी हैं जिसको उस समय के प्रसिद्ध और निपुण वास्तुकारों  ने बनाया और इसीलिए इस शहर का नाम अशरफ़ रख दिया गया।

 

दोस्तो आपको यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि बेहशहर से दो किलोमीटर की दूरी पर कई गुफाएं और कई बेल्ट्स हैं तथा इस शहर से दस किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन गोहरचट्टान भी पायी जाती है जिससे पता चलता है कि इस शहर में प्राचीन काल से ही लोग जीवन व्यतीत करते रहे हैं और लगभग दस हज़ार साल पहले से ही लोग इस शहर में रहते थे। पुरातन वेत्ताओं के प्रयासों से पता चलता है कि पाषाण युग या अर्ध पाषाण युग के काल में माज़न्दरान के बेहशहर में विभिन्न जातियां जीवन व्यतीत करती थीं।

साक्ष्यों से पता चलता है कि सफ़वी काल में और शाह अब्बास के काल में बेहशहर में बहुत चहल पहल थी और यह क्षेत्र अपने इलाक़ में बहुत मशहूर था।  यह कहा जा सकता है कि बेहशहर देश की दूसरी राजधानी समझा जाता था और कई महीनों तक यह सफ़वी राजाओं के रहने और उनके मनोरंजन का केन्द्र रहा। आपको यह भी बता दें कि इस शहर में सफ़वी काल की कई ऐतिहासिक धरोहरें बाक़ी बची हैं जो सफ़वी राजाओं के सांस्कृतिक प्रेम और उनकी ऐतिहासिक धरोहरों की गाथाएं सुनाती हैं। ईरान के अन्य शहरों की भांति बेहशहर ने भी इतिहास के बहुत ज़्यादा उतार चढ़ाव का सामना किया है। इस शहर को गृहयुद्ध और तुर्कमन हमलों के दौरान बहुत अधिक नुक़सान उठाना पड़ा है जबकि ईरान पर अफ़ग़ानों के शासन काल में इस शहर को लगभग पूरी तरह से तबाह कर दिया गया था।

 

दोस्तो आपको यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि बेहशहर में पायी जाने वाली ऐतिहासिक धरोहरों और सुन्दर दर्शनीय स्थल की वजह से लाखों की संख्या में पर्यटक इस शहर का दौरा करते हैं। इस शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में अब्बासाबाद का एतिहासिक काम्लेक्स, सफ़ीयाबाद का महल, बाग़े चशमे इमारत की ओर संकेत किया जा सकता है जबकि पर्यटन की दृष्टि से इस शहर में बहुत अधिक प्राकृतिक दृश्य, मियानकाले द्वीप, अनेक प्रकार की सुन्दर गुफाओं और सुन्दर और मनोरम झरनों की ओर इशारा किया जा सकता है।

 

दोस्तो बेहशहर का केन्द्रीय बाग़ 15 हेक्टेयर में फैला हुआ है जो प्राकृतिक टीले पर अपनी सुन्दरता बिखेर रहा है। सफ़वी काल के वास्तुकारों और इन्जीनियरों ने टीले को सुन्दर ढंग से काट कर बाग़ में सीढ़ी बना दी है जिसकी वजह से इसकी सुन्दरता में और भी चार चांद लग जाता है। बाग़ के केन्द्रीय भाग में एक ऊंचा सा स्थान है और खेद की बात यह है कि समय बीतने के साथ साथ यह ऊंचा स्थान ख़त्म हो गया लेकिन आज भी उसके अंश और उसकी वास्तुकला के नमूने बचे हुए है।  

बाग़ के केन्द्र में एक बड़ा सा हौज़ बना हुआ है जबकि उसके आसपास बहुत से छोटे छोटे हौज़ का निर्माण किया गया है। केन्द्रीय हौज़ में एक ख़ूबसूरत फ़व्वारा भी अपनी सुन्दरता बिखेरता रहता है। बाग़ को इतने सुन्दर ढंग से डिज़ाइन किया गया है जिससे इसकी सुन्दरता और भी बढ़ गयी है। सफ़वी काल के वास्तुकारों ने सीढ़ी नुमा बाग़, ढलवां रास्ते और मिट्टी के पाइप बनाकर इस बाग़ की सुन्दरता में और भी वृद्धि कर दी और फ़व्वारे से निकलने वाला संगीत पूरे बाग़ में गूंजता रहता है जिसकी वजह से बाग़ में घूमने वालों को शांति का आभास होता है।

दोस्तो इस काम्पलेक्स में एक ऐतिहासिक बांध भी है जिसकी लंबाई 200 मीटर तथा ऊंचाई 20 मीटर है। इसके निर्माण में प्रयोग होने वाले मसाले पत्थर, ईंट और चूना मिट्टी है जिसमें लगभग 6 लाख घन मीटर पानी का भंडारण किया जा सकता है। इस बांध में पानी की आपूर्ती सरचश्मे नामक एक सोते से होती है। नदी के बीचो बीच ईंट की एक इमारत है जिसके ऊपरी भाग में लड़की और गीली मिट्टी का प्रयोग किया गया है। जब बांध में पानी भर जाता है तो यह इमारत पानी में डूब जाती है और उसका केवल ऊपरी भाग ही पानी के बाहर रहता है।

सफ़ीयाबाद महल

 

बेहशहर के इस काम्पलेक्स में बनी एक अन्य इमारात सफ़ीयाबाद महल है जो बेहशहर के दक्षिण पश्चिमी भाग में एक किलोमीटर की दूरी पर सुन्दर बाग़ के बीचो बीच बनी हुई है। जंगल में घुमावदार रास्ते से इस जगह पर पहुंचा जा सकता है। इस इमारत की ऊंचाई समुद्र तल से 178 मीटर है और यह जंगल और समुद्र के 30 किलोमीटर के क्षेत्र में अपनी सुन्दरता बिखेर रही है।

सफ़ीयाबाद महल वास्तव में सैन्य मुख्यालय था और बारम्बार तबाही का सामना करने के बाद दूसरी इमारतों की तरह इसकी भी कई बार मरम्मत कराई गयी है जिसकी वजह से यह अब तक बाक़ी बची हुई है। दोस्तो बेहशहर में ऐतिहासिक धरोहरों के साथ साथ कई तरह के प्राकृतिक और सुन्दर दृश्य भी हैं जिसकी वजह से बड़ी संख्या में स्थानीय और विदेशी पर्यटक इस क्षेत्र का सफ़र करते हैं।

बेहशहर के केन्द्र में एक सुन्दर पार्क बना हुआ है जिसमें काज के लंबे और सुन्दर पेड़ लगे हुए हैं, इसमें अनेक प्रकार के सुन्दर झरने और चिड़ियाघर भी हैं जिसकी वजह से यह जगह मनोरंजन का बेहतरीन स्थल समझी जाती है।

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