Jun २१, २०२१ २०:४५ Asia/Kolkata
  • ईरान के तबरेज़ नगर के मशहूर बाज़ार के पश्चिम में जामा मस्जिद के सामने एक ऐतिहासिक मकान और कुछ दूसरे स्थानों की सैर

पहली ही नज़र में इस मकान की क़ाजारी काल की वास्तुकला शैली और उसका नाम ख़ानए मशरूते, हर देखने वाले का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

संवैधानिक क्रांति में तबरेज़ शहर की स्थिति और आंदोलन में इस घर की भूमिका के कारण, सन् 1375 हिजरी शम्सी में इस इमारत को संवैधानिक संग्रहालय में बदल दिया गया और संवैधानिक काल के मूल्यवान दस्तावेजों, वस्तुओं और इस आंदोलन के नेताओं की यादों को यहां प्रदर्शन के लिए रखा गया है।

ख़ानए मशरूते तबरेज़ में क़ाजार काल की इमारतों में से एक है, 1287 हिजरी शम्सी में संसद को तोप से उड़ाए जाने के बाद, यह घर सत्तार ख़ान, बाक़िर ख़ान, सिक़तुल-इस्लाम तब्रेज़ी और हाजी मिर्ज़ा आग़ाफ़र्शी तथा आज़रबाइजान प्रांत के अन्य नेताओं का केन्द्र बन गया था। इसी तरह से तबरेज़ में 11 महीने के युद्ध के दौरान संवैधानिक मुजाहेदीन की बैठकों और मुख्यालय में बदल गया था।

यह मकान हाज मेहदी कूज़ेकनानी की निजी संपत्ति है। 1886 में इसका निर्माण तबरेज़ी राज हाज वली ने किया था। हाज मेहदी एक प्रसिद्ध व्यवसायी और स्वतंत्रता के समर्थक थे। तबरेज़ शहर में संवैधानिक आंदोलन की आवाज़ उठने के साथ ही हाज मेहदी संविधानवादियों से जुड़ गए और संवैधानिक क्रांति के मुख्य वित्तीय समर्थकों में से एक बन गए। उन्होंने अपने इस घर को संविधानवादी नेताओं की बैठकों और क़ाजार विरोधी घोषणा पत्रों के प्रकाशन के लिए विशेष कर दिया था।

 

यह एक दो मज़िला मकान है, जिसके भीतरी और बाहरी भाग हैं। इसकी इमारत 1300 वर्ग मीटर पर फैली हुई है और इसकी बनावट क़ाजारी काल की है। इसे पत्थर, ईंटों और मिट्टी से बनाया गया है। घर में प्रवेश करते ही सुन्दर आंगन है, फूल और पौधों से घिरे एक बड़े से पूल ने इसकी शोभा बढ़ा दी है। एक लॉबी या फ़ोयर है, जो चार ऊंचे स्तंभों पर स्थिर है, जिनमें से प्रत्येक के ऊपरी हिस्से पर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का सुन्दर काम है और उन्हें रंगीन ग्लास और दर्पणों से सजाया गया है। पहली मंज़िल पर 6 कमरे और एक फ़ोयर है, और दूसरी मंजिल पर एक बड़ा हॉल है, जिसके फ़ोयर में 6 कमरे हैं। घर की सभी बाहरी खिड़कियां, पूरी ऊंचाई की शीशेदार खिड़कियां हैं, जो अपने लाल, हरे और सफ़ेद रंगों से घर के अंदर रौशनी और रंग बिखेरती हैं।

क़ाजारी काल की वास्तुकला की कुछ ख़ास विशेषताओं में उल्लेखनीय सजावट, सुंदर रोशनदान और विलायती टोपी नामक परिदृश्य है, जो ईरानी शैली और कला का एक अनोखा उदाहरण पेश करता है। इमारत का सबसे दिलचस्प और सुंदर हिस्सा, दूसरी मंज़िल पर फ़ोयर और वह कमरा है जो शाह नशीन नामक आंगन से लगा हुआ है, जिसके नक्क़ाशीदार दरवाज़े, शीशेदार खिड़कियां, अष्टकोणीय सजावट के साथ लकड़ी की छत है, जो एक अनोखा दृश्य पेश करते हैं।

 

ख़ानए मशरूते के कमरों और हॉलों में कुछ बदलाव करके इसे संवैधानिक संग्राहलय में बदल दिया गया है, ताकि संवैधानिक क्रांति से संबंधित दस्तावेज़ों को प्रदर्शनी के लिए रखा जा सके। इस संग्राहलय में सत्तार ख़ान, बाक़िर ख़ान, हुसैन ख़ान बाग़बान, हाज अली दवाची, सिक़तुल इस्लाम तबरेज़ी, हाज अली ख़ताई, हॉवर्ड बास्क्रोइल, कर्बलाई अली मूसियो, शेख़ अली असग़र लैलावाई, आख़ूंद ख़ुरासानी, अली अकबर दहख़ुदा, जहांगीर ख़ान सूर इस्राफ़ील और ज़ैनब पाशा जैसे वरिष्ठ संविधानवादी नेताओं की प्रतिमायें और मोहरें हैं।

मुज़फ़्फ़रुद्दीन शाह, मोहम्मद अली शाह और संविधान विरोधी समूहों की तस्वीरें, संवैधानिक दौर के रातों को प्रकाशित होने वाले पत्रों की छपाई के लिए एक जिलेटिन प्रिंटिंग मशीन, संवैधानिक क्रांति से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की तस्वीरें और संवैधानिक आदेशों को इस घर में संभालकर रखा गया है। इस संग्राहलय के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में से सत्तार ख़ान का पिस्टल, संवैधानिक क़ालीन, संवैधानिक क्रांति के प्रमुख नेताओं की निजी चीज़ें और संवैधानिक क्रांति से संबंधित अन्य दस्तावेज़ हैं। यह जानना उचित होगा कि इन ऐतिहासिक चीज़ों को सन् 1354 हिजरी शम्सी में ईरान की राष्ट्रीय धरोपर की सूची में दर्ज कर लिया गया।

मस्जिदे कबूद के निकट, असरे आहन तबरेज़ संग्राहलय की साइट स्थित है। यह ईरान के सबसे आश्चर्यजनक संग्रहालयों में से एक है, जहां 4,000 वर्ष पुराने लोग अपने गहनों के साथ सो रहे हैं। इसके प्राचीन इतिहास ने इस संग्राहलय को विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण बना दिया है। हमने उचित समझा कि यहां एक नज़र इस संग्राहलय पर डाल ली जाए। ज़मीन के दिल में एक अर्ध अंधेरी जगह, जो कई कंकालों से भरी हुई है, जिनके साथ उनकी क़ीमती चीज़ों को दफ़्न किया गया था। 1385 हिजरी शम्सी में इस जगह ने ईरान के पहले रेगिस्तानी संग्रहालय के रूप में काम करना शुरू किया। इस परिसर में अधिकांश चीज़ें, लौह युग से संबंधित हैं। संग्रहालय के साथ साइट के शब्द के इस्तेमाल की वजह यह है कि संग्रहालय में जो चीज़ें प्राकृतिक रूप से पुरातात्विक उत्खनन में खोजी गई हैं, उन्हें बिना बदले और हाथ लगाए प्रदर्शन के लिए रख दिया गया है, इसी वजह से इस तरह के संग्रहालयों को संग्रहालय साइट कहा जाता है। तबरेज़ के लौह युग संग्रहालय की साइट एक प्राचीन स्थल है, जो तबरेज़ की मस्जिदे कबूद के उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जहां लौह युग से संबंधित एक क़ब्रिस्तान और मिट्टी के बर्तन शामिल हैं।

 

इस क्षेत्र की लंबाई 276 मीटर है और इसकी चौड़ाई औसतन 102 मीटर है और इसका क्षेत्रफल 28290 वर्ग मीटर है। इस साइट को सन् 1376 हिजरी शम्सी में खुदाई के दौरान और उसी वर्ष पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के क़ब्रिस्तान के अवशेषों के प्राचीन स्थल के रूप में दर्ज किया गया था। इस जगह को लौह युग से संबंधित दबे हुए कंकाल और मिट्टी के बर्तन, कुछ धातु की वस्तुओं के स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां 1377 हिजरी शम्सी में पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अवशेषों के संकेत देखे गए थे। उसके बाद, पूर्वी अज़रबाइजान की सांस्कृतिक धरोहर की संस्था द्वारा, मस्जिदे कबूद की इमारत के 80 मीटर पूर्व में पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व से संबंधित दफ़्न होने वाली चीज़ों के अवशेषों का पता चला।

1378 हिजरी शम्सी में मस्जिदे कबूद के क्षेत्र में खुदाई करने वाली एक टीम को तबरेज़ भेजा गया। खुदाई के पहले सीज़न के दौरान, 38 क़ब्रों की खुदाई की गई, एक कब्र में से कुछ वस्तुओं के साथ दो कंकाल मिले, जो एक महिला और पुरुष के थे, जिन्हें आज़रबाइजान के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया। इस टीम का काम पूरा होने के बाद, पूर्वी आज़रबाइजान सांस्कृतिक विरासत संस्था ने इस साइट का उसके अवशेषों का एक नक्शा तैयार किया, और 1378 के अंत में, आज़रबाइजान के  संग्राहलय में खुदाई में मिलने वाली चीज़ों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। खुदाई और प्रारंभिक संरक्षण का अगला चरण 1379-1382 के दौरान अंजाम दिया गया। खुदाई से हासिल होने वाले परिणामों के मुताबिक़, लौह युग के क़ब्रिस्तान से संबंधित अवेशष और वहां बिखरे हुए अन्य अवशेष, संभवतः मौसमी थे और लौह युग के अवशेषों के ऊपर कई मीटर की परतें प्राकृतिक तलछट और इस्लामी काल के अवशेषों से संबंधित थीं।

 

पहचान की गई क़ब्रों में, लोगों को भ्रूण के रूप में दफ़नाया गया था। शिशु की क़ब्रें सादा थीं, जबकि बड़ों की क़ब्रें, वर्गाकार थीं, जिनमें दो मिट्टी के बर्तन भी होते थे। पाए गए अधिकांश शव कम उम्र के लोगों थे। बच्चों को उनके खिलौनों के साथ, महिलाओं को उनके गहनों के साथ और पुरुषों को उनके हथियारों के साथ दफ़नाया गया था। कुछ शवों के साथ मिट्टी के बर्तन और खाने की निशानियां मिली हैं, और जिनके पास अधिक बर्तन दफ़्न किए जाते थे, संभवतः वे अधिक अमीर होते थे।

 

इन क़ब्रों में दफ़्न होने वाले, मौत के बाद फिर से ज़िंदा होने पर विश्वास रखते थे, इसी विश्वास की वजह से उनके साथ कुछ चीज़ों को दफ़्न किया जाता था, जिनमें से खाने और पीने की चीज़ों से भरे हुए मिट्टी के बर्तन भी होते थे। तबरेज़ के लौह युग से संबंधित इस संग्रहालय को ईरान में सबसे आश्चर्यजनक और शानदार संग्रहालयों में से एक माना जा सकता है, जहां इतिहास के कई दौर के शवों को देखा जा सकता है।

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