May १७, २०१६ १३:१० Asia/Kolkata

जवानी को यौवन भी कहा जाता है।

जवानी का अर्थ जोश व भड़कना है। जवान के व्यवहवार से जोश व उत्तेजना झलकती है। जवान के शरीर, मन, भावना और विचार में जोश होता है। इस अवस्था का ऐसा असर होता है कि अगर इसे सही दिशा दी जाए तो सार्थक नतीजा सामने आता है और अगर नियंत्रित न किया जाए तो बहुत ख़तरनाक नतीजा निकलता है।

कुछ मनोवैज्ञानिक इंसान के जीवन के इस चरण को स्वाभिमान, मौज मस्ती, व बुज़र्गी का चरण मानते हैं। जैसा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम जवानी के दौर को महत्वकांक्षा, आशा, बड़ी बड़ी इच्छाओं, बुलंद हिम्मत और व्यापक आज़ादी का दौर कहते हैं। अगर इस दौर में जवान की क्षमता व शक्ति का सही इस्तेमाल हो तो वह समाज में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है।

विलडुरैन्ट के शब्दों में जवानी जीवन का वह चरण है जिसमें अप्रिय घटनाएं व समस्याएं इंसान के जीवन को बोझल नहीं बनातीं बल्कि उसमें जोश व उमंग अपने चरम पर होता है। यह चरण प्रशिक्षण को क़ुबूल करने का दौर होता है। यह ऐसा अवसर है जिसमें जवान में आस्था, शिष्टाचार और मानवीय मूल्य जड़ पकड़ते हैं।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इंसान जिस गुण या अवगुण को जवानी में अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लेता है उसका असर जीवन भर बाक़ी रहता है। जैसा कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम का कथन है, जवानी में शरीर में ताक़त अपने चरम पर होती है जिसके ज़रिए अपने आस-पास के वातावरण को बदला जा सकता है।

मोरिस डिब्स के अनुसार, जवान नैतिक नियमों और अपनी ज़िम्मेदारी को समझता है और विगत के दौर की संकीर्णता के बजाए सृष्टि के बारे में उसकी सोच और व्यापक हो जाती है जिससे व्यवहार बदल जाता है और यह प्रयास के लिए उसे नई क्षमता प्रदान करती है।

हर व्यक्ति के जीवन में रचनात्मकता की क्षमता मौजूद होती है जो बचपन के खेल में प्रकट होती है। धीरे धीरे यह क्षमता नौजवानी और जवानी में निखरती है। यह क्षमता तीस से चालीस साल की आयु में अपने चरम पर होती है। इसलिए यह कहना सही है कि रचनात्कमता जवान नस्ल की पहचान होती है। जवान अपने विचार व निरंतर प्रयास से नई नई चीज़ों का आविषकार करता है।

 समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक व्यक्ति व समाज में रचनात्मकता निखारने पर बल देते हैं। लोगों में जितनी ज़्यादा रचनात्मकता पनपेगी समाज में उतनी ज़्यादा रचनात्मकता बढ़ेगी जिसके नतीजे में समाज की प्रगति की दर तेज़ होगी। रचनात्मक बल, निरंतर नई चीज़ के उत्पादन की कोशिश करता है जिससे समाज का वैज्ञानिक व रचनात्मक स्तर बढ़ता है परिणामस्वरूप दुनिया में उसकी स्थिति बेहतर होती है।

योग्य व रचनात्मक जवानों में ऐसी विशेषताएं होती हैं जो उसे दूसरों से विशिष्ट बनाती हैं। वे सामान्यतः आम मामलों से ज़्यादा, जटिल चीज़ों में अधिक रूचि लेते हैं, व्यवहार लचीला होता है और अपने आस-पास के मामलों की समीक्षा में रुचि लेते हैं।

समाज की प्रगति व विकास में उद्यमिता का बहुत योगदान होता है। जो राष्ट्र उद्यमि होता है, अपने संसाधनों को मूल रचनाओं के विकास में लगाएगा। इसलिए रचनात्मकता, आविष्कार, नवीनता और उद्यमिता आर्थिक संघर्ष के महत्वपूर्ण आयाम हैं। दूसरे शब्दों में इसे विज्ञान के ज़रिए संपत्ति का उत्पादन कहा जाता है। इस बीच जवान उद्यमिता और रोज़गार के अवसर पैदा करने में दूसरों से आगे रहते हैं।

यह सवाल हमेशा मन में उठता है कि कितने प्रतिशत लोग अपने विचार को व्यवहारिक बनाते हैं? लोगों में एक ग़लत धारणा यह प्रचलित है कि किसी काम के लिए बहुत ज़्यादा संपत्ति की ज़रूरत होती है। उद्यमि व्यक्ति अवसर की ताक में रहता है। उद्यमि जोखिम उठाने के लिए तय्यार रहता है। ऐसे व्यक्ति की नज़र भविष्य पर होती है और इन सबसे ज़्यादा अहम बिन्दु यह है कि वह व्यवहारिकता में विश्वास रखता है। ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो बातें तो बड़ी करते हैं किन्तु व्यवहार में शून्य होते हैं। ऐसे लोग काम करने से भागते हैं। अगर वे काम करें तो रोज़गार के बारे में उनकी भ्रान्तियां दूर हो जाएंगी। उद्यमि वे लोग होते हैं जो जोखिल उठाते हैं।

जवान होने के साथ साथ अगर योग्य, रचनात्मक, साहसी व अटल हो तो ऐसा जवान सार्थक सोच के साथ उद्यमि होता है।

ईरान के एक सफल उद्यमि से आपको परिचित कराते हैं। उनका नाम है अब्बास बर्ज़ेगर है। वह 38 साल के ग्रामवासी हैं जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से अपने घर को ईरान में पर्यटन के ज़रिए सबसे ज़्यादा आय पैदा करने वाले स्थलों की श्रेणी में पहुंचा दिया है। शायद बहुत से ईरानी नागरिकों के लिए अब्बास बर्ज़ेगर और फ़ार्स प्रांत के बवानात ज़िले में स्थित उनका गांव जाना-पहचाना न हो लेकिन ईरान आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए उनका गांव जाना पहचाना है। जो पर्यटक ईरान आ चुके हैं वे इंटरनेट पर ईरान के पर्यटन के बारे में कमेन्ट्स में ईरान के मशहूर पर्यटन स्थल इस्फ़हान और शीराज़ के साथ अब्बास बर्ज़ेगर के गांव ‘बज़्म’ का भ्रमण करने का सुझाव देते हैं जहां उन्होंने पर्यटन की सुविधाओं से संपन्न एक पुरवा बनाया है। बहुत से पर्यटन के मन पर बज़्म गांव अपनी अमिट छाप छोड़ता है।

एक और जवान उद्यमि अनूशीरवान मिरात हैं। उन्होंने फ़्रांस से डॉक्ट्रेट किया और इस वक़्त वह उद्योग जगत से जुड़े हुए हैं। वे अपनी उद्यमिता की क्षमता का इस प्रकार उल्लेख करते हैं, “बचपन से कंप्यूटर प्रोगामिंग और नेटवर्क इंजीनियरिंग में रूचि थी। जब अपने काम में दक्ष हुआ तो अपने क्षेत्र के तकनीकी पहलुओं से परिचित हुआ। बाद में यह तथ्य भी समझ में आया कि तकनीक व इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दक्ष होने के साथ प्रशासनिक क्षेत्र की भी जानकारी ज़रूरी है इसलिए मैंने शिक्षा जारी रखी और स्ट्रैटिजिक व कार्यकारिणी प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट व डॉक्ट्रेट किया। जब अपना काम शुरु किया तो हम दो लोग थे और इस वक़्त 40 इंजीनियर फ़ुल टाइम और इससे ज़्यादा संख्या में हॉफ़ टाइम इंजीनियर व सलाहकार हमारे साथ काम कर रहे हैं।”

मेरी पूरी कोशिश होती है अपने टार्गेट को पूरा करने की। मेरे विचार में साहस और धुन इंसान को उसके दृष्टिगत लक्ष्य तक पहुंचाते हैं। अलबत्ता धुन के साथ सही योजना भी ज़रूरी है।

डॉक्टर मिरात जवानों से अनुशंसा करते हैं कि किसी काम में सफलता के लिए ज़रूरी है कि पहले ख़ुद को पहचानें और अपनी रूचि के अनुसार उद्यमिता की ओर क़दम बढ़ाने का फ़ैसला करें। दूसरे यह कि प्रबंधन और अपने काम की पूरी जानकारी हासिल करें। यह न सोंचे कि प्रबंधन में महारत सिर्फ़ अनुभव से हासिल होती है बल्कि इस क्षेत्र में अकादमिक शिक्षा भी बहुत ज़रूरी है। इससे ज़्यादा अहम निरंतर कोशिश, अधिक धैर्य और टीम वर्क में विश्वास, सफलता व प्रगति के लिए ज़रूरी है।

अंत में यह कि जवान पीढ़ी बहुत सक्षम होती है। हो सकता है कि जवान ज़रूरी सुधार व बदलाव को सही तरह चिन्हित न कर सके लेकिन अपने उद्देश्य की ओर बड़ी वीरता के साथ क़दम बढ़ाने में सक्षम है।

जवान ऐसी स्थिति में होता है कि वह समाज की बहुत सी समस्याओं को दूर कर सकता है। उसमें काम करने की शक्ति होती है और यह शक्ति उसके और समाज के विकास व प्रगति के लिए ज़रूरी तत्व है।

महापुरुषों ने भी जवानी को ईश्वर की ओर से उपहार की संज्ञा दी है जिसे बर्बाद करने की स्थिति में उसकी भरपायी नहीं हो सकती। इसलिए जवानी के अमूल्य क्षणों में कोशिश से सफल व उज्जवल भविष्य का निर्माण होगा। जैसा कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने फ़रमाया, “तुम्हारे जीवन में कृपा की समीर बह रही है, उससे लाभ उठाओ।”


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