Nov १३, २०१६ १४:५५ Asia/Kolkata

वर्ष 2015 में यूरोप में पलायनकर्ताओं की लहर, यरोपीय संघ के लिए राजनैतिक, सुरक्षा और सामाजिक चुनौती बन गयी है।

यह संकट दसियों लाख लोगों के शरण लेने और ख़तरा बनने के लिए नहीं था। यूरोपीय संघ की सरकारों के अमानवीय व्यवहारों के कारण यूरोप शरणार्थी संकट में बुरी तरह घिर गया। यूरोपीय सरकारों ने सदैव स्वयं को मानवाधिकार का वास्तविक रक्षक बताया है। विकास के मापदंडों में से एक जिसके बारे में यूरोप के कुछ विकासशील और मानवाधिकार का दम भरने वाले देश बात करते हैं, मानवता प्रेम और हर लिंग, जाति, राष्ट्र और धर्म के लोगों के प्राकृतिक आधिकारों का सम्मान है। यद्यपि यूरोपीय सरकारें अपनी सीमाओं के बाहर मानवता प्रेम के मापदंडों के प्रति गंभीर नहीं रहतीं और मानवाधिकार के विषय में दोहरे मापदंड अपनाती हैं और इसको हथकंडे के रूप में प्रयोग करती हैं। यह सरकारें केवल अपनी सीमाओं के भीतर इस मापदंड का अनुसरण करती हैं और इसी मापदंड के आधार पर दूसरे देशों को कम विकसित और पिछड़ा कहती हैं क्योंकि यह देश उनके बताए मापदंडों पर खरे नहीं उतरते किन्तु सीमाओं के बाहर उनके व्यवहार बहुत ही अलग होते हैं।

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पश्चिमी देशों के लिए अपनी सीमाओं से बाहर जो कुछ उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है, वह उनके हित हैं। इसमें यह अंतर नहीं है कि उनके यह हित क़ानूनी हों या ग़ैर क़ानूनी। क्योंकि यह दोहरे मापदंडों का प्रयोग करते हैं और उनके लिए सीमाओं पर कार्यवाही करने में क़ानूनी और ग़ैर क़ानूनी हितों में कोई अंतर नहीं है। यूरोपीय देशों में सीमाओं के भीतर मानवाधिकार के विषय पर दोहरे मापदंड के कारण इन देशों की ओर शरणार्थियों की लहरों में वृद्धि हो गयी है। इसी विषय ने यूरोपीय सरकारों के लिए कड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी है। बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में यह घटना, पश्चिमी सरकारों के लिए लज्जा का कारण बन गयी है। यह विषय विश्व जनमत सहित पूरी दुनिया में मानव प्रेम के दावेदारों की करनी और कथनी में ज़मीन आसमान के अंतर को सिद्ध करता है कि यह लोग मानवता प्रेम की रक्षा का कितना दावा करते हैं और वास्तविकता क्या है?

 

भूमध्य सागर में मौत के मुंह से निकलने वाले शरणार्थी जब यूरोपीय देशों में पहुंचते हैं तो उन्हें पुलिस के हिंसक व्यवहार, कंटीलेतार, लोहे की दीवारे, और विभिन्न प्रकार की रुकावटों का सामना करना पड़ता है। यूरोपीय देशो में पलायनकर्ताओं की दयनीय स्थिति के बारे में जो रिपोर्टें और समाचार प्राप्त हो रहे हैं उनसे यह पता चलता है कि शरणार्थियों के इस गुट को न तो खाने पीने की वस्तुएं मिल पा रही हैं और न ही उनको दवाएं मिल रही हैं। भूख और संक्रामक रोग, एसी दो समस्याएं हैं जिनका सामना यूरोपीय देशों की ओर से धातक उपेक्षा के कारण शरणार्थी करते हैं। यूरोपीय देशों में से एक जहां पर शरणार्थियों की सबसे दयनीय स्थिति है, यूनान है । यह देश शरणार्थियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता के पैकेज के बावजूद, शरणार्थियों की स्थिति बेहतर नहीं बना सका। इस देश में शरणार्थी भीषण ठंडक और गर्मी में पार्कों, फ़ुटपाथों, गलियों, सड़कों पर बेसहारा पड़े हुए हैं और पूछने वाला कोई नहीं है। यूनानी सरकार भी इन लोगों की कोई सहायता नहीं करती। इनमें से अधिकतर लोगों को भूख और खाने की कमी का सामना है। इनमें से अधिकतर होटल और फ़ास्ट फ़ूड सेन्टर के बाहर कचरा पेटी से बचा हुआ खाना निकालने और खाने पर विवश हैं। यूनान में शरणार्थियों की स्थिति इतनी अधिक दयनीय है कि इसने कुछ यूरोपीय अधिकारियों को आलोचना पर विवश कर दिया।

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जर्मनी के उप संसद सभापति ने यूनानी द्वीप में शरणार्थियों की विषम स्थिति की आलोचना करते हुए आरंभिक सहायता, खाने पीने और आवश्यकता की वस्तुओं के न होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसी प्रकार यूनान के दूरस्थ द्वीप में शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उचित उपाय न अपनाए जाने के कारण यूनान सरकार की कड़े शब्दों में निंदा की। संयुक्त राष्ट्र संघ में शरणार्थियों के मामलों के यूरोपीय आयोग के प्रबंधक वेन्सेंट कूचटेल ने यूनान के लेस्बोस, कास और जियूस द्वीपों का दौरा करने के बाद भूमध्य सागर में पूर्ण आराजकल को रोकने के लिए जिसके कारण हज़ारों पलायनकर्ता यूरोप में प्रविष्ट हो गये, इन द्वीपों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और कहा कि पानी से लेकर शौचालय तथा खाद्य पदार्थ तक कोई भी चीज़ पर्याप्त नहीं है। द्वीप के अधिकतर भाग में और अधिक शरणार्थियों की कोई जगह नहीं है और शरणार्थियों के पास सोने के लिए कोई स्थान नहीं है। कूचटेल ने इसी प्रकार कहा कि इन द्वीपों में पूरी तरह अराजकता फैली हुई है और कुछ दिन बाद शरणार्थियों को एथेन्ज़ स्थानांतरित किया जाएगा किन्तु एथेन्ज़ में भी उनको किसी प्रकार की आशा नहीं करनी चाहिए।

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इस संबंध में उन यूरोपीय देशों में जिनकी स्थिति अच्छी है और उन यूरोपीय देशों में जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है जैसे यूनान, कोई अंतर नहीं है। यूरोपीय संघ के प्रथम श्रेणी के देश जैसे जर्मनी, फ़्रांस, हालैंड और आस्ट्रिया भी, विदेशियों के विरोधी हैं। हालैंड में बहुत से शरणार्थी कार्यालयों में जीवन व्यतीत करते हैं जबकि कुछ तो किराए के एक बेड पर जीवन व्यतीत करने और कुछ लोग कई लोगों के साथ एक छोटे से कमरे में रहने पर विवश हैं। कभी कभी यह लोग गद्दे को दीवार के एक कोने में लगाकर छत के रूप में प्रयोग करते हैं। यह लोग पैक्ड खाने, घर के कोने में, सड़कों पर या पार्किंग में गर्म करते हैं और अधिक भीड़ भाड़ के कारण यह डिब्बे भी सुरक्षित नहीं रहते और गंदे रहते हैं। इन लोगों को अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जाता जिसके कारण संक्रमक रोग बुरी तरह फैल जाता है। बलात्कार और देह व्यापार, उन विषयों में से एक है जिनका सामना पलायनकर्ता महिलाओं और लड़कों को करना पड़ रहा है। बहुत ही कम मूल्य पर जर्मनी के शरणार्थी कैंपों में देह व्यापार का मुद्दा सुर्ख़ियों में रहा है। जर्मनी के गोनाज़ टेलीवीजन की रिपोर्ट के आधार पर हालिया तीन महीनों में जर्मनी के शरणार्थियों के कैंप में बलात्कार के सौ से अधिक मामले सामने आए थे। इस अवधि में कैंप में बलात्कार और देह व्यापार के मामले में वृद्धि हुई है और शरणार्थियों की मानसिक स्थिति असहनीय हो गयी है। दूसरी ओर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले एक गुट की रिपोर्ट के आधार पर जर्मनी के कैंपों में कुछ महिलाओं को दस यूरो तक में बेचा गया है।

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यूरोप में शरणार्थियों की लहर के बाद सेक्स व्यापार के बारे में दहला देने वाले आंकड़े सामने आए। यूरोप की ओर शरणार्थियों की लहर से पहले, यूरोप में मानव तस्करों के लिए महिलाओं के व्यापार के लिए यूरोपीय बाज़ार सबसे चहल पहल था। सोवियत संघ से स्वतंत्र हुए गणतंत्रों सहित विभिन्न देशों में मानव तस्कर, संकटग्रस्त और निर्धन देशों की महिलाओं को विभिन्न बहानों से यूरोपीय देश ले जाते हैं और उनके पासपोर्ट व पहचान पत्र लेकर उनको देह व्यापारियों के हाथों बेच देते हैं। यह महिलाएं चूंकि यूरोप में ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से प्रविष्ट होती हैं, इसीलिए वे पुलिस में शिकायत करने से घबराती हैं। इसके साथ ही पुलिस और न्यायिक तंत्र मानव तस्करों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करता। यूरोप की ओर शरणार्थियों की लहर ने एक बार फिर मानवतस्करों की दुकानों में चकाचौंध कर दिया है और यह लोग महिलाओं और लड़कियों को सेक्स स्लेव या दासी के रूप में यूरोप के बाज़ारों में बेच रहे हैं। 

 

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