Nov २७, २०१६ १५:४७ Asia/Kolkata

यूरोप में शरणार्थियों की लहर में मुख्य रूप से बच्चे बलि चढ़ रहे हैं। सफ़र का रास्ता उन शरणार्थियों के लिए जो शारीरिक दृष्टि से सक्षम होते हैं, कठिन होता है और बच्चों और नौजवानों के लिए तो बहुत ही कठिन होता है।

यूरोपीय संस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में लगभग 10 लाख लोगों ने यूरोप पलायन किया जिनमें 27 फ़ीसद बच्चे और क़ानूनी दृष्टि से कम उम्र वाले नौजवान हैं और इनमें आधे से कम बच्चों व नौजवानों ने बिना सरपरस्त या अभिभावक के यूरोप पलायन किया। इनमें से ज़्यादा तर बच्चों व नौजवानों के नाम किसी भी यूरोपीय देश में पंजीकृत नहीं है बल्कि उन्हें लापता लोगों की श्रेणी में डाल दिया गया है। 2015 के अगस्त के अंतिम दिनों में भूमध्यसागर के तट पर आयलन कुर्दी नामक एक 4 साल के बच्चे के बेजान शव की तस्वीर के प्रकाशन ने, सीरियाई शरणार्थियों के यूरोप की ओर पलायन के मार्ग में घटने वाली त्रासदी के संबंध में दुनिया भर के लोगों की अंतर्रात्मा को झिंझोड़ा था। आयलन कुर्दी की तस्वीर पर कि जिसमें यह मासूम बच्चा साहिल की रेत पर मुंह के बल निर्जीव पड़ा हुआ दिखाई देता है, पूरी दुनिया के मीडिया और सोशल नेटवर्क की साइटों पर प्रतिक्रियाएं आयीं। द इंडिपेन्डंट ने लिखा, अगर इस बच्चे की तस्वीर से शरणार्थियों के संबंध में यूरोपीय देशों के दृष्टिकोण न बदले तो फिर किसी चीज़ से इन देशों का दृष्टिकोण बदलेगा। अख़बार लोमोन्ड ने इस तस्वीर को यूरोप की अंतरात्मा को झिंझोड़ने वाली कहा। अख़बार लोपोइन ने इस तस्वीर को जो बहुत तेज़ी से सभी यूरोपीय अख़बारों में छपी, यूरोप में शरणार्थियों के सामने मुंह खोले खड़ी मानव त्रासदी का प्रतीक कहा। कैनडा के राजनेता फ़िलिप क्वीयर ने कहा, “यह खेद की बात है कि शरण के लिए कोशिश करने वाले एक सीरियाई बच्चे के डूबने की तस्वीर से हमारी  अंतर्रात्मा जागे।”

कैनडा वह देश था जिसने आयलन कुर्दी के पिता की ओर से शरण के आवेदन को रद्द किया था और वह समुद्र के मार्ग से अपने चार सदस्यीय परिवार को यूरोप पहुंचाने की कोशिश के लिए मजबूर हुए ताकि इस प्रकार अपने परिजनों को तुर्की में सख़्त जीवन से मुक्ति दिलाए। यह कटु घटना उस समय घटी जब वह नौका जिस पर आयलन कुर्दी के परिवार के सदस्य सवार थे, तुर्की के बदरूम शहर के तट से यूनान के कास द्वीप की ओर चली तो आयगान के जलक्षेत्र में पलट गयी। आयलन जो अपनी मां और दूसरे भाइयों के साथ नाव के पलटने से मौत की नींद सो गया था, यूरोप में शरणार्थियों के सबसे बड़े संकट का प्रतीक बन गया कि यह संकट यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे व्यापक संकट है।                 

यूरोपीय राजनेताओं ने भावनाओं की इस मौज पर सवार होकर इससे राजनैतिक व प्रचारिक लाभ उठाने की कोशिश की। ब्रितानी प्रधान मंत्री डेविड कैमरन ने कहा, “जो भी इन तस्वीरों को देखेगा वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। मुझ पर भी एक पिता की हैसियत से तुर्की के एक तट पर इस बच्चे के निर्जीव शरीर को देख कर बहुत असर हुआ। हम जल्द ही अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी लेंगे।” फ़्रांस के प्रधान मंत्री मैनुएल वाल्स ने इस घटना पर अप्रसन्नता जताते हुएअपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा, “उसका नाम आयलन कुर्दी था। जल्दी ही कुछ करना चाहिए। यूरोप को कुछ करना चाहिए।” आयलन कुर्दी की तस्वीरों के छपने का असर यूरोपीय सरकारों और जनमत पर ज़्यादा समय तक नहीं था। आयलन की तस्वीरों के सामने आने के बाद भूमध्यसागर के तटों पर बच्चों के निर्जीव शरीर की तस्वीरें छपीं किन्तु उन प्रतिक्रिया नहीं आयी।

यूरोपीय सरकारें यहां तक अपनी ही सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं के आंकड़ों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाती थीं जबकि ये आंकड़े यूरोपीय सीमाओं के पीछे कैंपों में शरणार्थियों के दयनीय जीवन का चित्रण पेश कर रहे थे। जैसे ही यूरोप की ओर शरणार्थियों ही लहर तेज़ हुयी यूरोपीय सरकारों ने सीरियाई शरणार्थियों व विस्थापितों की दयनीय स्थिति की ओर से आंखें मूंद लीं और शरणार्थियों के यूरोप में प्रवेश को रोकने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय अपनाए। इन सरकारों ने सारी कोशिश शरणार्थियों के यूरोप में प्रवेश को रोकने पर केन्द्रित कर दी। यूरोप पहुंचने वाले शरणार्थियों के उस वर्ग को जो बच्चों पर आधारित है, बहुत कठिन स्थिति का सामना हुआ। यूरोपीय सरकारें शरणार्थियों के इस वर्ग के संबंध में किसी प्रकार की ज़िम्मेदारी लेने के लिए तय्यार न हुयीं। इस स्थिति में शरणार्थी बच्चे ख़ास तौर पर बिना सरपरस्त वाले बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए। यूरोपीय देशों में 10000 से ज़्यादा बच्चों का अपहरण हुआ है और वे मानव तस्करी और यौन शोषण करने वाले गैंग के हत्थे चढ़ गए। यूरोप के जिन देशों में शरणार्थी गए हैं उनमें से स्वीडन भी है। शरणार्थियों के साथ स्वीडन के अपेक्षाकृत अच्छे व्यवहार के कारण इस देश में ज़्यादा संख्या में शरणार्थियों ने शरण ली लेकिन इस देश में भी बच्चे यौन शोषण से सुरक्षित नहीं हैं।

स्वीडन के कुछ अख़बारों की रिपोर्ट के अनुसार, जिन बच्चों ने बिना अभिभावक के स्वीडन में पनाह ली है उनका यौन शोषण हो रहा है।

कुछ दिन पहले स्वीडन के मीडिया ने रिपोर्ट दी, “ दक्षिणी स्वीडन के मालमो शहर में रहने वाले शरणार्थी बच्चे मानव तस्करों के हाथ का शिकार बनते हैं जिनका यौन शोषण होता है।” स्वीडन के अख़बार अफ़तोन ब्लादेत, इस देश के दक्षिणी भाग में स्थित एक स्कूल के प्रिंसपल के हवाले से लिखा, “मालमो के स्कूलों में पढ़ने शरणार्थी बच्चों और बच्चियों का स्कूल के प्रागण से अपहरण हो रहा है ताकि उन्हें ग़ुलाम बनाकर उनका यौन शोषण हो।” स्कूल के इस प्रिंसपल ने अपना नाम प्रकट न करने की शर्त पर बताया कि मालमो की पुलिस इस शहर के स्कूलों से शरणार्थी बच्चों के अपहरण की अनेक शिकायतों के बावजूद, इस विषय को अहमियत नहीं दे रही है। दक्षिणी स्वीडन के स्कोना इलाक़े में मानव तस्करी के ख़िलाफ़ आंदोलन की समन्वयक लीज़ा ग्रीन स्वीडिन के अख़बार सिदस्वेन्सकान ने शरणार्थी बच्चों के यौन शोषण की ख़बर की पुष्टि की है। ग्रीन ने कहा कि 2014 में हमने लगभग बच्चों के अपहरण की 40 घटनाओं की पुलिस को सूचना दी लेकिन दक्षिणी स्वीडन में शरण लेने वाले जिन बच्चों का यौन शोषण के लिए अपहरण हुआ है, उनकी संख्या इस आंकड़े से बहुत ज़्यादा है। 

फ़्रांस सरकार ने अभी हाल में कैले शहर में जंगल नामक कैंप को ध्वस्त कर दिया है। इस कैंप को ख़त्म करने से सबसे ज़्यादा जिन लोगों को नुक़सान पहुंचने का ख़तरा है वह शरणार्थी बच्चे हैं। कैले शहर में शरणार्थियों को मदद करने वालों ने जंगल कैंप में बच्चों की रक्षा के उपाय के अभाव पर चिंता के बीच, इस कैंप में शरण लेने वाले बच्चों के साथ यौन दुराचार की ख़बर दी है। इसी प्रकार उन्होंने यूरोप में शरण लेने वाले बच्चों के सामने यौन दुराचार के ख़तरे की भी बात कही है। ऑब्ज़र्वर पत्रिका ने एक रिपोर्ट में बताया कि यूनान में शरणार्थियों के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले कैंपों में महिलाओं और बच्चों के साथ यौन दुराचार हुआ है इन बच्चों में ऐसे भी थे जिनकी उम्र 7 साल थी। ऑब्ज़र्वर ने आगे लिखा कि इन कैंपों में शौचालय में बच्चों और औरतों पर हमले के कारण इन लोगों में अपने तंबुओं से निकल कर शौचालय जाने की हिम्मत नहीं है। यूनान के एक सांसद ने ऑब्ज़र्वर से कहा कि यह सूचना सबको शर्मिन्दा करने वाली है और इन बेसहारा बच्चों की रक्षा के लिए तुरंत क़दम उठाना चाहिए। यूरोपीय संघ की पुलिस यूरोपोल ने पहले ही यूरोप मे शरणा लेने वाले बच्चों के साथ यौन दुराचार होने की आशंका जतायी थी। यूरोपीय सरकारों का जो मानवाधिकार की रक्षा का दावा करती हैं, बच्चों के अधिकारों के समर्थन में बने अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के अनुसार, इन बच्चों की रक्षा के लिए उपाय अपनाना कर्तव्य है। लेकिन ये सरकारें शरणार्थी बच्चों के साथ यौन दुराचार की ख़बरों को अनसुना कर रही हैं और इस संदर्भ में ज़िम्मेदारी भरा व्यवहार नहीं अपना रही हैं बल्कि इन सरकारों को लगता है कि बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार उनके मन में डर पैदा करेगा और इस तरह वे यूरोप छोड़ कर चले जाएंगे।

 

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