Mar ०२, २०१६ १५:१३ Asia/Kolkata

युवा की परिभाषा में कुछ समाजशास्त्री युवा की जिज्ञासु भावना पर ध्यान देते और कहते हैं” युवा उसे कहते हैं जो नैतिक विशेषता, सामाजिक भावना और भिन्नताप्रेमी होता है।

युवा की परिभाषा में कुछ समाजशास्त्री युवा की जिज्ञासु भावना पर ध्यान देते और कहते हैं” युवा उसे कहते हैं जो नैतिक विशेषता, सामाजिक भावना और भिन्नताप्रेमी होता है। उसे बहुत सारे सामाजिक मामलों का सामना होता है। सच्चाई, निष्ठा और परित्याग आदि समस्त कोमल भावनाएं उसे नायक व शूरवीर बनाती हैं। वह बहादुरी को पसंद करता है क्योंकि वह पवित्र होता है और पवित्रता को दोस्त रखता है।“

 युवा प्रतिबद्धता, सुधार, और प्रतिरोध के साथ अपने देश की बाग़डोर संभाल सकते हैं। स्वाधीनता, आज़ादी और राष्ट्रों का विकास युवाओं के परिश्रम का ऋणी होता है। प्रतिबद्ध युवा वर्तमान समय और भविष्य में देश की सबसे बड़ी व मूल्यवान पूंजी हैं और उनका पावन रक्त समाज की रगों में प्रवाहित रहता है और वह उसे जीवन, प्रतिष्ठा और ऊंचाई प्रदान करता है।

आज के युवाओं ने जानकारी व जागरुकता के साथ इस्लामी जगत के पूरब और पश्चिम में उत्साह भर दिया है और अपनी पहचान को पुनः प्राप्त कर लिया है। इस्लामी जगत के कुछ क्षेत्रों के बहुत से पुरूषों और महिलाओं ने इस्लाम की पताका तले स्वतंत्रता, स्वाधीनता और आज़ादी का नारा लगाकर इतिहास रचा और अदम्य साहस का परिचय देकर साम्राज्यवादियों से संबंधित सरकारों का अंत कर दिया। इस्लामी देशों के बहुत से युवा इस्लाम के पर नाम न्यायप्रेमी इस्लामी सरकार चाहते हैं और इसके लिए वे राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में कुर्बानियां दे रहे हैं और अपने समाजों में विदेशी वर्चस्ववादियों के मुकाबले में प्रतिरोध की भावना को विस्तृत कर रहे हैं। वास्तव में इस्लामी देशों के युवा अपनी मांगों को लेकर मैदान में आ गये हैं और उन्होंने विश्व के अतिक्रमणकारियों एवं अत्याचारियों के मुक़ाबले में बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। ये युवा अपनी जागरुकता के साथ दूसरों में आशा व विकास में वृद्धि कर रहे हैं।

शहीद एमाद मोग़निया की बेटी फातेमा हैं जिनके पिता धर्म के मार्ग में शहीद हो गये। फ़ातेमा के पिता शहीद एमाद मोग़निया लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के वरिष्ठ कमांडर थे जिन्हें जायोनी शासन के एजेन्टों ने शहीद कर दिया था। शहीद एमाद मोग़निया की बेटी फातेमा ने ईरान आकर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से भेंट की और कहती हैं” आज हम और एमाद मोग़निया के सैकड़ों सपूत क्रांतिकारी युवा ईरान आये हैं ताकि इस्लामी क्रांति के प्रकाश और महान व तत्वदर्शी नेता से प्रेरणा ले सकें कि हमें किस तरह अपने शहीदों का मार्ग जारी रखना चाहिये और हम किस तरह उनके पवित्र ख़ून की रक्षा करें और किस प्रकार इस्लाम के दुश्मनों के षडयंत्रों से मुक़ाबला करें। ऐसे दुश्मन जो अंत में अपनी पराजय का अनुभव करते हैं। हम ऐसे देश में आये हैं जिसकी क्रांति की महक से प्रतिरोध की बुनियाद रखी गयी है। हम ईरान आये हैं ताकि इस बात का प्रण करें कि हम मुसलमान युवा इस्लाम की रक्षा करेंगे और प्रतिरोध को जारी रखेंगे और अपने इस्लामी देशों को साम्राज्यवादियों के अस्तित्व से पवित्र बनायेंगे।“

वास्तविकता यह है कि वर्तमान शताब्दी में मानवता ने समस्त भौतिकवादी विचारधाराओं को देख लिया है, उनका अनुभव कर लिया है और अब वह नया दौर आरंभ करने वाली है जिसकी विशेषता महान ईश्वर पर ध्यान देना और अनन्त शक्ति से सहायता मांगना है। स्वाधीनता, आज़ादी, न्याय प्रेम, राष्ट्रीय, जातीय और धार्मिक भेदभाव को नकारना युवाओं की गति व अभियान की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। जनांदोलनों में युवाओं का आगे- आगे रहना और इसी तरह आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास की प्रक्रिया में युवाओं का बढ़चढ़ कर भाग लेना देशों के भविष्य में उनकी प्रभावी एवं महत्वपूर्ण भूमिका का सूचक है।

मुसलमान और क्रांतिकारी युवा की अपनी अलग विशेषतायें होती हैं। उसे धर्म और समाज की चिंता होती है। वह गुमराह लोगों के मार्गदर्शन और समाजिक मामलों से निश्चेत नहीं होता है। वह इस तरह नहीं होता है कि जीवन को खेल समझे और अपने दिन को खेल- कूद में गुज़ार दे। वह इस तरह भी नहीं होता है कि सामाजिक दायित्वों के निर्वाह से मुंह मोड़कर अलग¬¬- थलग पड़ा रहे। वह यह जानता है कि ब्रह्मांड का ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां महान व सर्वसमर्थ ईश्वर नहीं है।

हमीद रशीदी एक युवा है जो जानकारी और पहचान के साथ अपने देश की रक्षा करता है। वह अपने वसीयत पत्र में लिखता है क्या लोगों ने यह सोच लिया है कि उन्होंने कह दिया कि हम ईमान लाये तो इतना कहने पर ही उन्हें छोड़ दिया जायेगा। उनके इस दावे पर उनकी प्ररीक्षा नहीं ली जायेगी? हे ईमान लाने वाले लोगों क्या कारण है कि ईश्वर के मार्ग में जेहाद करने के स्थान पर इस ज़मीन से दिल लगा बैठे हो? क्या परलोक के जीवन के बदले इस दुनिया के जीवन पर प्रसन्न हो गये हो? परलोक के सामने दुनिया की चीज़ें बहुत ही मूल्यहीन हैं। बंदे ने धर्म पर पूर्ण विश्वास के साथ क़दम बढ़ाया है और पूरी जानकारी के साथ उस पर अग्रसर है। चूंकि दुनिया परीक्षास्थल है इसलिए इंसान की जीवन के इन कुछ दिनों में परीक्षा ली जायेगी। अगर हम यह चाहते हैं कि हमारा अंत अच्छा हो तो हमें इस परीक्षा में सफल होना चाहिये।

सत्य व असत्य मुसलमान और क्रांतिकारी युवा के लिए स्पष्ट है। उसकी दृष्टि में सत्य व असत्य की सीमा अस्पष्ट नहीं है। असत्य मकड़ी के जाले की भांति कमज़ोर है अतः वह रास्ता नहीं भूलता यानी सत्य के मार्ग से नहीं हटता। बुराई फैलाने के लिए शत्रुओं की चालों और असत्य पर सत्य का ख़ोल चढ़ाने से उसके मन में जो ईश्वरीय शांति है वह समाप्त नहीं होती। यमन के एक विधि विशेषज्ञ और क्रांतिकारी अब्दुल्लाह अब्दे अलाव उन युवाओं में से है जो अभी हाल ही में”युवा और इस्लामी जागरुकता” शीर्षक के अंतर्गत आयोजित होने वाली कांफ्रेन्स में भाग लेने के लिए ईरान आये थे और उन्होंने वरिष्ठ नेता से भेंट में कहा” हम आज़ादी और संघर्ष के रणक्षेत्र तथा ईमान की भूमि यमन से आये हैं। हम अपने नर्म व कोमल दिलों के साथ आये हैं ताकि आपके दिलों को संबोधित कर सकें। एक हाथ में आज़ादी का सूरज नें और दूसरे हाथ में ईश्वरीय किताब और उसके पैग़म्बर की परंपरा व सुन्नत। हम यहां आये हैं, तेहरान प्रतिरोध, सुदृढ़ता, ज्ञान और तकनीक की भूमि। हम यहां आये हैं ताकि आपकी शुभ क्रांति से प्रेरणा ले सकें। हम यमनी युवाओं के प्रतिनिधि बनकर यहां आये हैं ताकि आप यमन के अत्याचारग्रस्त लोगों की सहायता करें।“

क्रांतिकारी मुसलमान युवा दोस्त- दुश्मन को अच्छी तरह पहचानता है और इस संबंध में वह ग़लती नहीं करता है। वह न दुश्मन को दोस्त समझता है और न दोस्त को दुश्मन। वह पवित्र क़ुरआन की इस आयत का चरितार्थ है कि वे काफिरों व अनेकेश्वरवादियों के मुकाबले में कठोर और दोस्तों के साथ कृपालु व दयालु होते हैं। मुसलमान क्रांतिकारी युवा इसके विपरीत नहीं होता है। वह कभी भी दुश्मन के साथ नर्मी से पेश नहीं आता है और दुश्मन की ओर दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाता है।

साइबर संचार माध्यमों के क्षेत्र में बहरैन का एक संघर्षकर्ता मुसलमान युवा अहमद हसन अलहजीरी है जो शत्रु के प्रति अपने आभासों व भावनाओं को इस प्रकार बयान करता है हमारे रक्त इस्लाम की रक्षा में दान हैं जी, जितनी भी भारी क़ीमत हो और जितना भी परित्याग अधिक हो जब तक रास्ते में इस्लाम है हम रक्त देने से नहीं रुकेंगे क्या तुम जानते हो कि हमारे समस्त रक्त सूख गये हैं फिर भी हमारी नाड़ियां दानी हैं? क्या तुम जानते हो कि हम ऐसे देश में हैं जहां के सपूत अपने ही देश में अजनबी हैं?

मुसलमान युवा बुद्धि और सोच से काम लेकर रचनात्मकता, शैलियों और आगे बढ़ने के मार्गों की खोज में है। मुसलमान युवा के लिए दायित्व के निर्वाह पर कोई चीज़ प्राथमिकता नहीं रखती है। शूरवीरता के बिना उसके लिए जीवन का कोई अर्थ नहीं है परंतु क्रांतिकारी मुसलमान युवा जानता है कि बुद्धि और साहस का मिलाप न हो तो शूरवीरता अस्तित्व में ही नहीं आ सकती और शूरवीरता के बिना स्पष्ट है कि कोई महान व अद्वितीय कार्य अंजाम नहीं दिया जा सकता। वह इस बात को पसंद करता है कि जहां तक हो सकता है उसे अनाम ढंग से काम करने अनुमति दी जाये। अनाम व गुप्त रूप से काम करने के पीछे रहस्य यह है कि दूसरों के प्रसन्न होने या प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए किये जाने वाले कार्य की कोई वास्तविकता नहीं है। अगर इंसान ईश्वर के लिए कार्य करता है तो ईश्वर समस्त कार्यों का साक्षी है। अंततः क्रांतिकारी मुसलमान युवा ईश्वर के मार्ग में शहादत को अपने लिए दुनिया में बहुत बड़ी सफलता और परलोक में दर्जा ऊंचा होने का कारण समझता है और उसका मानना है कि शहीद के ख़ून की हर बूंद जहां भी पड़ेगी वह उस स्थान को सदैव जीवित रखेगी। मोहम्मद मुस्तफापूर के वसीयत पत्र के एक भाग में आया है” हे ईश्वर तू जानता है कि तेरी प्रसन्नता और तेरा सामिप्य प्राप्त करने के लिए मैं जेहाद करने आया हूं! तू जानता है कि मैं इस ठंडे मैदान व मरस्थल में घूम रहा हूं और ज़मीन पर जमी बर्फों को अपने हाथों से हटा रहा हूं ताकि शहादत के पुष्प को प्राप्त कर सकूं और अपने पैरों को सांसारिक बेड़ियों से मुक्ति दिला सकूं और अपने लिए परलोक के जीवन का चयन कर सकूं।


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