अफ़ग़ानिस्तान पर अमरीकी सैनिकों के हमले के बाद से इस देश में मादक पदार्थों का उत्पादन।
अमरीका और नैटो की ओर से अफ़ग़ानिस्तान के अतिग्रहण के बाद इस देश के परिवर्तनों पर चार कार्यक्रम लेकर आपकी सेवा में उपस्थित हैं।
तीन दशक पहले तक अफ़ग़ानिस्तान का मादक पदार्थ विशेषकर अफ़ीम के उत्पादन में पहला स्थान था। वास्तव में अफ़ग़ानिस्तान, अफ़ीम के उत्पादन में म्यांमार, मैक्सिको और कोलंबिया से आगे निकल गया है। यद्यपि नब्बे के दशक तक अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान की सरकार के समय तक किसी सीमा तक इस देश में पोस्ते की खेती और मादक पदार्थों के उत्पादन में कमी हुई किन्तु वर्ष 2001 से जब से इस देश पर अमरीका ने क़ब्ज़ा किया है पोस्ते की खेती और मादक पदार्थों के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हो गयी है। इस प्रकार से कि अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों के उत्पादन के स्वतंत्र हल्क़ों की घोषणा के अनुसार वर्ष 2011 से पहले तक मादक पदार्थों का उत्पादन 185 टन था जिसमें 40 गुना से अधिक की वृद्धि हुई और यह संख्या 8500 टन तक पहुंच गयी है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका की ओर से अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े के समय से पोस्ते की खेती वाली ज़मीन में साठ प्रतिशत वृद्धि हो गयी जो 2 लाख पचास हज़ार हेक्टेयर तक फैली हुई है।
आंतरिक, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हल्क़े इस संबंध में अमरीका की भूमिका की पुष्टि करते हैं और अफ़ग़ानिस्तान में तैनात विदेशी सैनिक, विश्व बाज़ारों में इस देश के मादक पदार्थों की तस्करी के मुख्य कारक हैं। इन हल्कों का मानना है कि अमरीका की गुप्तचर संस्था सीआईए और एकेडमी जो इस देश की कुख्यात सुरक्षा एजेन्सी ब्लैक वाटर का बदला हुआ नाम है, तथा अमरीकी रक्षामंत्रालय और सेना से जुड़े अधिकारी और कर्मी अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों के उत्पादन और उसकी तस्करी में निर्णायक भूमिका अदा कर रहे हैं और इस बारे में ब्रिटेन की भूमिका की भी अनदेखी नहीं की जा सकती।
कनाडा की वेबसाइट ग्लोबल रिसर्च ने अपनी हालिया रिपोर्ट में लिखा है कि अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की तस्करी से होने वाली वार्षिक आय 50 अरब डालर बतायी है। यह ऐसी स्थिति में है कि अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने यह संख्या 60 से 100 अरब डालर बताई थी। अमरीकी सीनेट के शोध आयोग ने भी बताया है कि प्रतिवर्ष 500 से 1000 अरब डालर ब्लैक मनी विश्व बैंकों में वाइट होती है जिनमें से आधी अमरीकी बैंक में वाइट होती हैं।
हफ़िंग्टन पोस्ट समाचार पत्र ने अमरीकी प्रतिनिधि सभा में पूर्व रिपब्लिकन सांसद के हवाले से लिखा कि अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की तस्करी में सीआईए की भूमिका, बहुत गहरी और निर्णायक है। ग्लोबल रिसर्च ने भी घोषणा की है कि इस यह संस्था अफ़ग़ानिस्तान में अपने ख़र्चों को, हिरोइन की तस्करी से पूरा करती है। अमरीकी इतिहासकार और पिछले पचास वर्ष के दौरान रणक्षेत्रों में मादक पदार्थों की तस्करी में सीआईए के हस्तक्षेप के मामलों के विशेषज्ञ अलफ़्रेड मैक कोय का यह मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थकों पर निर्भर अर्थव्यवस्था वह योजना है जिसे पूरी सूक्ष्मता के साथ सीआईए की ओर से चलाया जा रहा है और अमरीका की विदेश नीति इसमें सहयोग कर रही है।
अमरीकी पत्र कार डेविड गिब्सन ने भी ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से फ़ाक्स न्यूज़ को बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की तस्करी में सीआईए का हाथ है और वियतनाम की भांति इस देश में भी वह अपनी मनमर्ज़ी के काम अंजाम देती है।
अफ़ग़ानिस्तान में विभिन्न निजी सुरक्षा एजेन्सियां सक्रिय हैं और के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई के अनुसार, इस देश में बहुत से अपराधों और मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त हैं। ब्रिटिश समाचार पत्र गार्डियन ने लिखा कि एकेडमी या ब्लैक वाटर, अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों से पैसे कमाने के अतिरिक्त एक चौथाई ख़र्चा हासिल कर लेता है। जिसके बारे में अमरीका दावा करता है कि वह अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थ से संघर्ष में ख़र्च करता है। हाल ही में जर्मन पत्रिका ने भी रहस्योद्घाटन किया है कि अफ़ग़ानिस्तान में नैटो की छावनी की सुरक्षा करने वाली एक प्राइवेट कंपनी एकोलोग के जापानी माफियाओं से संबंध हैं जो अफ़ग़ानिस्तान से कोसोवो और जर्मनी हिरोइन तस्करी करता है।
अफ़ग़ान समाचार एजेन्सी की रिपोर्ट के आधार पर अफ़ग़ानिस्तान में विदेशी सैनिकों विशेषकर अमरीकी सैनिकों की सबसे बड़ी छावनी के पास पोस्ते की सबसे बड़ी खेती पर सवाल उठता है और इससे यह पता चलता है कि इस खेतीबाड़ी की निगरानी अमरीकी सैन्य छावनी करती है। यह वह छावनी है जहां तक अफ़ग़ानिस्तान की किसी राष्ट्रीय और सरकारी संस्था की पहुंच नहीं है।
इस प्रकार अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न हल्क़ों में यह मूल प्रश्न उठता है कि अफ़ग़ानिस्तान में पैदा होने वाले 8500 टन मादक पदार्थ किस प्रकार इस देश से बाहर जाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहुंचते हैं। इन हल्क़ों का यह मानना है कि तालेबान और अन्य माफ़िया गिरोह, अफ़ग़ानिस्तन से इतनी बड़ी संख्या में मादक पदार्थ बाहर ले जाने की क्षमता नहीं रखते और इस संबंध में अमरीका और नैटो की हवाई छावनी मुख्य भूमिका निभा रही है।
इटली के संवाददाता एन्रीको प्यूवेस्ता ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में लिखा है कि अफ़ग़ान हिरोइन का उन विमानों में पाया जाना जिनमें सवार होकर ब्रिटिश और कनाडाई सैनिक स्वदेश लौटते हैं, अफ़ग़ान युद्ध के वास्तविक आर्थिक हित के बारे में भ्रांतियों को हवा देता है। वास्तव में सैनिकों द्वारा हेलमंद और क़ंधार से ऑक्सफ़ोर्ड शायर में ब्राइज़ नॉर्टन ही हवाई छावनी तक हिरोइन की तस्करी, कुछ और ही कहानी सुनाती है।
वह एक अन्य स्थान पर अफ़ग़ानिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी में तुर्की और क़िरक़िज़िस्तान की भूमिका की ओर भी संकेत करते हुए रूस की आधिकारिक समाचा एजेन्सी के हवाले से लिखते है कि अफ़ग़ान हिरोइन प्रत्यक्ष रूप से अफ़ग़ानिस्तान से अमरीकी सैनिकों के कार्गो विमानों से क़िरक़िज़िस्तान में गासनी औ तुर्की की इन्जरलीक छावनी पहुंचाई जाती है।
इसी मध्य गार्डियन समाचार पत्र ने एक रहस्योद्घाटन किया कि अमरीकी सेना मारे गये सैनिकों के ताबूतों में मादक पदार्थों की तस्करी करती हैं और इन ताबूतों को हिरोइनों से भर देती हैं।
रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ़ के अनुसार यदि अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अमरीकी और नैटो के सैनिक प्रत्यक्ष रूप से मादक पदार्थों के व्यापार में लिप्त न हां तब भी पक्का प्रमाण इस बात का है कि अमरीका और नैटो के सैनिक, अफ़ग़ान हवाई अडडों के अराइवल और डिपार्चर गेट पर मादक पदार्थों की तस्करी की अनदेखी कर देते हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की पैदावार और तस्करी में अमरीका के लिप्त होने के लक्ष्य के बारे में अंतर्राष्ट्रीय हल्क़े दो महत्वपूर्ण बिन्दुओं की ओर संकेत करते हैं जिन्होंने अमरीकी सैनिकों के लिए इस इस देश को महत्वपूर्ण छावनी में परिवर्तित कर दिया है।
अर्जेंटाइना के लेखक और टीकाकार एड्रियान सालबोची का यह मानना है कि अफ़ग़ान सरकार के साथ सुरक्षा समझौता करने और इस देश में अपने सैनिकों की संख्या में निरंतर वृद्धि के पीछे अमरीका का लक्ष्य, मादक पदार्थ के बाज़ार की रक्षा करना है और यह ब्रिटेन की वही रणनीति और उसका वही कार्यक्रम है जो उसने चीन के साथ किया था।
रूसी सेना के पूर्व कमान्डर जनरल गैरीफ़ ने भी अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थ की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि अमरीका का इरादा अफ़ग़ानिस्तान में मादक पदार्थों की पैदावार को रोकना नहीं है क्योंकि वह इस माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान में अपने सैनिकों के ख़र्चे को पूरा करना चाहता है। रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने भी इस बात की ओर संकेत करते हुए कि दुनिया में 90 प्रतिशत हिरोइन की आपूर्ति अफ़ग़ानिस्तान से होती है, कहा कि अमरीका और नैटो विश्व बाज़ार में प्रयोग के लिए अपने सैनिकों के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान में हिरोइन की पैदावार और उसकी तस्करी की रक्षा करते हैं।
कनाडा के पूर्व कूटनयिक और कैलीफ़ोर्निया विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर पीटर डेलन स्काट ने अमरीका की राजनैतिक व सामरिक रणनीति में मादक पदार्थों के प्रयोग की चिंताजनक स्थिति की ओर संकेत करते हुए अमरीका की वित्तीय स्थिति और मादक पदार्थों से प्राप्त ब्लैक मनी को वाइट बनाने के तरीक़ों पर रिपोर्ट तैयार की है। वह लिखते हैं कि अमरीका ने दक्षिणपूर्वी एशिया और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान और लैटिन अमरीका में अपने विरोधियों से मुक़ाबले के बहाने एक युद्ध छेड़ रखा है वह और बहुत गुप्त तथा अनाधिकारिक रूप से ख़ुफ़िया विभाग के व्यापारिक और वित्तीय हल्क़ों और माफ़ियाओं को अपने आसपास एकत्रित कर रखा है।